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10 डिब्बों की जगह चार डिब्बोंवाली चल रही है पैसेंजर ट्रेन

सीवान करीब डेढ़ माह से सीवान-थावे रेल खंड पर रेलयात्रियों का यात्रा करना मुश्किल हो गया है. जून महीने में तो रेल यात्री प्रतिदिन पैसेंजर ट्रेनों के रद्द होने से परेशान थे, लेकिन जब यात्रियों ने आंदोलन करने की चेतावनी दी तो रेल प्रशासन ने तत्काल 10 डिब्बों की जगह पांच डिब्बोंवाली ट्रेन को चलाया. […]

सीवान करीब डेढ़ माह से सीवान-थावे रेल खंड पर रेलयात्रियों का यात्रा करना मुश्किल हो गया है. जून महीने में तो रेल यात्री प्रतिदिन पैसेंजर ट्रेनों के रद्द होने से परेशान थे, लेकिन जब यात्रियों ने आंदोलन करने की चेतावनी दी तो रेल प्रशासन ने तत्काल 10 डिब्बों की जगह पांच डिब्बोंवाली ट्रेन को चलाया. उसके बाद डिब्बों की संख्या घटा कर चार कर दी गयी. इन चार डिब्बों में रेलयात्री भेड़ बकरियों की तरह ठूंस कर यात्रा करते हैं.
सुबह में थावे की ओर से आनेवाली 55109 और शाम में सीवान से थावे जानेवाली 55113 पैसेंजर ट्रेन के एक डिब्बे में भीखमंगे कब्जा जमा लेते हैं. अब यात्रियों के लिए बच जाता है दो डिब्बा तथा एक डिब्बा एसएलआर का. इससे सहज अंदाज लगाया जा सकता है कि करीब पांच हजार से अधिक यात्री इन डिब्बों में कैसे सफर करते हैं. कभी-कभी तो महिलाएं भीड़ होने के कारण चढ़ नहीं पाती हैं या स्टेशन आने पर बड़ी मुश्किल से उतरती हैं.
क्या कहते हैं ट्रेनों में सफर करनेवाले रेलयात्री : रेल यात्री वकील सिंह ने बताया कि वे रोज थावे से सीवान नौकरी करने आते हैं. जब से डिब्बों की संख्या घटायी गयी है. दैनिक यात्रियों को परेशानी हो रही है. रेलयात्री कलीम मियां ने बताया कि सीवान काम करने के लिए रोज आते हैं.
इसके लिए उन्होंने एमएसटी भी बनवाया है. उन्होंने कहा कि रेल को घाटा हो रहा है, तो उसके लिए वह स्वयं जिम्मेवार है. इस रूट में रोज चेकिंग नहीं होने के कारण बिना टिकट के लोग सफर करते हैं. रेलयात्री अशोक सिंह ने रेल प्रशासन से मांग की है कि तत्काल डिब्बों की संख्या बढ़ायी जाये. रेलयात्री उपेंद्र सिंह ने कहा कि पुरुष तो किसी तरह यात्रा कर लेते हैं. लेकिन महिलाओं को यात्र करने में काफी परेशानी होती है. रेलयात्री बाबुद्दीन अंसारी ने बताया कि डिब्बों की संख्या कम होने के कारण यात्री इंजन पर सवार होकर या डिब्बों के गेट पर लटक कर यात्रा करते हैं. रेलयात्री नागेंद्र राय ने कहा कि डिब्बों की संख्या कम होने पर रेल यात्री जिस तरह असुरक्षित यात्रा कर रहे हैं. एक दिन कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. रेलयात्री परमेश्वर सिंह ने रेल के अधिकारियों से मांग की कि यात्रियों की समस्या को नजरअंदाज नहीं करें. अगर राजस्व की कमी हो रही है, तो इस रूट में टिकट जांच कराये. जगजीतन सिंह ने कहा कि ट्रेन के डिब्बों की संख्या में शीघ्र वृद्धि नहीं की गयी, तो यात्री आंदोलन करने को तैयार हैं.
