सीतामढ़ी : नगर के राजेंद्र भवन में आयोजित पुस्तक मेला में मंगलवार की संध्या भव्य कवि-सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार उमाशंकर लोहिया ने की. मंच संचालन बच्चा प्रसाद विह्वल ने किया. कवि सम्मेलन का आगाज गीतकार गीतेश की गजल ‘नहीं जिक्र में हम कहीं थे, वो गगन में, हम यहीं थे, नयनों की भाषा पढ़ने में, मैं गलत था, तुम सही थे’ से हुआ. रामकृष्ण वेदांती की रचना ‘चिरागों की तरह जलता रहा हूं मैं’,
प्रो वैदेही शरण की ‘जी करता है रच देता एक गुरु गहन महाकाव्य’, डॉ शत्रुध्न यादव की ‘जिसको दरिया में उतरना आ गया, उसको खतरों से गुजरना आ गया’ एवं जितेंद्र झा आजाद की रचना ‘मुस्कुरा के टाल दे जो गम के तूफान को, मौत के बाद भी दुनिया उसे सलाम करती है’ ने महफिल को गति प्रदान की. अलाउद्दीन बिस्मिल की रचना हर गमों की धूप में जलता रहा हूं मैं, खुशियों की जुस्तजू में भटकता रहा हूं मैं’ एवं उमाशंकर लोहिया की रचना ‘उठाओ सुलगते हुए सवाल के परचम, वर्तमान परिवेश के काल के परचम’ ने महफिल को जवां बना दिया.
राम किशोर सिंह चकवा रचना ‘एक जगह हो तो बता दूं दर्द कहां होता है’, सुरेश लाल कर्ण की ‘बदरा गरजे मनमा तरसे, झर-झर अंखियां से सावन बरसे’ रचना ने एक अलग छाप छोड़ दी. आशा प्रभात की गजल ‘जिसके हाथों में होगा हुनर दोस्तों, वो बनायेंगे पानी पर घर दोस्तों’, बच्चा प्रसाद विह्वल की ‘खुदगर्जी के दायरे में सिमट गये हैं लोग, तू नहीं मैं ही मैं से लिपट गये हैं लोग’ एवं मुरलीधर झा मधुकर की रचना ‘राधा की तरह कृष्ण की है प्रीत जिंदगी’ ने महफिल में इंद्रधनुषी छटा बिखेर दी.