एक साल से काम ठप, आठ माह से पंचायत सचिव नदारद
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पंचायत में गरीबों को नहीं मिल रहे कफन के पैसे
एक साल से काम ठप, आठ माह से पंचायत सचिव नदारद एक साल से नहीं मिल रही गरीबों को पेंशन की राशि मुखिया के पास करने को काम नहीं विभिन्न योजना मद में राशि का अभाव, योजनाएं बाधित सीतामढ़ी : राज्य सरकार अपनी उपलब्धियों पर रिपोर्ट कार्ड जारी करने की तैयारी में है. वहीं, जिले […]
एक साल से नहीं मिल रही गरीबों को पेंशन की राशि
मुखिया के पास करने को काम नहीं
विभिन्न योजना मद में राशि का अभाव, योजनाएं बाधित
सीतामढ़ी : राज्य सरकार अपनी उपलब्धियों पर रिपोर्ट कार्ड जारी करने की तैयारी में है. वहीं, जिले के पंचायतों का बुरा हाल है. पिछले एक साल से भी अधिक समय से पंचायतों में विकास से संबंधित काम-काज ठप पड़े हैं. बथनाहा प्रखंड के हरपुर भलहा पंचायत के मुखिया पति मो राजा, मझौलिया मुखिया सह प्रखंड मुखिया संघ अध्यक्ष राजीव रंजन झा उर्फ बबलू झा, महुआ पंचायत के मुखिया लालबाबू भगत, दिग्घी पंचायत के मुखिया पति नागेंद्र भगत व रूपौली रूपहारा पंचायत के मुखिया टेकनारायण यादव की मानें,
तो चुनाव संपन्न हुए करीब छह माह बीत चुके हैं, लेकिन उनकी मुलाकात अब तक संबंधित पंचायत सचिवों से नहीं हुई है. उनके पास करने के लिए कोई काम नहीं है. योजनाओं में पैसे नहीं है.
इससे अंदाजा लगाना कठिन नहीं होगा कि पंचायत के आम लोग कितने परेशान होंगे. पिछले एक साल से गरीब-गुरबों को पेंशन
का भुगतान नहीं मिला है. यहां तक कि एक-एक पंचायतों से कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत गरीबों के सैकड़ों आवेदन धूल फांक रहा है.
पंचायत सचिवों को शीघ्र किया जायेगा विरमित: इस बाबत पूछे जाने पर स्थानीय बीडीओ ई विनय कुमार सिंह ने बताया कि विधान सभा व पंचायत चुनाव के बाद कर्मचारी बेलसंड में ओडीएफ योजना में लग गये. पांच पंचायत सचिवों का तबादला कर दिया गया है. आगामी 24 नवंबर तक सभी को विरमित कर दिया जायेगा. छह नये पंचायत सचिव को आना है. जल्द ही योजनाओं का क्रियान्वयन शुरू कराया जायेगा. हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न योजना मद में राशि की भी कमी है, जिसके चलते काम-काज शुरू नहीं हो पाया है.
बीडीओ के कार्यशैली पर सवाल: उक्त मुखियागण ने बताया कि वे लोग इसकी शिकायत बीडीओ से लेकर डीएम तक कर चुके हैं, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी है. बीडीओ द्वारा कहा जाता है कि पंचायत सचिवों का तबादला कर दिया गया है. उक्त मुखियाओं ने बीडीओ की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि पंचायत सचिव बीडीओ की एक नहीं सुन रहे हैं.
एक-एक पंचायत सचिव को तीन-तीन पंचायतों की जिम्मेदारी दे दी गयी है. इसका फायदा उठाकर पंचायत सचिव किसी भी पंचायत में नहीं जाते हैं. एक पंचायत के लोगों द्वारा पूछे जाने पर दूसरे व दूसरे पंचायत के लोगों द्वारा पूछे जाने पर तीसरे पंचायत में होने की बात पंचायत सचिव द्वारा कही जाती है और सच यह है कि वे किसी भी पंचायत में नहीं जा रहे हैं. किसी भी शिकायत को बीडीओ द्वारा हंसी-मजाक में टाल दिया जा रहा है.
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