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औषधीय खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे किसान
वैकल्पिक खेती के तौर पर कर रहे औषधीय खेती कम लागत में कमाया जा सकता है ज्यादा मुनाफा कौटल्या फाइटो स्ट्रक्ट प्रा.लि. मुफ्त में देती है आर्टिमिशिया एनुआ का बीज अल्फा व अश्वगंधे की खेती की कर रहे तैयारी बड़हरिया (सीवान) : परंपरागत खेती प्रतिकूल मौसम के कारण घाटे का सौदा साबित हो रही है. […]
वैकल्पिक खेती के तौर पर कर रहे औषधीय खेती
कम लागत में कमाया जा सकता है ज्यादा मुनाफा
कौटल्या फाइटो स्ट्रक्ट प्रा.लि. मुफ्त में देती है आर्टिमिशिया एनुआ का बीज
अल्फा व अश्वगंधे की खेती की कर रहे तैयारी
बड़हरिया (सीवान) : परंपरागत खेती प्रतिकूल मौसम के कारण घाटे का सौदा साबित हो रही है. ऐसे में प्रखंड के कुछ किसान वैकल्पिक खेती के तौर पर औषधीय खेती कर अपनी आर्थिक हालत मजबूत करने में लगे हैं. इन किसानों का मानना है कि औषधीय पौधे की खेती से कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है.
किन किन औषधीय पौधों की हो रही खेती : प्रखंड के रामपुर चौकी हसन, यमुनागढ़, बड़हरिया, हरदिया, आदि गांवों के किसान विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधों की खेती कर अपनी माली हालत मजबूत करने में लगे हैं. इस प्रखंड के ज्यादातर किसान आर्टिमिशिया एनुआ की खेती कर रहे हैं.
बता दे कि रामपुर के सत्येंद्र साह आठ एकड़, चौकी हसन के सत्येंद्र सिन्हा सात एकड़, यमुना गढ़ के असलम 12 एकड़, हरदिया के सुजीव कुमार तीन एकड़, भगवान दास व अरुण मिश्र 10 एकड़ में आर्टमिशिया एनुआ की खेती कर रहे हैं. किसान सत्येंद्र साह ने बताया कि फसल तैयार हो चुकी है, जिसकी अब कटनी शुरू होने वाली है.
उन्होंने बताया कि इस औषधीय पौधे की पत्तियां 30 रुपये प्रति किलो की दर से बेची जायेंगी. एक एकड़ में 30 हजार रुपये मुनाफा होने का अनुमान है. इस पौधे की खूबी यह है कि इसकी फसल तीन माह में तैयार हो जाती है.
उन्होंने बताया कि इसका बीज कौटल्या फाइटो स्ट्रक्ट प्रा.लि. द्वारा मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है. साथ ही यह कंपनी औषधीय पौधे की खेती के लिए प्रोत्साहित करती है. कौटल्या ग्रुप के चेयरमैन संजीव श्रीवास्तव कई बार खुद आकर फसल को देख चुके है.
साथ ही वे आकर आवश्यक सुझाव भी देते रहे हैं. श्री साह ने बताया कि कौटल्या ग्रुप ही फसल को खरीद लेता है. इसलिए हमें बाजार में भटकने की जरूरत नहीं है. बता दें कि आर्टमिशिया एनुआ से मलेरिया की अचूक दवा बनती है.
कौटल्या ग्रुप के चेयर मैन संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि इस वर्ष प्रखंड के चौकी हसन में सत्येंद्र सिन्हा के दो एकड़ जमीन में अल्फा की सफल प्रायोगिक खेती हुई है.
उन्होंने बताया कि इस पौधे का उपयोग दिमागी दवाओं के निर्माण में होता है. इस खेती के सफल प्रयोग के बाद प्रखंड के विभिन्न गांवों में एक हजार एकड़ में इसकी खेती की योजना बनायी गयी है. इस खेती से प्रति एकड़ एक लाख रुपये की आमदनी का अनुमान है. वहीं इस वर्ष से ताकत की दवा में प्रयोग होने वाले अश्वगंधा की खेती की योजना बनायी गयी है. कौटल्या ग्रुप के चेयर मैन श्री श्रीवास्तव ने बताया कि इसके लिए प्रखंड के हरिहरपुर, लालगढ़, रामपुर, हरदियां आदि को चिह्न्ति किया गया है, जहां जून से अगस्त तक अश्वगंधा की खेती की जायेगी.
जागरूक किसान सत्येंद्र सिन्हा ने बताया कि आर्ट मिशिया एनुआ को रतलाम इप्का प्रयोगशाला में , अल्फा को नेचुरल रमेडी में व अश्व गंधा डाबर कोलकाता भेजा जाता है. बहरहाल विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधों की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में लगे किसानों में इसको लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है. भविष्य में व्यापक पैमाने पर औषधीय पौधे की खेती होने की उम्मीद जतायी जा रही है.
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