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डॉक्टर व संसाधन की कमियों से जूझ रहे मरीज

जीरादेई पीएचसी. जर्जर भवन में चल रहा अस्पताल, मरीज व चिकित्सक रहते हैं भयभीत जीरादेई : सूबे की सरकार जहां लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए नित्य नये-नये कदम उठा रही है. इस पर बड़ा बजट खर्च कर रही है. इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही […]

जीरादेई पीएचसी. जर्जर भवन में चल रहा अस्पताल, मरीज व चिकित्सक रहते हैं भयभीत
जीरादेई : सूबे की सरकार जहां लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए नित्य नये-नये कदम उठा रही है. इस पर बड़ा बजट खर्च कर रही है. इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्थापित जीरादेई पीएचसी की दशा काफी दयनीय है. मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बीमार व्यवस्था को खुद इलाज की दरकार है. यह अस्पताल डाॅक्टरों व संसाधनों की कमी से जूझ रहा है. अस्पताल का भवन काफी जर्जर हो गये हैं. इसमें रहना खतरे को दावत देना है. आलम यह है कि छत के छड़ दिखाई दे रहे हैं. छत के प्लास्टर टूट कर गिर रहे हैं. कर्मियों का कहना है कि हमेशा हादसे का भय बना रहता है. बरसात के दिनों में पानी टपकता है.
भवन पर थाने का कब्जा
अस्पताल के भवन पर थाने का कब्जा वर्षों से है. लोगों का कहना है कि थाना का अपना भवन नहीं है. सुरक्षा की दृष्टि से थाने की स्थापना की गयी. लेकिन भवन नहीं बनाया गया. भवन के अभाव में अस्पताल के एक भाग में थाना स्थापित किया गया. अस्पताल के भवन में थाना स्थापित होने से कमरा कम पड़ गया है. इससे कर्मियों को परेशानी होती है.
सृजित पदों के मुताबिक नहीं हैं चिकित्सक
प्रखंड में स्थापित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद, उप स्वास्थ्य केंद्र व अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सृजित पद के मुताबिक़ चिकित्सक व एएनएम नहीं है. इससे लोगों के साथ कर्मियों को परेशानी होती है. आये दिन कर्मियों को मरीजों व उनके परिजनों के कोप का शिकार होना पड़ता है.
प्रखंड में 18 स्वास्थ्य केंद्र व 4 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित है. 36 एएनएम के स्थान पर 26 ही पदस्थापित हैं. वहीं चार विशेषज्ञ चिकित्सक के सृजित पद पर 3 चिकित्सक हैं. 3 आयुष चिकित्सक से सेवा ली जा रही है, जो रोगियों का इलाज एलोपैथिक पद्धति से करते हैं.
विशेषज्ञ चिकित्सक की कमी के चलते लोगों को या तो प्राइवेट चिकित्सकों की सेवा लेनी पड़ती है या सदर अस्पताल, सीवान जाना पड़ता है. इससे आर्थिक व शारीरिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
रखरखाव के अभाव में खराब हो रही हैं दवाएं
भवन के अभाव के चलते रोगियों को दी जाने वाली दवाएं खराब हो रही हैं. वहीं, फर्नीचर व बेड भी खराब हो रहे हैं. जर्जर भवन का छत हल्का पानी भी बरदाश्त नहीं करता है. चिकित्सकों व कर्मियों का कहना है कि बरसात के दिनों में दवाएं खराब हो जाती हैं. हालांकि अस्पताल में आवश्यकता के मुताबिक़ दवाएं उपलब्ध हैं.
िमलती है बेहतर सुविधा
पीएचसी में संसाधनों का अभाव है एवं चाह कर भी ढंग से इलाज नहीं हो पाता है, क्योंकि केंद्र के भवन पर थाने का कब्जा है. वहीं, जो भवन है, वह जर्जर हो गये हैं. वरीय पदाधिकारियों को कई बार परेशानियों से अवगत कराया गया. उपलब्ध संसाधनों में ही मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध करने का प्रयास किया जाता है.
डॉ केके मिश्रा, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी

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