Advertisement
अब तक 24 पुरुषों ने करायी नसबंदी
सीवान : जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिवार नियोजन के तहत चलाये जा रहे कार्यक्रमों की अब तक निराशाजनक प्रगति रही है. जिसके चलते अभियान अब तक फ्लॉप साबित हो रहा है.आंकड़ों के मुताबिक लक्ष्य से नसबंदी कार्यक्रम पचहत्तर फीसदी पीछे है. वर्ष 2014-15 में करीब साढ़े दस माह गुजर जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग […]
सीवान : जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिवार नियोजन के तहत चलाये जा रहे कार्यक्रमों की अब तक निराशाजनक प्रगति रही है. जिसके चलते अभियान अब तक फ्लॉप साबित हो रहा है.आंकड़ों के मुताबिक लक्ष्य से नसबंदी कार्यक्रम पचहत्तर फीसदी पीछे है.
वर्ष 2014-15 में करीब साढ़े दस माह गुजर जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने परिवार नियोजन के ऑपरेशन में करीब 25 प्रतिशत ही लक्ष्य को प्राप्त कर सका है. जिले की आबादी करीब 35 लाख 57 हजार है. इसका एक प्रतिशत यानी करीब 35 हजार परिवार नियोजन का ऑपरेशन करने का लक्ष्य जिले का है.
अब तक मात्र 8732 जिले में परिवार नियोजन के तहत नसबंदी हुई है.इसमें से 24 पुरुषों का एनएसबी ऑपरेशन भी शामिल है. लक्ष्य हासिल नहीं होने के पीछे अधिकारी नाकामी का ठीकरा लोगों पर फोड़ने में लगे हैं.जबकि लोगों का कहना है कि पीएचसी हो या सदर अस्पताल परिवार नियोजन का ऑपरेशन कराने आने वाली महिलाओं को काफी भटकना पड़ता है.
जिले में सजर्न व निषेचक की है कमी : जिले के प्राय: सभी सरकारी अस्पतालों में सजर्न व निषेचक की व्यवस्था नहीं होने से परिवार नियोजन का कार्यक्रम बाधित है. जिससे लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पा रही है.जिले के हसनपुरा,जीरादेई,लकड़ी नबीगंज जैसे कई अस्पताल है जहां समुचित ओटी की भी व्यवस्था नहीं है. अधिकारियों का जब दबाव पड़ता है तो किसी तरह मैनेज कर नसबंदी करायी है.
ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में आवश्यक जांच की भी सुविधा नहीं है.पंचायत में काम करने वाली आशा कार्यकर्ता महिलाओं को समझाकर किसी तरह पीएचसी में लाती हैं. लेकिन, वहां जाने के बाद पता चलता है कि ऑपरेशन करने के लिए कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं है. कई बार तो महिलाएं दिन भर बिना खाये रह जाती हैं, तो शाम में पता चलता है कि ऑपरेशन कल होगा.
परिवार नियोजन के दूसरे तरीके में अव्वल है पीएचसी : परिवार नियोजन के तरीका ऑपरेशन के अलावे कॉपर टी, कंडोम तथा ओरेल पी भी है. जिले के कई ऐसे पीएचसी हैं जो ऑपरेशन के मामले में तो फिसड्डी हैं, लेकिन कॉपर टी,कंडोम तथा ओरल पी में सबसे आगे हैं. 20 हजार 988 महिलाओं को कॉपर टी,37 हजार 494 महिलाओं ने ओरल पी तथा तीन लाख 59 हजार 813 कंडोम का वितरण किया गया है. इस आंकड़े में कितनी सच्चई है.
इसका तो खुलासा फिजिकल जांच के बाद संभव है. जिले में एक मात्र सदर अस्पताल ही एक ऐसा सरकारी अस्पताल है, जहां सही तरीके से कॉपर टी लगाया जाता है. यहां जितना भी कॉपर टी लगाया जाता है उसमें से 80 प्रतिशत महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों की है. इसके बाबजूद साल भर में दो सौ भी कॉपर टी नहीं लग पाता है. जिले में कई ऐसे पीएचसी है जहां एक हजार से अधिक कॉपर टी लगाये जा चुके हैं.
पुरुषों को मिलता है अधिक प्रोत्साहन राशि : शासन का मानना है कि महिलाओं के अपेक्षा पुरुष नसबंदी कराने में उत्सुकता कम दिखाते हैं. इसे देखते हुए प्रोत्साहन राशि पुरुषों के लिए अधिक रखी गयी है. पुरुषों को नसबंदी कराने पर दो हजार रुपये तथा महिलाओं को एक हजार चार सौ रुपये दिये जाते हैं. इस अंतर के बाद भी आंकड़ों में पुरुषों के नसबंदी की संख्या बढ़ती नजर नहीं आ रही है. इसको लेकर विशेषज्ञ चिकित्सकों का मानना है कि अभी भी पुरूषों में नसबंदी के प्रति गलत धारणा है.
जिले की कुल आबादी 35 लाख 57 हजार
ऑपरेशन का लक्ष्य 35 हजार
कुल ऑपरेशन अब तक हुए 8732
कॉपर टी महिलाओं को लगा 20988
कंडोम का वितरण हुआ 3 लाख 59 हजार 813
ओरल पी का वितरण हुआ 37494
क्या कहते हैं नोडल पदाधिकारी
जिले में सजर्न डॉक्टरों की कमी है. जिसके कारण ऑपरेशन करने में परेशानी होती है. परिवार नियोजन का ऑपरेशन कराने में पुरुष रुचि नहीं लेते हैं. अब तक लक्ष्य से काफी कम ऑपरेशन हुए हैं. लक्ष्य को पुरा करने का प्रयास किया जा रहा है.
डॉ. सूर्यदेव चौधरी, नोड्ल पदाधिकारी, एसीएमओ
अब एक संतान पाने की भी बढ़ी है अवधारणा
परिवार नियोजन के कार्यक्रम की सफलता भले ही संदिग्ध है,पर हम दो हमारे दो की संकल्पना से अब लोगों के सोच और आगे बढ़ गया है. कई लोगों का मानना है कि एक संतान की बेहतर परवरिश करना श्रेयस्कर है. शहर के महादेवा निवासी संजय सक्सेना कहते हैं कि हमारी एक ही पुत्री है,जिसकी उम्र दस वर्ष है.हमने पांच वर्ष पूर्व ही नसबंदी करा ली.संजय जैसा हमारे बीच अनेक उदाहरण है. लोगों में हम दो हमारे दो के सरकारी नारे के बाद परिवार नियोजन के प्रति सक्रियता बढ़ी.लेकिन, अब हालात यह है कि दंपती अब एक ही सदस्य को पाने की भी इच्छा रखने लगी है.इसके पीछे अपनी आर्थिक संपन्नता के लिहाज से बच्चे की परवरिश में बेहतर भूमिका निभा सकते हैं.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement