कार्रवाई. डीएम के निर्देश पर एसएफसी के जिला प्रबंधक ने दर्ज करायी थाने में प्राथमिकी
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एजीएम पर होगी नीलामवाद की कार्रवाई
कार्रवाई. डीएम के निर्देश पर एसएफसी के जिला प्रबंधक ने दर्ज करायी थाने में प्राथमिकी सीतामढ़ी : जिले के मेजरगंज व सुप्पी प्रखंड में करोड़ों के सरकारी अनाज की कालाबाजारी के मामले में सुप्पी सह मेजरगंज के तत्कालीन एजीएम विजय कुमार मिश्रा के खिलाफ नीलामवाद की कार्रवाई होगी. डीएम ने इस बाबत एसएफसी के जिला […]
सीतामढ़ी : जिले के मेजरगंज व सुप्पी प्रखंड में करोड़ों के सरकारी अनाज की कालाबाजारी के मामले में सुप्पी सह मेजरगंज के तत्कालीन एजीएम विजय कुमार मिश्रा के खिलाफ नीलामवाद की कार्रवाई होगी.
डीएम ने इस बाबत एसएफसी के जिला प्रबंधक राजेंद्र उपाध्याय को पत्र भेज कर तत्कालीन एजीएम के खिलाफ उक्त कार्रवाई का आदेश दिया है. ताकि गबन की राशि की वसूली हो सके. पत्रांक 18 के तहत 13 जनवरी को एसएफसी के जिला प्रबंधक को भेजे गये पत्र में डीएम रीगा के तत्कालीन एजीएम पर भी कार्रवाई का निर्देश दिया गया है.
बताया गया है कि गरीबों के लिये सरकार द्वारा अतिरिक्त अनाज आवंटित किया गया था. जिसमें एसएफसी द्वारा अनाज का आवंटन तो कर दिया गया, लेकिन उक्त अनाज गरीबों को देने के बजाय कालाबाजार में बेच दिया गया. मामले में डीएम ने मेजरगंज के सहायक गोदाम मैनेजर विजय कुमार मिश्रा से गबन की राशि वसूलने का आदेश दिया है.
बताते चले की डीएम ने सोमवार को एसडीओ सदर संजय कृष्ण को मामले की अपने स्तर से जांच कराने व एक सप्ताह के भीतर प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया था. डीएम ने अपने आदेश में पूर्व में दिये गये आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं करने के लिये दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने व यह पता लगाने का आदेश दिया था कि पूर्व के आदेश के अनुपालन में किस स्तर पर कोताही बरती गयी है.
वर्तमान एजीएम भी सवालों के घेरे में: घोटाले को लेकर चर्चा में रहने वाले मेजरगंज के तत्कालीन एजीएम के खिलाफ जहां नीलामवाद की कार्रवाई की तैयारी हो रहीं है, वहीं वर्तमान एजीएम भी सवालों के घेरे में है.
खुद मेजरगंज बीडीओ सुमन सिंह ने वर्तमान एजीएम पर दो बिचौलियों के माध्यम से गरीबों के हक के करोड़ों का अनाज कालाबाजारी में बेच देने का आरोप लगाते हुए डीएम से शिकायत की है. वहीं डीएम ने बीडीओ की शिकायत पर एसडीओ को मामले की जांच का आदेश दिया है. इसके आलोक में एसडीओ ने मेजरगंज के वर्तमान एजीएम को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है.
प्राथमिकी में डोर स्टेप डिलेवरी के परिवहन अभिकर्ता का नाम नहीं होने पर सवाल: मेजरगंज में 65 लाख रुपये के सरकारी अनाज के गबन मामले में मेजरगंज थाने में दर्ज प्राथमिकी में डोर स्टेप डिलेवरी के परिवहन अभिकर्त्ता का नाम नहीं होने को लेकर सवाल उठने लगे है. वजह सरकारी अनाज के गबन के मामले में अब तक जो भी प्राथमिकी दर्ज हुई है, उसमें संबंधित एजीएम, सहायक लेखा पदाधिकारी व आइटी मैनेजर के साथ डोर स्टेप डिलेवरी के परिवहन अभिकर्ता को भी आरोपी बनाया गया है. रून्नीसैदपुर व सोनबरसा में दर्ज मामले इसकी गवाही देते है.
मेजरगंज का भी मामला रून्नीसैदपुर व सोनबरसा जैसा ही है. रून्नीसैदपुर व सोनबरसा में डोर स्टेप डिलेवरी के परिवहन अभिकर्ता दिलीप साह के खिलाफ भी मामला दर्ज कराया गया था. वजह गोदाम से डीलर तक अनाज पहुंचाने की बड़ी जिम्मेदारी परिवहन ठेकेदार पर होती है. मेजरगंज में भी फर्जी परमिट पर अनाज का उठाव कर आवंटित कर दिया गया. डीलर तक अनाज पहुंचा नहीं और डोर स्टेप डिलेवरी के परिवहन अभिकर्ता अशोक कुमार ने ढुलाई मद की लाखों की राशि विभाग से प्राप्त भी कर लिया.
