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सलाह अस्पताल से, दवा व जांच बाजार से
सबको स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के सरकारी दावे के बीच जिले में हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं. इसके बाद भी आम आदमी को स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिल पा रहा है. सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मात्र सुविधा के नाम पर चिकित्सकीय सलाह ही मिल पा रही है. अन्य जांच व […]
सबको स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के सरकारी दावे के बीच जिले में हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं. इसके बाद भी आम आदमी को स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मात्र सुविधा के नाम पर चिकित्सकीय सलाह ही मिल पा रही है. अन्य जांच व दवा उन्हें बाहर करानी व खरीदनी पड़ रही है. इससे गरीब मरीजों को काफी परेशानी हो रही है.
सीवान : जिला मुख्यालय में सबसे अधिक स्वास्थ्य इंतजाम के सरकारी दावों के विपरीत हकीकत यह है कि यहां आये मरीजों को मात्र स्वास्थ्य सलाह ही मिल पाती है. सोमवार को यहां जीरादेई प्रखंड के रेपुरा गांव की उर्मिला देवी इलाज कराने के लिए पहुंची थी. बतौर उर्मिला पांच दवाएं चिकित्सक ने लिखीं, जिसमें से मात्र एक दवा ही यहां मिल मायी.
शेष दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ीं.पैथोलॉजिकल जांच बाजार से कराने की मजबूरी : सदर अस्पताल में पैथोलॉजिकल जांच की विभाग ने व्यवस्था की है.जबकि हकीकत यह है कि यहां आये अधिकतर मरीजों को जांच की सुविधा नहीं मिल पाती है. इसके पीछे कभी कर्मचारियों की कमी, तो कभी जांच की सामग्री न होने की बहानेबाजी की जाती है. ऐसे में मजबूरन लोगों को बाजार से जांच करानी पड़ती है.
जांच में खर्च होती है बड़ी रकम : सदर अस्पताल में जांच की सुविधा जहां नि:शुल्क है, वहीं यह व्यवस्था न मिलने से लोगों को प्राइवेट केंद्रों पर जांच करानी पड़ रही है. इसमें लोगों को बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है.सदर अस्पताल में टेली मेडिसिन सेंटर के अलावा सरकारी जांच के केंद्र भी हैं. ओपीडी में होनेवाली जांच के लिए कोई रकम नहीं लगती है. टीसीडीएल, हेमोग्लोबीन, मलेरिया व कालाजार,अल्ट्रासाउंड तथा एक्स रे जांच की नि:शुल्क व्यवस्था है.लेकिन आम तौर पर अधिकतर जांच यहां नहीं होती है.
जांच पर खर्च होनेवाली रकम
जांच टेली मेडिसिन सेंटर निजी सेंटर
हेपेटाइटीस बी 40 रुपये 200-850 रुपये
इसीजी 50 रुपये 250-300 रुपये
रूटीन यूरीन 30 रुपये 50 रुपये
हेमोग्लोबीन 40 रुपये 50 रुपये
ब्लड शूगर 30 रुपये 30 रुपये
यूपीटी 30 रुपये 80 रुपये
मलेरिया 40 रुपये 50-200 रुपये
सरकारी अस्पताल से प्राइवेट केंद्र तक फैले हैं बिचौलिये : स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बिचौलियों का वर्चस्व कायम है. सरकारी अस्पताल में इलाज कराने आये मरीजों पर ये नजर रखते हैं. ये बिचौलिये ही अस्पताल से मरीज को बरगला कर प्राइवेट केंद्र तक पहुंचाते हैं. इसके बदले उन्हें बंधी हुई रकम मिलती है. ऐसे में बिचौलियों के सहारे प्राइवेट केंद्रों का कारोबार चल रहा है. ये लोग अपनी कोशिशों से सरकारी केंद्र के इंतजाम को प्रभावित भी करते हैं.
एंबुलेंस सेवा भी अब प्राइवेट के भरोसे : स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को तीन एंबुलेंस उपलब्ध कराये हैं, जबकि मौजूदा समय में मात्र एक एंबुलेंस ही चालू हालत में हैं अन्य दो एंबुलेंस हाल के दिनों में सदर अस्पताल में उपद्रव के दौरान प्रदर्शनकारियों ने जला कर क्षतिग्रस्त कर दिये. इसके चलते अब अधिकतर मरीजों को प्राइवेट एंबुलेंस के भरोसे ही रहना पड़ता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
सरकारी अस्पताल में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएं मरीजों को उपलब्ध करायी जाती हैं. दवाओं की मांग के अनुसार आपूर्ति न होने से परेशानी हो रही है.जांच के भी सदर अस्पताल में अधिकतर इंतजाम हैं. दो एंबुलेंसों को पिछले दिनों आंदोलनकारियों ने जला दिया तथा एक को क्षतिग्रस्त कर दिया है, जिसके चलते कार्य बाधित हो रहा है.
डॉ अनिल कुमार चौधरी, सिविल सजर्न,सीवान
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