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मोदी की लोकप्रियता से परेशान है कांग्रेस

महाराजगंज : भाजपा नेता अनूप तिवारी ने अनुमंडल क्षेत्र के लकड़ी नबीगंज प्रखंड अंतर्गत बीडीएस पब्लिक स्कूल मदारपुर में कहा कि नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता को देख कांग्रेस हतास है. कांग्रेसियों के पास अब कोई मुद्दा नहीं है. कांग्रेस की सरकार घोटाले में सनी रही. लेकिन जनता अब कांग्रेस की राजनीति को अच्छी तरह […]

महाराजगंज : भाजपा नेता अनूप तिवारी ने अनुमंडल क्षेत्र के लकड़ी नबीगंज प्रखंड अंतर्गत बीडीएस पब्लिक स्कूल मदारपुर में कहा कि नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता को देख कांग्रेस हतास है.

कांग्रेसियों के पास अब कोई मुद्दा नहीं है. कांग्रेस की सरकार घोटाले में सनी रही. लेकिन जनता अब कांग्रेस की राजनीति को अच्छी तरह जान चुकी है. दुनिया का शक्तिशाली देश अमेरिका अब भारत के साथ बराबरी के विकास का बात करता है. यह प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व की बात है. इस अवसर पर दिलीप सिंह, उपेंद्र पांडेय, संतोष कुमार सिंह, वीरेंद्र कुशवाहा, मेराज अहमद आदि उपस्थित थे.

सूबे का पासपोर्ट जिला है सीवान

सिपाही से लेकर दारोगा तक की बनी पहली पसंद

बिहार में प्रति वर्ष बनने वाले पासपोर्ट का करीब 25 प्रतिशत सीवान जिले में बनता है. वर्ष 2014-15 में करीब 44 हजार लोगों का पासपोर्ट बना. इसी कारण सीवान को पुलिस महकमे में अघोषित रूप से पासपोर्ट जिले के नाम से जाना जाता है. पुलिस महकमे के सिपाही से लेकर दारोगा तक अपनी सीवान जिले में पोस्टिंग कराना चाहते हैं, ताकि उन्हें अच्छी आमदनी हो सके.

एक अनुमान के मुताबिक जिले में पासपोर्ट इंक्वायरी के मद में पांच करोड़ से ज्यादा की उगाही होती है. जो प्रति थाना की हिस्सेदारी प्रति माह करीब 1.5 लाख रुपये तक आती है. ऐसे में थानाध्यक्ष इसी उगाही में व्यस्त रहते हैं, तो प्रश्न उठता है कि कैसे सुधरेगी जिले की कानून व्यवस्था.

सीवान : वर्ष के शुरुआती प्रथम पांच माह में ही करीब चार दर्जन से अधिक हत्या व लूट आदि की आपराधिक घटनाएं हो चुकी हैं, जो पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान खड़े कर रही हैं.

थाने में कोई भी काम बिना चढ़ावे के संभव नहीं है. वहीं पासपोर्ट इंक्वायरी तो अवैध कमाई का जरिया ही है. प्राप्त सूचना के अनुसार थाने में इसकी दर न्यूनतम एक हजार से लेकर दो हजार रुपये तक है. इसके साथ ही आचरण प्रमाणपत्र के लिए भी बड़े पैमाने पर थानों में आवेदन पहुंचते है और यह काम भी बिना चढ़ावे के नहीं होता है. कुल मिला कर सभी थानों पर बिचौलियों का कब्जा है और उसके माध्यम से ही साधारणत: काम होता है.

एफआइआर से लेकर सनहा तक दर्ज करने के लिए आम आदमी को बार-बार दौड़ाया जाता है. एफआइआर की कॉपी के लिए भी चढ़ावा लिया जाता है. नियमानुसार हाथों हाथ सनहा की कॉपी मिलनी चाहिए. परंतु सभी थानों में इसका बैक लॉग चल रहा है. कई दिनों के बाद सनहा की कॉपी दी जाती है. कुल मिला कर थानों का ध्यान कमाई पर है. उसे कानून व्यवस्था में सुधार, लोगों की सुरक्षा आदि से कोई विशेष वास्ता नहीं रह गया है.

प्रथम चार माह में जिले में हुई 21 हजार पासपोर्ट की इंक्वायरी : पासपोर्ट शाखा प्रभारी फेराज हुसैन के मुताबिक प्रथम चार माह में ही 21 हजार से अधिक पासपोर्ट इंक्वायरी हो चुकी है. इस साल यह आंकड़ा 60 हजार से अधिक पहुंचने की उम्मीद है. 2012 में 21033 व 2013 में 27215 पासपोर्ट इंक्वायरी हुई थी. जिले में इसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.

सोशल पुलिसिंग बनी मजाक

एक तरफ सरकार द्वारा पुलिस को पब्लिक फ्रेंडली बनाने का प्रयास किया जा रहा है और सोशल पुलिसिंग पर विशेष ध्यान देने का आदेश है. जनता की समस्याओं के निदान, जनहित व कानून व्यवस्था बनाये रखना पुलिस का प्रथम कर्तव्य बताया जाता है. लेकिन पुलिस की कार्रवाई से लगता है कि सोशल पुलिसिंग नहीं बल्कि शोषण पुलिसिंग का दौर चल रहा है.

क्या कहते हैं एसपी

इस तरह की मामला हमारे संज्ञान में नहीं है. अगर जनता से कोई पैसे की मांग करता है, तो सीधे बताये. कड़ी कार्रवाई की जायेगी. इस मामले की जांच कर कार्रवाई होगी.

विकास वर्मन, पुलिस कप्तान, सीवान

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