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छह साल बाद उठा भूमि विवाद का मामला

सीतामढ़ी : सीतामढ़ी शहर के भवदेपुर स्थित एक जमीन की खरीद-बिक्री में गड़बड़ी के मामले में वरीय पुलिस अधिकारी द्वारा नगर थाना पुलिस को सेवा निवृत एग्रो इंसपेक्टर हरि किशोर मिश्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिए जाने के मामले का सेवा निवृत एग्रो इंसपेक्टर ने प्रतिकार किया है. वहीं इसके खिलाफ एसपी […]

सीतामढ़ी : सीतामढ़ी शहर के भवदेपुर स्थित एक जमीन की खरीद-बिक्री में गड़बड़ी के मामले में वरीय पुलिस अधिकारी द्वारा नगर थाना पुलिस को सेवा निवृत एग्रो इंसपेक्टर हरि किशोर मिश्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिए जाने के मामले का सेवा निवृत एग्रो इंसपेक्टर ने प्रतिकार किया है. वहीं इसके खिलाफ एसपी को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है. एसपी को दिए गए आवेदन में ब्रह्मर्षिनगर मेहसौल निवासी सह सेवा निवृत एग्रो इंसपेक्टर हरि किशोर मिश्रा ने कई सनसनीखेज खुलासे किए है, वहीं पूरे मामले को भू माफियाओं की साजिश करार देते हुए न्याय मांगा है.

उन्होंने हाल के दिनों में भूमि विवाद में हुई हत्याओं का हवाला देते हुए अपनी सुरक्षा की भी गुहार लगाई है. उन्होंने एसपी को बताया है कि रामचरित्र राउत नामक व्यक्ति द्वारा नगर थाने में आवेदन दिया गया है, जिसमें बताया गया है कि पूर्णेंदु नारायण सिन्हा की रीगा, भवदेपुर स्थित जमीन खरीदने के लिए वह गोविंद पांडेय नामक व्यक्ति के साथ पटना गया था.

जहां पूर्णेंदु नारायण सिन्हा के कहने पर उक्त व्यक्ति ने उनके मैनेजर हरि किशोर मिश्रा को 2.35 लाख रुपये का बैंक ड्राफ्ट व दस हजार रुपये नगद दिया था.बताया गया है कि मैनेजर हरि किशोर मिश्रा ने उक्त राशि पुर्णेंदू नारायण सिन्हा को नहीं सौंपी. लिहाजा उसका इन कैश नहीं हो सका. इसके आलोक में एक वरीय पुलिस अधिकारी द्वारा नगर थानाध्यक्ष को मामले की प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है. इसकी सूचना नगर थाने के एक दरोगा ने श्री मिश्रा को काल कर दी. इसके बाद श्री मिश्रा ने एसपी को आवेदन दिया है.

जिसमें बताया है कि वे बिहार स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड में एग्रो इंसपेक्टर के पद पर तैनात थे. इसका कार्यालय पूर्णेंदू नारायण सिन्हा के मकान में किराये पर चलता था. लिहाजा पूर्णेंदू नारायण सिन्हा व उनके पुत्रों के साथ उनके बेहतर संबंध रहे. श्री मिश्रा ने साफ किया है कि वे सरकारी अधिकारी थे, लिहाजा किसी का मैनेजर बनने का सवाल ही नहीं है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि पूर्णेंदु नारायण सिन्हा का निधन हुए छह साल बीत चूके है.

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