सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा हुई लचर, मरीज परेशान मंगलवार को एक बजे के पहले ही सभी ओपीडी से चले गये डॉक्टरजनरल ओपीडी में बाहर के झोला छाप डॉक्टर देख रहे थे मरीज11 बजे लेट नहीं और एक बजे भेंट नहीं के पैटर्न पर ओपीडी में आते हैं डॉक्टरफोटो: 02 जनरल ओपीडी में मरीजों को देखते बाहर के झोला छाप डाॅक्टर.
सीवान : सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा दिन प्रतिदिन लचर होने के कारण मरीजों को आये दिन परेशानी हो रही है. सदर अस्पताल के ओपीडी में डॉक्टरों के न तो आने का समय है और न जाने का.
किसी भी ओपीडी में नौ बजे के पहले कोई डॉक्टर नहीं आते हैं. महिला ओपीडी में महिला डॉक्टर 11 बजे के पहले नहीं आती हैं. मंगलवार को ऐसा ही देखने को मिला.आंख ओपीडी में डॉक्टर के नहीं आने पर नेत्र सहायक ने मरीजों को इलाज किया. दंत और आर्थोपेडिक्स के ओपीडी में डॉक्टर लेट से आये और समय के पहले चले गये.
जनरल ओपीडी में डॉक्टर लेट से आये तथा कुछ मरीजों को देखने के बाद झोला छाप डॉक्टरों के हवाले ओपीडी को छोड़ चले गये. ओपीडी में डॉक्टर आये की नहीं, अगर नहीं आये, तो उसकी क्या वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए. इस संबंध में कोई देखने वाला नहीं है. ऐसी बात नहीं है कि व्यवस्था को देखने के लिए अधिकारी नहीं हैं. अस्पताल प्रबंधक से लेकर सदर अस्पताल के अधीक्षक को इसकी जबाब देही है.नहीं खुला सदर अस्पताल का नियमित टीकाकरण केंद्र :
सदर अस्पताल का नियमित टीकाकरण केंद्र मंगलवार को नहीं खुला. अपने बच्चों को टीका दिलवाने आये लोगों ने काफी इंतजार के बाद अपने घरों को लौट गये. लोगों की शिकायत थी कि नियमित टीकाकरण केंद्र एक तो हमेशा लेट से खुलता है और आज बिना किसी सूचना के ही बंद कर दिया गया. अधिकतर लोगों को कहना था कि आज उनके बच्चे को टीका देने का डेट था,
लेकिन आज टीका नहीं लेने पर उन्हें अब दो दिनों का विलंब होगा. बुधवार को दीवाली के कारण ओपीडी नहीं खुलेगा. इधर, कर्मचारियों ने बताया कि टीका देने वाली कर्मचारी छुट्टी पर है. लेकिन सवाल यह है कि जिस पदाधिकारी ने छुट्टी दी,
उस पदाधिकारी ने टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण जगह पर दूसरे कर्मचारी की ड्यूटी क्यों नहीं लगायी.महिला वार्ड में नहीं मिल रही महिला डॉक्टर की सेवा : महिला वार्ड में नियमित महिला डॉक्टरों की सेवा उपलब्ध कराने में अस्पताल प्रशासन अब तक विफल रहा है.नये सीएस डॉ शिवचंद्र झा जब जिले में आये तो ऐसा लगा कि स्वास्थ्य विभाग के दिन बहुरेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
सिविल सर्जन की सख्ती के बावजूद कोई महिला डॉक्टर इमरजेंसी की बात तो दूर ओपीडी समय से नहीं करना चाहतीं. बहुत दिनों से लंबी छुट्टी पर गयीं सदर अस्पताल की एक महिला चिकित्सक ने योगदान भी दिया है, लेकिन सदर अस्पताल के महिला वार्ड की स्थिति में सुधार नहीं हुआ.
सदर अस्पताल की आज स्थित यह हो गयी है कि तीन दिनों तक प्रसव के लिए मरीज सदर अस्पताल में भरती रहती हैं तथा चौथे दिन पता चलता है कि उस मरीज के सदर अस्पताल में ही काम करने वाली महिला चिकित्सक के क्लिनिक में उसका सिजेरियन हो गया. विभाग के हाकिम सिविल सर्जन हों या सदर अस्पताल के उपाधीक्षक, सभी पदाधिकारियों को इस बात की जानकारी है,
लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती.क्या कहते हैं अधिकारी मंगलवार को मरीजों की संख्या ओपीडी में कम थी. हो सकता है कि मरीजों के नहीं रहने से डॉक्टर समय से पहले चले गये हों. जनरल ओपीडी में जहां तक बाहर के डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज करने का सवाल है. इस संबंध में जिस डॉक्टर की ड्यूटी थी, उनसे पूछताछ की जायेगी.
महिला वार्ड में ऑन कॉल महिला डॉक्टर मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध रहती हैं.डॉ एमके आलम, प्रभारी सिविल सर्जन सह उपाधीक्षक मालगोदाम में मालगाड़ी का ब्रेक वान हुआ बेपटरी सीवान . सीवान रेलवे मालगोदाम में सोमवार की शाम करीब पौने सात बजे मालगाड़ी का एक ब्रेक वान बेपटरी हो गया.
बताया जाता है कि रैक को खाली करने के लिए रेल कर्मचारी उसे रैक प्वाइंट पर प्लेसमेंट कर रहे थे. इसी दौरान मालगाड़ी का ब्रेक वान के सभी पहिये बेपटरी हो गये. सूचना मिलते ही रेल अधिकारियों ने डिब्बे को पटरी पर रखने के लिए छपरा से लुकस वैन को बुलाया. काफी मशक्कत के बाद रात करीब 10 बजे लुकस वैन द्वारा ब्रेक वान को पटरी पर रखा गया.
इस दौरान यात्री ट्रेनों के परिचालन पर मामूली असर पड़ा. करीब तीन घंटे तक मालगोदाम का कार्य भी बाधित हुआ. मालगोदाम की रेल लाइनों का रख-रखाव समुचित नहीं होने से रेल लाइनें काफी जर्जर हो गयी हैं. आये दिन मालगोदाम में मालगाड़ियाें के डिब्बे, तो कभी इंजन बेपटरी होता रहता है. वहीं मालगाड़ी के चालक का दुर्घटना के बाद मेडिकल चेकअप कराया गया.