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28 सौ में एक का ही जांच के बाद भुगतान क्यों?

गड़बड़ी . जांच ने जेबीएसवाई में आशा के गलत भुगतान की खोली पोल सीवान : जिले में करीब 28 सौ आशा कार्यकर्ता हैं. लेकिन सिर्फ पचरुखी प्रखंड की इटवा पंचायत की आशा अमना खातून द्वारा गर्भवती महिलाओं के पंजीकरण, टीकाकरण, प्रसव एवं बीसीजी के टीके लगवाने के बाद मिलनेवाली पारिश्रमिक का भुगतान जांच करने के […]

गड़बड़ी . जांच ने जेबीएसवाई में आशा के गलत भुगतान की खोली पोल
सीवान : जिले में करीब 28 सौ आशा कार्यकर्ता हैं. लेकिन सिर्फ पचरुखी प्रखंड की इटवा पंचायत की आशा अमना खातून द्वारा गर्भवती महिलाओं के पंजीकरण, टीकाकरण, प्रसव एवं बीसीजी के टीके लगवाने के बाद मिलनेवाली पारिश्रमिक का भुगतान जांच करने के बाद क्यों?
इस सवाल का जवाब आनेवाले समय में विभाग के पदाधिकारियों को देना होगा. मरीजों की सेवा में तत्पर आशा अमना की गलती बस यह है कि उसने लेखापाल की मर्जी के खिलाफ काम किया. इस कारण कई बार नोक-झोंक और मुकदमों के बाद जब अमना को अपना परिश्रममिक नहीं मिला, तो लोक शिकायत निवारण केंद्र में फरियाद लगायी. जिला लोक शिकायत निवारण केंद्र से अमना खातून के पक्ष में ही आदेश हुआ. उसने 57 प्रसूताओं के एएनसी और बीसीजी का टीका लगवाने का दावा किया. लेकिन, काफी जद्दोजहद के बाद विभाग ने पहले अमना के दावों की संबंधित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से जांच कराकर मात्र सात केसों का ही विभाग द्वारा 42 सौ रुपये का भुगतान किया गया. विभाग ने शेष दावों को फर्जी करार दिया. जेबीएसवाइ योजना के तहत फर्जी कागजात पेश कर दावा करने वाली अमना पहली आशा नहीं थी. सैकड़ों आशा ने फर्जी कागजात पेश कर भुगतान प्राप्त कर लिया. उनको पैसे इसलिए मिले कि उन्होंने लेखापाल के मनमुताबिक काम किया. अमना ने हारी नहीं मानी.
अपने शेष पारिश्रमिक के भुगतान के लिए लोक शिकायत केंद्र के प्रथम अपीलीय आयुक्त महोदय के यहां न्याय की गुहार लगायी. दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद आयुक्त ने अमना का शेष पारिश्रमिक पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर भुगतान करने का आदेश दिया. करीब दो माह तक आयुक्त के आदेश को विभाग के कर्मचारियों ने दबाये रखा. लेकिन जब आयुक्त के कार्यालय से इस संबंध में पूछताछ शुरू हुई, तो करीब डेढ़ माह पहले 36 सौ रुपये का भुगतान विभाग द्वारा करने की बात कही जा रही है.
सवाल यह है कि प्राथमिक चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा की गयी जांच में जब सात केस ही सही मिले, तो बाद के मामले कैसे सही हो गए. दूसरा सवाल यह है कि लोक शिकायत निवारण केंद्र का दरवाजा खटखटाने के बाद ही अमना को सात केसों का भुगतान क्यों दिया गया. . आशा अमना खातून ने मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी न्याय की गुहार लगायी. इस मामले में सारण के क्षेत्रीय अपर चिकित्सा पदाधिकारी ने मामले की जांच सीवान आकर की. बुधवार को इसी मामले में सदर अस्पताल के प्रभारी लेखपाल को आरडीडी ने तलब किया था.
क्या कहते हैं जिम्मेवार
ये बात सही है कि सारण के अपर क्षेत्रीय चिकित्सा पदाधिकारी ने आशा अमना के जेबीएसवाइ के पैसे के भुगतान की जांच की है. उसके जितने मामले सही थे, उसका दो बार में भुगतान कर दिया गया. शेष उसके दावें जांच में फर्जी निकले. करीब सौ से अधिक आशा ऐसी हैं, जिन्होंने जाली कागजात देकर भुगतान लेने का प्रयास किया है. इसमें फर्जी कागजात पेश कर भुगतान लेने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है
डॉ शिवचंद्र झा, सिविल सर्जन, सीवान

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