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खरमास खत्म, शुभ संस्कार शुरू

सूर्य का दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव यानी मकर राशि में हुआ प्रवेश मिथुन राशि में प्रवेश तक होंगे सभी प्रकार के शुभकर्म व शुभ संस्कार कार्य कल्पवास यानी प्रयाग, हरिद्वार व सिमरिया का पुण्य स्नान का हुआ शुभारंभ सीतामढ़ी : शनिवार को सूर्य के उत्तरायण होते ही जिले के लोगों ने आस्था पूर्वक मकर […]

सूर्य का दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव यानी मकर राशि में हुआ प्रवेश

मिथुन राशि में प्रवेश तक होंगे सभी प्रकार के शुभकर्म व शुभ संस्कार कार्य

कल्पवास यानी प्रयाग, हरिद्वार व सिमरिया का पुण्य स्नान का हुआ शुभारंभ

सीतामढ़ी : शनिवार को सूर्य के उत्तरायण होते ही जिले के लोगों ने आस्था पूर्वक मकर संक्रांति का महापर्व मनाया. हजारों श्रद्धालुओं ने सुबह में विभिन्न नदियों के घाटों पर जाकर आस्था की डुबकी लगायी व दीप दान किया. शहर स्थित जानकी मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर व पुनौरा धाम स्थित जानकी मंदिर समेत जिले के विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही जलाभिषेक व पूजा-अर्चना का सिलसिला शुरू हो गया.

श्रद्धालुओं ने मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना के साथ ही ब्राह्मणों व गरीबों के बीच तिल से बने पदार्थों के अलावा अन्य प्रकार की सामग्रियों का दान किया. इससे पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों द्वारा घरों व आंगन को गाय की गोबर से लीपकर शुद्ध बनाया गया. लोगों ने स्नानादि के बाद तिल से बने सामग्रियों के अलावा उड़द व अदरख युक्त खिचड़ी व दही-चूड़ा व दीपदान के साथ ही उक्त सामग्रियों का सेवन किया.

क्या है मान्यता

ऐसी मान्यता है कि आज ही के दिन सूर्य दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव यानी मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए कमर संक्रांति के दिन से सूर्य के मिथुन राशि यानी आषाढ़ मास में प्रवेश करने तक सभी प्रकार के शुभकर्म व शुभ संस्कार कार्यों का शुभारंभ होता है. जानकारों के अनुसार सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से दक्षिणायन होने तक देवताओं का दिन होता है और राक्षसों के लिए रात हो जाता है. सूर्य के शनि राशि में प्रवेश करने के कारण शनिग्रह जनित अनिष्ठ व अरिष्ट को नाश करने के लिए तिल का सेवन, दीप दान व गौदान समेत अन्य दान लाभकारी माना जाता है. पंडित कालीकांत झा के अनुसार मकर संक्रांति का विशेष महत्व है. आज ही के दिन से कल्पवास की क्रिया का प्रारंभ होता है. यानी आज के दिन से एक माह तक प्रयाग,

हरिद्वार व सिमरिया घाट समेत अन्य घाटों पर पुण्य स्नान की प्रक्रिया शुरू हो जाता है. मकर संक्रांति के अवसर पर तील का उपयोग, भोजन दान का विशेष महत्व है. यह सबके लिए लाभकारी है. शास्त्रानुसार, शनि की शांति के लिए भूंजा, खीचड़ी, तील का तेल, गुड़, उड़द दाल व अदरख का प्रयोग अतिमहत्वपूर्ण माना जाता है. वैसे भी प्रत्येक शनिवार को ऐसा करने से शनिजन्य कष्ट नष्ट होने की मान्यता है. इस दौरान सारे शुभकर्म इसलिए किये जाते हैं कि इस दौरान किये गये शुभकर्म व शुभ संस्कार के साक्षी देवता होते हैं. आज के दिन सूर्य के शनि राशि में प्रवेश करने पर धनु राशि स्थित सूर्य का जो दोष रहता है, वह खत्म हो जाता है और मकर संक्रांति के दिन से सारे शुभ कार्यों का शुभारंभ हो जाता है.

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