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उद्देश्य से भटका महिला अल्पावास गृह
पीड़ित और आश्रय विहीन महिलाओं को संरक्षण देने और उन्हें मुख्य धारा में लौटने के लिए प्रशिक्षण व पुनर्वास की व्यवस्था के उद्देश्य से महिला अल्पावास गृह की स्थापना महिला कल्याण विभाग द्वारा की गयी, लेकिन इसकी वर्तमान स्थिति से ऐसा लगता है कि यह अपने उद्देश्य से ही भटक गया है. इतना ही नहीं […]
पीड़ित और आश्रय विहीन महिलाओं को संरक्षण देने और उन्हें मुख्य धारा में लौटने के लिए प्रशिक्षण व पुनर्वास की व्यवस्था के उद्देश्य से महिला अल्पावास गृह की स्थापना महिला कल्याण विभाग द्वारा की गयी, लेकिन इसकी वर्तमान स्थिति से ऐसा लगता है कि यह अपने उद्देश्य से ही भटक गया है. इतना ही नहीं यहां महिला हेल्प लाइन द्वारा भी मामला निष्पादन तक आवश्यकता अनुसार महिलाओं को रखा जाता है.
अल्पावास गृह में अव्यवस्था का आलम
दो माह से बिना प्रभारी के जैसे-तैसे चल रहा है अल्पावास गृह
सीवान : फरवरी , 2014 में महिला अल्पावास गृह से डेढ़ दर्जन लड़कियों के फरार होने के बाद अल्पवास गृह को बंद कर दिया गया था. नवंबर, 2014 में पुन: रेड क्रॉस भवन में महिला अल्पवास गृह की शुरुआत हुई.
इसके बाद यह आस जगी कि इसमें निर्वासित महिलाओं और पीड़िताओं को आश्रय मिलेगा और उन्हें इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा. लेकिन वर्तमान में यह अल्पावास गृह पुन: अपने पुराने र्ढे पर लौटता दिख रहा है. यहां विभिन्न थानों से पहुंची पीड़िताओं को आश्रय नहीं मिल पा रहा है. उन्हें बैरंग लौटा दिया जा रहा है.
इसके लिए विभिन्न तरह के बहाने बनाये जा रहे हैं. इसके साथ ही दो माह से यह अल्पावास गृह बिना पुनर्वास पदाधिकारी सह प्रभारी के जैसे-तैसे संचालित हो रहा है. ऐसे में यहां की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
अल्पावास गृह की मनमानी से थाना है हलकान : शनिवार को धनौती ओपी थाना पुलिस एक लड़की को शाम छह बजे लेकर पहुंची, लेकिन उसे अल्पावास गृह में रखने से इनकार कर दिया गया.
थानाध्यक्ष अजय कुमार मिश्र ने बताया कि इससे काफी परेशानी हुई और उच्चधिकारी के आदेश पर महिला को महिला थाने में रखना पड़ा. वहीं महिला थानाध्यक्ष पूनम कुमारी बताती हैं कि मनमाने ढंग से अल्पावास गृह की कार्रवाई से काफी परेशानी हो रही है.
पीड़िताओं को रखना या न रखना मानों उसकी मनमानी पर निर्भर करता है. इसके कारण विभिन्न थानों की महिलाओं को महिला थाने के संरक्षण में रखना पड़ता है. ऐसे में अल्पावास गृह की उपयोगिता समझ से परे है. मंगलवार को खबर संकलन के लिए पहुंचे संवाददाता के सामने ही दरौंदा थाना पुलिस किसी पीड़िता को लेकर पहुंची, जो मूक-बधिर थी. इस आधार पर उसे रखने से इनकार किया जा रहा था.
लेकिन हस्तक्षेप के बाद उसे रखा गया. इसी से अल्पावास गृह के कार्यकलाप का अंदाजा लगाया जा सकता है. एक तरफ जहां विकलांगों के संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाएं चलायी जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर अल्पावास गृह इस आधार पर उसे रखने से इनकार कर रहा है. इसी से स्थिति समझी जा सकती है.
क्या कहते हैं डीपीओ
कार्य में लापरवाही के कारण दोनों पुनर्वास पदाधिकारी को पद मुक्त किया गया. इसके बाद मेरिट में रहे अभ्यर्थियों ने भी काम करने से इनकार कर दिया. इसकी व्यवस्था के लिए कार्रवाई की जा रही है.
जिलाधिकारी द्वारा इसके लिए विभाग को लिखा गया है. तत्काल व्यवस्था के तहत हेल्प लाइन के तीन अधिकारियों की अलग-अलग ड्यूटी लगायी गयी है. अव्यवस्था की स्थिति में जांच कर कार्रवाई की जायेगी और पीड़िताओं को नहीं रखने के संबंध में जवाब-तलब किया जा रहा है.
डॉ राजकुमार यादव, डीपीओ , आइसीडीएस
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