विभाग द्वारा द्वारा जांचे ही परिवहन अभिकर्ता को भुगतान भी कर दिया गया और जब मामला सामने आया तो केवल एजीएम, सहायक लेखा पदाधिकारी व आइटी मैनेजर के खिलाफ ही प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. लेकिन डोर स्टेप डिलेवरी के परिवहन अभिकर्ता पर एसएफसी ने दरियादिली दिखा दी.
हालांकि परिवहन अभिकर्ता का नाम प्राथमिकी में दर्ज नहीं होने पर सवाल उठ रहे है. बताया जा रहा है कि खाधान्न के काले कारोबार में शामिल एक राजनेता के इशारे पर परिवहन अभिकर्ता को एसएफसी ने बख्स दिया है. बताया जा रहा है कि उक्त राजनेता अपने पैरवी व पहुंच के आधार पर परिवहन ठेकेदार को बचाने में सफलता पायी है. हालांकि अशोक कुमार नामक जिस परिवहन अभिकर्ता को इस मामले से बचाया गया है वह पूर्व में भी विवादित रहा है. बेलसंड व परसौनी में अनाज की कालाबाजारी में उस पर पूर्व में भी मामले दर्ज है.
अभिकर्ता को बचाने में आ रहा एक राजनेता का नाम
क्या है पूरा मामला: जिले में अगस्त व सितंबर 2016 में फर्जी एसआइओ के आधार पर करोड़ों का अनाज कालाबाजारी में बेच दिया गया था. मामले में सोनबरसा के एजीएम महेश झा व डोर स्टेप डिलेवरी अभिकर्ता दिलीप साह के अलावा वाहन चालक व डीलर के खिलाफ बीडीओ कामिनी देवी द्वारा 20 अक्तूबर को सोनबरसा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. मामले में सोनबरसा बीडीओ के खिलाफ प्रपत्र क के तहत कार्रवाई की अनुशंसा की गयी थी. इसके जवाब में सोनबरसा बीडीओ ने डीलरों के संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र के साथ भेजे गये जवाब में स्पष्ट किया था कि डीलरों को अतिरिक्त आवंटन मद का अनाज ही नहीं दिया गया था. जबकि डीलरों के नाम फर्जी परमिट बना कर एसएफसी के अधिकारी व कर्मी के अलावा डोर स्टेप डिलेवरी अभिकर्ता ने उक्त अनाज काला बाजार में बेच दिया था. जबकि रून्नीसैदपुर में सामने आये लाखों के अनाज के घोटाले के मामले में प्रभारी एजीएम सह प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी नवीन किशोर अनाज के उठाव व वितरण से संबंधित संचिका लेकर ही फरार हो गये थे. एसएफसी पटना के अंकेक्षण व निगरानी विभाग की टीम तथा डीएम द्वारा गठित टीम ने भी अलग-अलग मामले की जांच में अनियमितता उजागर की थी. टीम ने गोदाम सील करते हुए 18 अक्तूबर 2016 को तत्कालीन एजीएम नवीन किशोर व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी. प्राथमिकी के बाद से नवीन किशोर फरार चल रहे है. जबकि 19 अक्तूबर को फर्जी एसआइओ पर करोड़ों के अनाज की हेराफेरी के मामले में एसएफसी मुख्यालय पटना के निर्देश पर एसएफसी के तत्कालीन जिला प्रबंधक बलागउद्दीन ने डुमरा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. जिसमें सहायक लेखा पदाधिकारी व आइटी मैनेजर को आरोपित किया गया था. 20 अक्तूबर को अनाज के गबन के मामले में एक बार फिर सोनबरसा थाने में सोनबरसा एजीएम महेश झा, सहायक लेखा पदाधिकारी व आइटी मैनेजर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. बाद में तत्कालीन जिला प्रबंधक बलागउद्दीन ने सहायक लेखा पदाधिकारी व आइटी मैनेजर को सेवा से मुक्त कर दिया था. जबकि विभाग ने तत्कालीन जिला प्रबंधक बलागउद्दीन को मुख्यालय बुला लिया था. इसके बाद बिस्कोमान के राजेंद्र उपाध्याय को एसएफसी के जिला प्रबंधक के पद पर तैनात किया गया. अनाज के कालाबाजारी के सामने आये चार मामलों के बाद डीएम ने सभी एसडीओ को पत्र भेज कर अपने-अपने इलाकों में अनाज के अतिरिक्त आवंटन, उठाव वितरण का जांच कराने का आदेश दिया था. साथ ही दोषी तत्वों पर कार्रवाई का आदेश दिया था. जांच में सुप्पी व मेजरगंज समेत कई अन्य प्रखंडों में भी कालाबाजारी का मामला सामने आया था. लेकिन अधिकारी व खाद्यान्न माफियाओं ने मिलीभगत कर मामला दबा दिया था. निश्चय यात्रा के क्रम में सीतामढ़ी पहुंचे सीएम नीतीश कुमार द्वारा आरोपियों के खिलाफ कुर्की का आदेश दिया था, बावजूद इसके पुलिसिया कार्रवाई प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया से आगे नहीं बढ़ पायी, जबकि डीएम ने एक बार फिर अनाज के कालाबाजारी के इस मामले में नकेल कसना शुरू कर दिया है. लिहाजा मेजरगंज के तत्कालीन एजीएम समेत तीन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के साथ ही नीलामवाद की कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गयी है.
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