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भू-गर्भ में छिपे रहस्यों का होगा खुलासा
भगवान बुद्ध के निर्वाण के पूर्व के रहस्यों की मिलेगी जानकारी पपौर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने शुरु किया उत्खनन भूमिपूजन के बाद अधीक्षण पुरातत्वविद केसी श्रीवास्तव ने चलाया फावड़ा कहा, मुङो विश्वास है कि सफलता मिलेगी खुदाई शुरू होने के बाद गांव के लोगों में खुशी की लहर दौड़ी सीवान : शहर से […]
भगवान बुद्ध के निर्वाण के पूर्व के रहस्यों की मिलेगी जानकारी
पपौर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने शुरु किया उत्खनन
भूमिपूजन के बाद अधीक्षण पुरातत्वविद केसी श्रीवास्तव ने चलाया फावड़ा
कहा, मुङो विश्वास है कि सफलता मिलेगी
खुदाई शुरू होने के बाद गांव के लोगों में खुशी की लहर दौड़ी
सीवान : शहर से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित पचरुखी प्रखंड के पपौर गांव के टीले के उत्खनन का कार्य गुरुवार से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने शुरू कर दिया. अपराह्न् में टीले पर सर्वप्रथम भूमिपूजन किया गया.
पाव उन्नयन ग्राम समिति के संयोजक कुशेश्वरनाथ तिवारी के नेतृत्व में ग्रामीणों ने सर्वप्रथम पूजा-अर्चना की. इसमें एएसआइ टीम के अधीक्षण पुरातत्वविद् केसी श्रीवास्तव, सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद् नीरज सिन्हा,जलज कुमार, धनंजय कुमार,सुबोध कुमार व उदय कुमार ने भी हिस्सा लिया.भूमि पूजन के बाद केसी श्रीवास्तव व ग्रामीणों ने खुदाई वाले स्थान पर फावड़ा चला कर उत्खनन कार्य का प्रारंभ किया.
श्रीवास्तव ने बताया कि यह परीक्षण उत्खनन है. इसमें पांच फुट गुना पांच फुट का एक गड्ढा खोदा जायेगा. उन्होंने बताया कि यह वर्टिकल खुादाई तब तक की जायेगी, जब तक नार्मल स्वायल नहीं मिल जाता. खुदाई के दौरान जब तक मानवीय एक्टीविटी मिलती रहेगी, खुदाई जारी रहेगी.
उन्होंने बताया कि जिस लेयर में अवशेष अधिक मात्र में मिलेंगे, उस लेयर में होरीजेंटल उत्खनन भी किया जायेगा. उन्होंने कहा कि मुङो पूर्ण विश्वास है कि इस खुदाई में महत्वपूर्ण परिणाम मिलेंगे. सरकार ने जो जिम्मेवारी दी है, उसे पूरा किया जायेगा.मौके पर शारदा शरण तिवारी,उमेश तिवारी,राजेंद्र कुमार तिवारी,ललन तिवारी,योगेंद्र तिवारी, संदेश तिवारी, रानू तिवारी, रोहित तिवारी, सुदर्शन तिवारी आदि उपस्थित थे.
क्या महत्व है पपौर गांव का
यहां से प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों, साक्ष्यों, ऐतिहासिक प्रमाण तथा कथाओं के विेषण से स्पष्ट होता है कि भगवान बुद्ध ने अपने निर्वाण के पूर्व यहां पर काफी समय व्यतीत किया था. पपौर का पूर्ववर्ती युगों में नाम पावा था, जो बुद्ध काल के 16 जनपदों में मल्ल जनपद की राजधानी था. प्रथम चीनी यात्री हृवेनसांग ने अपने यात्र वृत्तांतों में इसका उल्लेख किया है.
अंगरेज विद्वान डॉ डब्ल्यू होय ने सर्व प्रथम पावा की खोज की थी. वैसे समय-समय पर ग्रामीणों को खेती करने के दौरान प्राचीन मूर्तिया,सिक्के तथा मृदभांड मिले हैं, जो ग्रामीणों के पास आज भी सुरक्षित है.
पपौर के बगल के गांव मटुक छपरा में ग्रामीणों ने स्वयं खुदाई कर बड़ी संख्या में प्राचीन मूर्तियों को बरामद किया था. वे मूर्तिया आज भी गांव के पांड़े बाबा के मंदिर में लावारिस की तरह रखी गयी हैं.
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