प्रभात पड़ताल तीन माह पूर्व मस्तान की गिरफ्तारी के बाद उसे थानाध्यक्ष पचरुखी ने छोड़ दिया था चांप निवासी मस्तान को सराय पुलिस ने गिरफ्तार कर सौंपा थासीवान. अगर पचरुखी पुलिस सतर्क होती और हिरासत में लिए गये जुनैद मियां उर्फ छोटे मस्तान को थानाध्यक्ष द्वारा बिना उच्चाधिकारियों की जानकारी के छोड़ा नहीं गया होता, तो संभवत: चांप पंचायत के पूर्व उपमुखिया सह भाजपा नेता राजाराम पर जानलेवा हमले की घटना नहीं होती. मिली जानकारी के अनुसार मस्तान की पचरुखी पुलिस को तलाश थी. सहायक सराय थाने के चांप निवासी जुनैद मस्तान की गिरफ्तारी में पचरुखी थानाध्यक्ष सैयद अंसारी ने स्थानीय थानाध्यक्ष से सहयोग मांगा है. करीब तीन माह पहले सराय थानाध्यक्ष द्वारा पचरुखी पुलिस को सौंपे जाने की बात सामने आ रही है. मस्तान को पचरुखी थानाध्यक्ष द्वारा मनमानी कर छोड़ देने की बात सामने आ रही है. हालांकि कोई इसके संबंध में मुंह खोलने को तैयार नहीं है. इसी बीच 28 अप्रैल को राजाराम साह पर जानलेवा हमला हो गया. बड़हरिया से धर्मेंद्र पटेल की गिरफ्तारी से इस घटना का परदाफास हुआ और मस्तान भी शनिवार को पुलिस के हत्थे चढ़ गया. पचरुखी थाने द्वारा उच्चाधिकारियों को जानकारी दिये बिना कुख्यात मस्तान को छोड़ देने की चर्चा के बाद यह बात आम है कि अगर मस्तान को नहीं छोड़ा गया होता तो संभवत: इतनी बड़ी घटना नहीं होती. क्या कहते हैं एसपी यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है. इसकी जांच करायी जायेगी. अगर यह बात सच साबित होती है, तो कड़ी कार्रवाई की जायेगी. विकास वर्मन, पुलिस कप्तान, सीवान
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पचरुखी पुलिस की लापरवाही है राजाराम पर हमले का कारण !
प्रभात पड़ताल तीन माह पूर्व मस्तान की गिरफ्तारी के बाद उसे थानाध्यक्ष पचरुखी ने छोड़ दिया था चांप निवासी मस्तान को सराय पुलिस ने गिरफ्तार कर सौंपा थासीवान. अगर पचरुखी पुलिस सतर्क होती और हिरासत में लिए गये जुनैद मियां उर्फ छोटे मस्तान को थानाध्यक्ष द्वारा बिना उच्चाधिकारियों की जानकारी के छोड़ा नहीं गया होता, […]
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