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कर्मियों की कमी झेल रहा विभाग

* 1022 ट्रांसफॉर्मरों के लिए एक इलेक्ट्रिशियन है नियुक्त।। मनीष गिरि ।। सीवान : आखिर क्यों न बिजली विभाग में तैनात अधिकारी, इंजीनियर और कर्मचारी इस्तीफा दें. क्यों जिले का बिजली विभाग कर्मचारियों की कमी से परेशान है. पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों के नहीं रहने के कारण उसका प्रतिकूल प्रभाव कार्यरत कर्मचारियों को भुगतना पड़ […]

* 1022 ट्रांसफॉर्मरों के लिए एक इलेक्ट्रिशियन है नियुक्त
।। मनीष गिरि ।। सीवान : आखिर क्यों न बिजली विभाग में तैनात अधिकारी, इंजीनियर और कर्मचारी इस्तीफा दें. क्यों जिले का बिजली विभाग कर्मचारियों की कमी से परेशान है. पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों के नहीं रहने के कारण उसका प्रतिकूल प्रभाव कार्यरत कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है, जिस कारण वे काफी दबाव महसूस कर रहे है. साथ ही वरीय पदाधिकारियों के कोप भाजन का शिकार भी बनना पड़ रहा है. जिसका ताजा उदहारण है हाल ही में दो विद्युत अभियंताओं का काम के दबाव व मानसिक तनाव के कारण इस्तीफा देना है.

* क्या है संरचना
19 प्रखंडों वाले इस जिले को चार विद्युत अवर प्रमंडलों में बांटा गया है,इनमें मैरवा, महाराजगंज,सीवान शहर व सीवान ग्रामीण क्षेत्र शामिल हैं. संरचना के हिसाब से मुख्य कार्यपालक अभियंता के बाद एसडीओ का पद आता है, जिनके नीचे जूनियर इंजीनियर कार्य करते है. इनके बाद पांच जूनियर इंजीनियर, लाइन मैन, कुशल श्रमिक व अकुशल श्रमिक आते है.

इस हिसाब से जूनियर इंजीनियर के बाद 25 कर्मचारियों की आवश्यक्ता है. वहीं मैरवा में दो जूनियर इंजीनियर, महाराजगंज में तीन जूनियर इंजीनियर, सीवान शहरी क्षेत्र के सेक्शन एक और दो में एक – एक जूनीयर इंजीनियर व सीवान ग्रामीण में तीन जूनीयर इंजीनियरों का पद है.

* नगण्य संख्या में हैं कर्मी
पूरे जिले में 1700 किलो मीटर के क्षेत्र में लगे विद्युत तार, जिसमें 200 किलो मीटर में 33 केवीए, 500 किमी. में 11 केवीए व 1000 किलो मीटर से ऊपर एलटी का जाल बिछा है, जिसकी देखभाल के लिए पूरे जिले में मात्र 25-30 कर्मचारी हैं, जबकि प्रखंड वार कम-से-कम एक जूनियर इंजीनियर सहित 200 से 250 कर्मचारियों की आवश्यक्ता है.

* क्या होती है परेशानी
पर्याप्त संख्या में मेंटेनेंस के लिए कर्मियों के नही होने के कारण सीधे तौर पर विद्युत की सतत आपूर्ति में बाधा पहुंचती है. वहीं सभी अवर विद्युत प्रखंड प्राइवेट मिस्त्री के सहारे संचालित हो रहे हैं. जो तकनीकी रूप से अक्षम भी हैं. कभी- कभी फाल्ट दूर करने के बजाय इनसे और समस्या उत्पन्न हो जाती है.

गौर करने वाली बात ये है कि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को छोड़ कर पूरे जिले में 1022 ट्रांसफॉर्मर लगे हैं, जिनकी देख-रेख के लिए मात्र एक इलेक्ट्रीशियन है. कर्मचारी की कमी होने के कारण बाकी बचे कर्मियों को इसका सीधे तौर पर दंश झेलना पड़ रहा है. पदाधिकारियों से उपभोक्ताओं तक की फटकार झेल कर काम करने वाले ये कर्मी काफी दबाव महसूस कर रहे हैं. फिलहाल 10 जूनीयर इंजीनियरों में से दो को निलंबित कर दिया गया वहीं दो सहायक कार्यपालक अभियंताओं ने पिछले सप्ताह दबाव में आकर इस्तीफा दे दिया.

* क्या कहते हैं कार्यपालक अभियंता
सीवान डिवीजन के मुख्य कार्यपालक अभियंता मिथिलेश कुमार ने बताया कि कर्मचारियों की कमी के कारण कई प्रकार की समस्याओं से दो -चार होना पड़ता है. फिर भी प्रयास यही रहता है कि जितने कर्मचारी हैं, उन्हीं लोगों को साथ लेकर चला जाये व बेहतर सेवा दी जाये.

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