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अधूरा स्टेडियम बन रहा चुनावी मुद्दा

अधूरा स्टेडियम बन रहा चुनावी मुद्दा फोटो- 08 अधूरा पड़ा स्टेडियम. बड़हरिया विधानसभा चुनावी मुद्दा बड़हरिया : प्रखंड मुख्यालय के गांधी स्मारक हाइ स्कूल बड़हरिया के खेल मैदान में अर्ध निर्मित मजहरूल हक स्टेडियम चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है. मजे की बात यह है कि जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए यह स्टेडियम बन […]

अधूरा स्टेडियम बन रहा चुनावी मुद्दा फोटो- 08 अधूरा पड़ा स्टेडियम. बड़हरिया विधानसभा चुनावी मुद्दा

बड़हरिया : प्रखंड मुख्यालय के गांधी स्मारक हाइ स्कूल बड़हरिया के खेल मैदान में अर्ध निर्मित मजहरूल हक स्टेडियम चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है. मजे की बात यह है कि जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए यह स्टेडियम बन रहा है, ठीक इसके विपरीत इस अधूरे स्टेडियम से छात्राओं को नुकसान होने लगा है.

क्योंकि इस स्टेडियम के अर्ध निर्मित पेवेलियन में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा होने लगा है. इधर, इस स्टेडियम में लगातार इनकी उपस्थिति से छात्राओं को स्कूल आने -जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

गौरतलब हो कि 21 नवंबर, 2007 में तत्कालीन युवा, खेल व संस्कृति मंत्री रेणु कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित अन्य प्रांतीय नेताओं की उपस्थिति में शिलान्यास किया था. हालांकि जदयू नेता माधव सिंह पटेल का कहना है कि स्टेडियम का शिलान्यास 2010 में हुआ था. बहरहाल जब इस स्टेडियम का शिलान्यास किया गया था,

तो खेल प्रेमियों व छात्रों को लगा था कि खेल जगत में बड़हरिया अपना खोया गौरव पुन: प्राप्त कर लेगा. साथ ही प्रखंडवासियों को बड़े-बड़े मैच देखने का मौका मिलेगा. लेकिन विभागीय लापरवाही व ठेकेदार की मनमानी के कारण करीब सात साल गुजर जाने के बावजूद यह स्टेडियम आज भी अधूरा है, जिससे खेल प्रेमियों व प्रखंडवासियों में मायूसी है. ठेकेदार की मानें तो विभागीय लापरवाही के कारण शिलान्यास के सात साल बाद पहला अलॉटमेंट आया था.

यानी युवा संस्कृति विभाग द्वारा इस मद में 37 लाख रुपये की पहली किस्त दी गयी थी. उसके बाद फिर साल भर तक इस मद में राशि नहीं आयी. दूसरी किस्त बतौर 40 लाख रुपये आयी थी. उसके बाद पुन: 40 लाख रुपये की तीसरी किस्त आयी थी. इस प्रकार एक करोड़ 21 लाख रुपये की प्राक्कलित राशि से निर्मित हो रहे इस स्टेडियम के लिए एक करोड़ 17 लाख रुपये की राशि निर्गत हो चुकी है. स्टेडियम का निर्माण कार्य करा रहे जदयू नेता माधव सिंह बताते हैं कि जब सुखदा पांडेय युवा खेल व संस्कृति मंत्री थीं, तो विभागीय अधिकारियों ने राशि निर्गत करने में रुचि नहीं ली थी. नतीजतन निर्माण कार्य बाधित होता गया.

मजे की बात यह है कि शेष राशि निर्गत होने के बावजूद अधूरा पड़ा है. बता दें कि स्टेडियम में पूरब से बनी हुआ है, जो आज भी अधूरा है. जबकि असामाजिक तत्वों ने पश्चिमी चहारदीवारी को बीच में दो जगहों पर तोड़ दिया है. वहीं दोनों गैलरियों के बीच 6 कमरों का पेवेलियन भी अधूरा पड़ा है.

न तो गैलरियों का प्लास्टर हो पाया है और न पवेलियन का रंग-रोगन ही हुआ. इतना ही नहीं पेवेलियन में खिड़की-दरवाजे भी नहीं लग पाये हैं, जिससे असामाजिक तत्व दिन व देर रात में यहां जमे रहते हैं. ऐसे ठेकेदार का दावा है कि कुछ दिनों में स्टेडियम बन कर तैयार हो जायेगा. वहीं जीएम हाइ स्कूल के प्रधानाध्यापक हीरा लाल शर्मा कहते हैं कि स्टेडियम बनने से छात्र-छात्राओं को व्यापक पैमाने पर नुकसान हुआ है. शराबियों व जुआरियों के अड्डे के रूप में तब्दील यह स्टेडियम चुनावी मुद्दा बनता दिख रहा है.

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