सीतामढ़ी/मेजरगंज : आखिर मेरा बेटा का क्या कसूर था? उसने बिगड़ चुके बच्चे को सही राह पकड़ाने की कोशिश ही तो की थी. क्या कोई शिक्षक बच्चे को डांट फटकार भी नहीं सकता है? यह उस मां का दर्द है जिसने अपनी आंख के सामने जवान बेटे को तड़प-तड़प कर मरते हुए देखा है. आततियों […]
सीतामढ़ी/मेजरगंज : आखिर मेरा बेटा का क्या कसूर था? उसने बिगड़ चुके बच्चे को सही राह पकड़ाने की कोशिश ही तो की थी. क्या कोई शिक्षक बच्चे को डांट फटकार भी नहीं सकता है? यह उस मां का दर्द है जिसने अपनी आंख के सामने जवान बेटे को तड़प-तड़प कर मरते हुए देखा है. आततियों के शिकार हुए केशव की मां पवितर देवी यह कहते हुए बिलखने लगी कि उसका तो जिंदगी का सहारा ही छीन गया.
मेजरगंज बाजार स्थित शांति निकेतन कोचिंग सेंटर के शिक्षक केशव कुमार पिछले एक नवंबर से ही दबंगों के निशाने पर था. बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को लेकर अपनी सख्त शैक्षणिक अनुशासन शैली के लिए पहचाने जानेवाला केशव का यह अंदाज ही उसकी जान का दुश्मन बन गया. बच्चे को बेहतर अनुशासन की सीख उस नासमझ अभिभावक को इतना नागवार गुजरा कि उसने अपने सहयोगियों के साथ मिल कर जिंदा जलाने के उद्देश्य से केशव के शरीर पर पेट्रोल छिड़क कर आग के हवाले कर दिया.
तीन दिनों तक जीवन और मौत से जुझने के बाद 13 नवंबर को पटना के विनायक हॉस्पिटल में केशव ने दम तोड़ दिया. मौत से पूर्व पुलिस को दिये गये फर्द बयान में केशव ने रामबाबू रस्तोगी का नाम लिया था. उसने यह भी कहा था कि उसके पुत्र को डांटने फटकारने और सुधारने का प्रयास करने की सजा मिली है. सवाल है कि किसी बिगड़ैल बच्चे को सही राह पर लाने की शिक्षकों की कोशिश की उसके ही अभिभावक का ऐसा कृत्य उचित है?
अधूरी रह गयी बहन की शादी की ख्वाहिश : तीन भाइयों के बीच इकलौती बहन मुस्कान का चेहरा भाई की मौत के बाद से मुरझा गया है. पूरा समय वह रोते-रोते बिता रही है. पिता राममूर्ति प्रसाद कहते हैं कि घर की हालात को देखते हुए बड़ा पुत्र केशव अपनी पढ़ाई पूरी कर शैक्षणिक कार्य में जुट गया था. कोचिंग और टि्वसन से मिले पैसे को वह बहन की शादी में खर्च करना चाहता था. उसकी बड़ी ख्वाहिश थी कि वह मुस्कान की शादी पूरे धूमधाम से करें. उसका यह सपना अधूरा ही रह गया.
शिक्षक की हत्या पर उठे सवाल
सख्त अनुशासन शैली के कारण किया था हमला
रामबाबू को नागवार गुजरा शिक्षक की डांट-फटकार
10 नवंबर को पेट्रोल छिड़क कर केशव के शरीर में लगायी गयी थी आग
13 नवंबर को पटना में इलाज के दौरान हुई केशव की मौत
मुफलिसी में जी रहा परिवार
केशव के घर की माली हालत काफी खराब है. पिता राममूर्ति प्रसाद मेजरगंज बाजार में फोटो फ्रेमिंग और बाल्टी बेल्डिंग का काम कर परिवार का गुजारा चलाते हैं. तीन पुत्रों केशव कुमार, मनीष कुमार एवं सोहन कुमार में केशव बड़ा था. पुत्री मुस्कान दो भाइयों के बीच में है. घर की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि परिवार के रहने के लिए घर भी ठीक-ठाक नहीं है. केशव के कोचिंग में पढ़ाने के बाद परिजन को अच्छे दिन की उम्मीद बंधी थी, जो उसके नहीं रहने पर अब खाक में मिल गयी.
एक नवंबर से ही मिल रही थी धमकी
मृत शिक्षक के पिता राममूर्ति प्रसाद कहते हैं कि एक नवंबर की रात से ही केशव को धमकी मिल रही थी. रामबाबू रस्तोगी 20 से 25 लोगों के साथ उसके घर आकर गाली-गलौज करते हुए कहा था कि उसे ऐसी सजा मिलेगी कि परिवार जीवन भर याद रखेगा.