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अब तक सिर्फ तीन मामलों में हुआ आरोप का गठन

सीवान : बिहार सरकार द्वारा शराबबंदी लागू करने के लिए अप्रैल, 2016 से कानून में संशोधन किया गया है. उच्च न्यायालय के निर्देश पर व्यवहार न्यायालय के द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश को विशेष न्यायाधीश के पद पर पदस्थापित किया गया है. एडीजे दो को विशेष न्यायाधीश बने तीन माह गुजर गये हैं, लेकिन […]

सीवान : बिहार सरकार द्वारा शराबबंदी लागू करने के लिए अप्रैल, 2016 से कानून में संशोधन किया गया है. उच्च न्यायालय के निर्देश पर व्यवहार न्यायालय के द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश को विशेष न्यायाधीश के पद पर पदस्थापित किया गया है. एडीजे दो को विशेष न्यायाधीश बने तीन माह गुजर गये हैं, लेकिन अभी तक लगभग तीन मुकदमों में ही आरोप का गठन हो सका है. विशेष अभियोजक की उदासीनता उपरोक्त न्यायालय मुकदमों के अंबार व कार्यालय में लिपिक की कमी के कारण उत्पाद विभाग से जुड़े मुकदमों की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है. कई पक्षकार अपने मुकदमों के संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए नित्य कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन रेकॉर्ड का जायजा नहीं मिल पा रहा है.

2386 प्राथमिकियां निष्पादन के लिए लंबित : विशेष न्यायालय से जिला व सत्र न्यायाधीश के आदेश पर लगभग 300 सत्रवाद अन्य न्यायालयों में स्थानांतरित हुए हैं, परंतु अभी उत्पाद विभाग के अलावा विभिन्न तरह के 500 मुकदमों का अभिलेख लंबित है. आंकड़े बता रहे हैं कि उत्पाद विभाग को संशोधित अधिनियम 2016 से जुड़े एक अप्रैल से मई 2017 तक 2386 प्राथमिकियां हो चुकी हैं, जो निष्पादन के लिए लंबित हैं. इनमें विभिन्न थानों द्वारा 1357 तथा उत्पाद विभाग द्वारा 1039 मामले दर्ज हुए हैं. ये मामले निष्पादन के लिए लंबित है. जबकि उत्पाद विभाग से जुड़े 2000 पुराने मुकदमे भी विभिन्न न्यायालयों से आ गये हैं, जो कई वर्ष पहले से लंबित हैं. इन्हें भी विशेष न्यायालय द्वारा निष्पादित होना है.
शराबबंदी के बाद उत्पाद विभाग में आये 2386 मामले
अभियोजन द्वारा लापरवाही बरतने के चलते आ रहीं दिक्कतें
उत्पाद विभाग के मामले में नहीं हो पा रहा त्वरित निस्तारण
जब्त वाहनों की नीलामी प्रक्रिया की भी रफ्तार धीमी
सिर्फ 14 वाहनों की कीमत का हुआ है निर्धारण
उत्पाद विभाग व विभिन्न थाना द्वारा छापेमारी में लगभग 200 वाहन जब्त किये गये, जिन्हें संशोधित कानून द्वारा जिला प्रशासन को जब्त वाहनों को नीलाम कर राशि सरकार के खाते में जमा करनी है. वाहनों को नीलाम करने के लिए जिला दंडाधिकारी की अदालत से राजसत (नीलामी) की प्रक्रिया करनी है. राजसत की प्रक्रिया पूरी होने पर उत्पात विभाग मोटरयान निरीक्षक से वाहनों की कीमत निर्धारित करा कर वाहनों को जिला प्रशासन द्वारा नीलाम किया जायेगा. आंकड़ों पर नजर डालें, तो जिला दंडाधिकारी के न्यायालय द्वारा 27 चार पहिया व दोपहिया वाहनों को राजसत किया गया. इसमें मोटरयारन निरीक्षक द्वारा मात्र 15 वाहनों की कीमत निर्धारित कर उत्पाद विभाग कार्यालय को उपलब्ध करायी गयी है. इसकी कुल कीमत लगभग 5 लाख 88 हजार रुपये आंकी गयी है. विभिन्न थानों व उत्पाद विभाग द्वारा शराब तस्करों से लगभग 200 वाहन जब्त किये गये. इसे नीलाम की प्रक्रिया पूरी होने के लिए जिलाधिकारी के न्यायालय में 150 मुकदमे लंबित हैं. इस पर सुनवाई चल रही है.
मुकदमे बढ़ जाने से नहीं बढ़ पा रही प्रक्रिया
विशेष न्यायाधीश अवधेश कुमार दूबे के न्यायालय के उत्पाद विभाग से जुड़े पुराने व नये मुकदमे 4500 हो गये हैं. साथ ही प्रतिदिन 30-40 जमानत आवेदन की सुनवाई चल रही है. अचानक मुकदमों के अंबार लग जाने के कारण मुकदमों की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही है. सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार मुकदमों की प्रक्रिया आग बढ़ाने के लिए विशेष अभियोजक उदासीन हैं. कार्यालय कर्मी का अभाव व पूर्व से रेकाॅर्ड लंबित होना आड़े आ रहा है.

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