सीवान : पूरे विश्व मे भले ही ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार एक जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष ज्यादा चर्चित हो, लेकिन इससे कहीं पहले से अस्तित्व में आया विक्रमी संवत आज भी धार्मिक अनुष्ठानों व मांगलिक कार्यो में तिथि व काल की गणना का आधार बना हुआ है.
विक्रमी संवत हमारी संस्कृति व धार्मिक विरासत को दरसाता है. ये बातें गुरुवार को शहर के महादेवा माधव नगर स्थित महावीरी सरस्वती विद्या मंदिर के परिसर में ग्रामीण मीडिया सर्विस के द्वारा नव संवत्सर 2070 के स्वागत पखवारा समारोह के समापन के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य आशुतोष कुमार मिश्र ने कहीं.
उन्होंने कहा कि विक्रम संवत चैत्र मास की शुल्क पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है. विक्रम संवत का संबंध किसी धर्म से न होकर सारे विश्व की प्राकृतिक, खगोल सिद्धांत व ग्रहों एवं नक्षत्रों से है. इसलिए भारतीय काल गणना पंथ निरपेक्ष होने के साथ-साथ सृष्टि की रचना और राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा को दरसाती है.
ग्रामीण मीडिया सर्विस के प्रबंध समिति के सदस्य पत्रकार राकेश तिवारी ने कहा की हमारे देश के युवाओं को विक्रम संवत नव वर्ष भी उसी प्रकार उल्लास से मनाना चाहिए, जिस प्रकार वे एक जनवरी को मनाते हैं. उन्होंने कहा विक्रम संवत नववर्ष ग्रेगेरियन कैलेंडर से 56.7 वर्ष आगे है. अंगरेजी कैलेंडर के हिसाब से आधी रात से दिन बदलता है, वहीं विक्रम संवत कैलेंडर के साथ सूर्य उदय के साथ नया दिन होता है.
पत्रकार विजय पांडे ने विक्रम संवत के ऐतिहासिक व प्राकृतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से होता है, जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा पुष्पों की सुगंध से भरी होती है. यही नहीं भारतीय शास्त्रों के अनुसार लगभग एक अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार साल पहले वर्ष प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का सृजन किया था.
आधुनिक भारत के सबसे बड़े संगठक व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म भी वर्ष प्रतिपदा के दिन ही हुआ था, तथा स्वामी दयानंद सरस्वती ने भी आर्य समाज की स्थापना वर्ष प्रतिपदा के दिन ही की थी. संगोष्ठी मे रविरंजन कुमार सिंह, विजय कुमार शुक्ल, प्रमोद कुमार मिश्र, प्रभात कुमार सिंह, उमेश उपाध्याय, शिव कुमार प्रसाद, बलिराम प्रसाद, बीरेंद्र कुमार सिंह सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे. समारोह के अंत में धन्यवाद ज्ञापन महावीरी सरस्वती विद्या मंदिर के सचिव सुभाष चंद्र तिवारी ने की.