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हड़ताल पर शिक्षक, बेहाल छात्र व अभिभावक
सरकार व हड़ताली शिक्षकों के बीच सकारात्मक वार्ता न होने से आंदोलन के लंबा खिंचने के आसार नियोजित शिक्षकों की हड़ताल का करीब एक माह होने जा रहा है. वहीं इनके समर्थन में प्राथमिक से उच्च विद्यालयों तक के शिक्षक भी सड़क पर उतर आये हैं. इसके कारण जिले के सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं का […]
सरकार व हड़ताली शिक्षकों के बीच सकारात्मक वार्ता न होने से आंदोलन के लंबा खिंचने के आसार
नियोजित शिक्षकों की हड़ताल का करीब एक माह होने जा रहा है. वहीं इनके समर्थन में प्राथमिक से उच्च विद्यालयों तक के शिक्षक भी सड़क पर उतर आये हैं. इसके कारण जिले के सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं का पठन-पाठन बाधित है. सिका खामियाजा छात्र व अभिभावक भुगतने को मजबूर हैं.
वहीं मैट्रिक की कॉपियों का मूल्यांकन नहीं होने के कारण इसके रिजल्ट में विलंब हो सकता है. इससे कॉलेजों में नामांकन कराने में छात्रों को परेशानी होगी. दूसरी ओर सरकार व हड़ताली शिक्षकों के बीच सकारात्मक वार्ता न होने से आंदोलन के लंबा खिंचने के आसार बढ़ते जा रहे हैं.
सीवान : विधानसभा चुनाव करीब आते ही हड़तालों का दौर चल पड़ा है. इसी क्रम में नियोजित शिक्षकों की हड़ताल के तकरीबन एक माह पूरे होने को है.
वहीं इनके आंदोलन को मजबूती प्रदान करने के लिए प्राथमिक से उच्च विद्यालयों तक के शिक्षक अब सड़क पर उतर आये हैं,जिसके चलते जिले में शिक्षण कार्य पूरी तरह बाधित हो गया है.
इसका खामियाजा छात्र से लेकर उनके अभिभावक सीधे भुगतने को मजबूर हैं. उधर, सरकार व हड़ताली शिक्षकों के बीच सकारात्मक वार्ता न होने से आंदोलन के लंबा खिंचने के आसार बढ़ते जा रहे हैं.शिक्षकों के हड़ताल के राह पर चलने से अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. इसके चलते टकराव बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं.
गुजर गया एक माह, नये सत्र में नहीं चली कक्षाएं : अप्रैल माह से शैक्षिक सत्र शुरू हो गया है. नये सत्र में अप्रैल माह से ही हर वर्ष नामांकन होता है. पर शिक्षकों की हड़ताल के चलते इस बार विद्यालयों में नामांकन का कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है. ऐसे में कक्षाएं शुरू नहीं होने से शिक्षण सत्र पिछड़ने का खतरा मंडराने लगा है.
जिले में हड़ताल से प्रभावित हैं 6.95 लाख छात्र : प्राथमिक विद्यालयों के नियोजित शिक्षकों की वेतनमान की मांग को लेकर नौ अप्रैल से हड़ताल शुरू हुई, जिसमें एक मई से उच्च विद्यालय के भी स्थायी व नियोजित शिक्षकों के शामिल हो जाने के चलते हड़ताल में शत-प्रतिशत विद्यालय शामिल हो गये हैं, जिनके छात्रों की संख्या छह लाख 95 हजार से अधिक है.
इसमें प्राथमिक व मध्य विद्यालयों के तकरीबन पांच लाख 50 हजार तथा उच्च विद्यालय के एक लाख 45 हजार छात्र शामिल हैं, जिनकी पढ़ाई हड़ताल से बाधित हो गयी है.
जिले के 2219 विद्यालय हैं हड़ताल की राह पर : जिले में हड़ताल का व्यापक असर दिख रहा है.हड़ताल के चलते चंद विद्यालयों को छोड़ दो हजार 219 विद्यालय अब शामिल हो गये हैं, जिसमें प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की संख्या दो हजार 127 है.
इनके अलावा उच्च विद्यालयों के कतार में शामिल 11 प्रोजेक्ट तथा 81 राजकीयकृत विद्यालय शामिल हैं.
इन विद्यालयों में से अधिकतर का ताला तक नहीं खुल रहा है. चंद विद्यालय वहीं खुल रहे हैं,जहां ऐसे शिक्षक तैनात हैं, जिनकी सेवानिवृत्ति में अब छह माह का समय शेष रह गया है. इन शिक्षकों को शिक्षक संगठनों ने ही हड़ताल पर न होने संबंधित लिखित सूचना विभागीय अधिकारियों को दे देने की सलाह दी है.
पुस्तकों का नहीं हुआ वितरण : हड़ताल के चलते पुस्तकों के वितरण का कार्य शुरू नहीं हो सका है.प्राथमिक व मध्य विद्यालय के छात्रों को नि:शुल्क पुस्तकें दी जाती हैं. शिक्षकों की हड़ताल के कारण जिले को आपूर्ति की गयी पुस्तकें गोदाम में पड़ी हैं. शासन से अब तक जिले को तकरीबन डेढ़ लाख से अधिक पुस्तक प्राप्त हो चुकी हैं. शेष पुस्तकें आने की प्रक्रिया में हैं. पर हड़ताल के कारण पुस्तक की आपूर्ति से लेकर वितरण तक का कार्य ठप है.
50 फीसदी कक्षाओं में नहीं हुआ नामांकन : हड़ताल का असर नामांकन पर सीधा पड़ा है. हाल यह है कि उच्च विद्यालयों में भी हड़ताल के कारण नामांकन कार्य बाधित हुआ है.विभाग का दावा है कि 50 फीसदी कक्षाओं में नामांकन पूरा हुआ है. ऐसे में 50 फीसदी नामांकन लक्ष्य पूरा होने में अभी वक्त लगेगा.
हड़ताल से मैट्रिक के रिजल्ट आने में हो रहा विलंब : मैट्रिक परीक्षा के बाद कॅपियों के मूल्यांकन की जिम्मेदारी शिक्षकों पर है. हकीकत यह है कि हड़ताल के कारण कॉपियों का मूल्यांकन कार्य ठप है. ऐसे में मैट्रिक का रिजल्ट आने में विलंब होना स्वाभाविक है. ऐसे में राज्य के बाहर के विद्यालयों में नामांकन की उम्मीद लगाये छात्रों को निराशा हाथ लग सकती है.
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