* शिक्षा के साथ स्वास्थ्य पर भीदिया जाता है ध्यान
सीवान : आज के आधुनिक परिवेश में अच्छी शिक्षा के साथ संस्कार मिलना कठिन हो गया है. आधुनिकता के इस दौर में शिक्षा व संस्कार के मेल को खत्म होते देख अभिभावकों की चिंता बढ़ती जा रही है. शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक निजी विद्यालयों की संख्या में बढ़ोतरी तो हुई है, लेकिनशिक्षा व संस्कार को लेकर बहुत कम ही विद्यालय आगे आ पाते हैं. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अगर देखें तो विज्ञानानंद केंद्रीय विद्यालय इस मामले में सबसे आगे है.
जहां शिक्षा व संस्कार का मेल देखने को मिलता है. अभिभावक भी शिक्षा के साथ संस्कार को देख इस विद्यालय का नाम लेने से हिचक नहीं रहे हैं. विद्यालय की विधि व्यवस्था के कारण आज विज्ञानानंद अभिभावकों की पहली पसंद बन गया है. विद्यालय में बच्चों की शिक्षा के साथ उनके स्वास्थ्य पर भी विद्यालय पूर्ण रूप से ध्यान देता है.
विद्यालय में जहां बच्चों की शिक्षा के लिए अलग–अलग विषय वस्तु के विशेषज्ञ शिक्षकों की व्यवस्था है, वहीं शारीरिक फिटनेस व मानसिक फिटनेस के लिए फिजिकल व संगीत शिक्षक के साथ स्वास्थ्य जांच की सुविधा समय–समय पर उपलब्ध करायी जाती है.
* छात्रावास में है घरेलू माहौल
पढ़ाई के साथ बच्चों को छात्रावास में अगर घरेलू वातावरण मिले तो फिर क्या चाहिए. ये सारी सुविधाएं अपने बच्चों व अभिभावकों के लिए विज्ञानानंद कें द्रीय विद्यालय देता है. विद्यालय कैंपस में स्थित छात्रावास में घरेलू वातावरण देखने को मिलता है.
* क्या कहते हैं निदेशक
शिक्षा व संस्कार के बारे में विद्यालय के निदेशक बिलास गिरि का कहना है कि आधुनिकता के दौर में शिक्षा का व्यवसायीकरण हमारे समाज के लिए गंभीर समस्या बनता जा रहा है. जो ठीक नहीं है. बच्चों में शिक्षा के साथ संस्कार भी होना उतना ही आवश्यक है जितना कि जलते दीये के लिए तेल या घी का. हम अपने विद्यालय को बच्चों को दोनों ही देने का प्रयास करते रहे हैं.