क्या कहते हैं स्टेशन अधीक्षक
छपरा से जो ट्रेन पांच डिब्बोंवाली आती है. उसे थावे रूट पर चलाया जाता था. कुछ दिनों से एक डिब्बा में खराबी आने के कारण चार डिब्बों ही लगाये जा रहे हैं. पहले की तरह 10 डिब्बोंवाली ट्रेन चलाना मेरे पावर का नहीं है. इसमें वरीय अधिकारी ही कुछ कर सकते हैं.
अजय कुमार श्रीवास्तव
क्या कहते हैं डीसीआइ
सीवान-थावे रूट पर कभी-कभी ट्रेनों में जांच की जाती है. प्रतिदिन जांच करने की व्यवस्था नहीं है. स्टाफ की कमी के कारण ट्रेनों में टिकट जांच के लिए प्रतिदिन टीटीइ नहीं रहते हैं. विशेष जांच में छपरा से स्टॉफ को बुलाना पड़ता है.
पीके श्रीवास्तव
आरा
मौत जब आती है, तो सारे बंधनों को तोड़ देती है. कुछ ऐसी ही घटना ब्रह्पुर में सोमवार के हुई. बरमेश्वरनाथ मंदिर तक पहुंचनेवाले सभी मुख्य मार्गो पर प्रशासन ने बैरिकेडिंग शनिवार को ही लगा दिया था. जिससे मंदिर तक चार चक्का वाहनों का प्रवेश वजिर्त हो गया है, लेकिन चुन्नु यादव पुलिस को और नियमों को ताक पर रखते हुए वाहन को किसी तरह मंदिर के पास स्थित तालाब तक लेकर चला गया. चंद मिनटों में खुशी का माहौल पांच बच्चों की मौत से गमगीन हो गया. वहीं, इस घटना की खबर जैसे ही महुली गांव में पहंची पूरा गांव परिजनों की चीत्कार से मायूस हो गया.
आरा : सावन की पहली सोमवारी को बड़ी लालसा लिये अपने परिजनों से जिद कर बोलेरो गाड़ी पर सवार होकर ब्रह्म पुर स्थित बाबा ब्रrोश्वर नाथ के मंदिर में दर्शन करने गये सात में से पांच मासूमों को कफन ही नसीब हुआ. बाबा ब्रrोश्वर नाथ मंदिर के ठीक सामने विशालकाय तालाब में बंद बोलेरो में गिरे पांच मासूमों की चीख भी किसी तक नहीं पहुंची. पानी के अंदर छटपटाते रहे, चिल्लाते रहे मगर उनकी आवाज उसी तालाब कुंड में दफन हो गयी.
सुबह से ही मनहूस खबर को सुन गांव वाले बुचुल यादव व चुन्नु यादव के इकट्ठा हुए थे. रास्ते से जानेवाले लोग भी परिजनों की चीत्कार सुन कर थथम कर रूक जाते थे. आरा पुलिस लाइन से महज आठ किलो मीटर की दूरी पर बस महुली गांव एक ही पिकअप भान पर सवार पांचों का शव जैसे-जैसे गांव की ओर बढ़ता रास्ते पर बसे गांव के लोग नम आंखों से देखते रहे. गांव में पांचों का शव जैसे ही पहुंचा परिजनों की चीत्कार से पूरा माहौल गमगीन था ही गांववालों का कलेजा भी फट पड़ा. बुचुल यादव के घर के आगे सिर्फ भीड़ थी. रास्ते सुनसान थे. अंधेरा अपनी पकड़ बना रहा था और परिजनों के चीत्कार और भी बढ़ने लगी, जब शव को लेकर लोग केवटिया घाट की ओर बढ़ने लगे. यह देख महुली गांव के लोग भी रो पड़े.
केवटिया घाट पर एक ही परिवार के पांच मासूमों के शवों को गंगा में किया गया प्रवाहित : घाट पर बैठे मंजिल जानेवाले लोगों का कलेजा और द्रवित हो उठा, जब बुचुल यादव एवं चुन्नु यादव ने राधिका विक्की, कल्लू तथा यामिनी और श्रेया को एक साथ गंगा नदी में प्रवाहित किया गया. घाट पर खड़े सभी लोगों की आंखों से आसुओं की धारा बह चली.
गाड़ी लुढ़कते देखता रह गया विनय : अपने भाइयों के साथ ब्रह्म ुपर धाम पर गया विनय जैसे ही बाबा के दरबार में जल चढ़ा कर वापस लौटा, तो उसके रौंगटे खड़े हो गये. इससे पहले की वह कुछ करता पांचों मासूमों को लेकर वह तालाब बोलेरो सहित लील चुका था.
50 हजार की सहायता राशि परिजनों को मिली : युवा नेता व महुली पंचायत के मुखिया इंदू देवी के प्रतिनिधि फागु सिंह ने तत्काल मृतक के परिजनों को 50 हजार रुपये की सहायता राशि अपनी तरफ से उन्हें दी ताकि परिजनों को कुछ राहत मिल सके. उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में महुली पंचायत के सभी लोग परिजनों के साथ है.
घटना के दो घंटे बाद भी नहीं पहुंचा क्रेन : घटना के तुरंत बाद डीएम और एसपी को सूचना दी गयी, लेकिन दो घंटे बाद भी प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं पहुंचायी गयी. डीएम द्वारा क्रेन भेजने की बात कही गयी, लेकिन 12: 30 बजे तक क्रेन नहीं पहुंच पाया था.
बच सकती थी मासूमों की जान : अगर प्रशासन ने तालाब के चारों तरफ बांस से बैरिकेडिंग करवाया होता, तो पांच मासूमों की जान बच सकती थी. वहीं, कुछ लोगों ने कहा कि तालाब के दक्षिणी छोर पर चाहरदीवारी होती, तो शायद गाड़ी ढुल कर गिरने से बच जाती.
मुआवजे के लिए लिखा गया भोजपुर जिला प्रशासन को : प्रभारी एसडीओ अजीत कुमार, सीओ श्री भगवान सिंह एवं बीडीओ भगवान झा ने घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा के लिए भोजपुर जिला प्रशासन को लिखा जायेगा.
मूकदर्शक बना रहा प्रशासन : इस घटना ने प्रशासन के सुरक्षा के सभी दावों को खोखला साबित कर दिया. लोगों की जुबान पर सिर्फ एक ही सवाल था कि जब छोटे व बड़े वाहनों को मंदिर व तालाब के पास जाने से रोकने की व्यवस्था थी, तो कैसे वाहन तालाब तक पहुंच गया.
कैसे हुई घटना
ब्रह्म पुर स्थित बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ के मंदिर में जल चढ़ाने के दौरान चुन्नु यादव एवं उनके परिजनों ने बोलेरो गाड़ी में राधिका, बिकी, कल्लू , यामिनी, श्रेया, बिहारी व ग्रेसी को बंद कर दिया. प
रिजनों का कहना है कि बंद बोलेरो को किसी ने धक्का देकर तालाब की तरफ बढ़ा दिया, जबकि अपनी बहन के साथ उसी गाड़ी से बच कर बाहर निकला. बिहारी का कहना था कि विक्की स्टेरिंग को इधर उधर किया, जिसके कारण यह घटना घटी.
1993 में इसी तरह महुली गांव के चार लोगों की डोरीगंज घाट पर गयी थी जान
जिस तरह एक ही परिवार के पांच मासूमों की जान गयी, ठीक उसी तरह 1993 में डोरीगंज घाट पार करते समय चार लोगों की जान चली गयी थी,
जिसमें पिता-पुत्र भी शामिल थे. डोरीगंज घाट से छपरा जा रहे राजेंद्र सिंह उनके पुत्र संतोष सिंह व सुभाष सिंह तथा उनके भाई की जान चली गयी थी, जबकि नदी में डूबते समय सुभाष सिंह ने अपनी जान की प्रवाह न करते हुए महुली गांव के ही कौशल सिंह की जिंदगी बचा दी थी. सोमवार को महुली गांव में जब बुचुन यादव एवं चुन्नु यादव के पुत्र एवं पुत्री का शव जैसे ही गांव आया. कौशल सिंह की आंखों में वो खौफनाक मंजर फिर से जिंदा हो गया.

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