संवाददाता : सीवान किसान अपनी धान की फसल को लेकर जहां काफी चिंतित है, वहीं हर रोज उनकी निगाहें बारिश का इंतजार कर रही है.
आसमान में दिखने वाले हर काले बादल को वे बारिश के रूप में देखना चाह रहे हैं, लेकिन जब बारिश नहीं होती, तो उनका चेहरा देखते ही बन रहा है. किसानों के समक्ष आगे कुआं तो पीछे खाई की स्थिति उत्पन्न हो गयी है,
क्योंकि उनके पास जो रकम थी, उसको वे धान की रोपनी करने में इस उम्मीद के साथ लगा दी कि अच्छी बारिश होगी, तो पैदावार अच्छी होगी और लागत निकल आयेगी. यदि सूखा पड़ जाता है, तो किसानों के मंसूबे पर पानी फिर जायेगा. कारण कि जिले में ऐसे बहुतेरे किसान हैं जिनके परिवार का भरण-पोषण अनाज से प्राप्त राशि से होता है.
ऐसे भी कहा जाता है कि भारत की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है, जिनकी बहुत सारी निर्भरता फसलों पर होती है. जिले में इस वर्ष 98 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसके एवज में 88211 हेक्टेयर यानि 90 फीसदी ही धान की रोपनी हो पायी है.
इस समय धान की फसल में बाली लगने का है. पानी की सख्त जरूरत है. विभाग के आंकड़े पर गौर करें, तो सितंबर माह में 286.9 मिली मीटर बारिश होनी चाहिए थी, जिसके एवज में मात्र 25.5 मिली मीटर ही बारिश हो पायी. जिला कृषि पदाधिकारी राजेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि उन क्षेत्रों में धान की फसल को काफी नुकसान हो रहा है, जहां सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि पैदावार की दृष्टि से इस समय धान की फसल को पानी की सख्त जरूरत है. श्री वर्मा ने जिले के किसानों से वैकल्पिक व्यवस्था के तहत सिंचाई कर धान की फसल को बचाने की अपील की. उन्होंने कहा कि आगामी कुछ दिनों में बारिश होती है, तो यह फसल के लिए काफी फायदेमंद होगी.