पांच वर्षों से पड़ी है सौंदर्यीकरण की राशि
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धर्मशाला तालाब के वजूद पर खतरा
पांच वर्षों से पड़ी है सौंदर्यीकरण की राशि इस तालाब में कभी लोग करते थे नौकाबिहार लोगों के आस्था का प्रतिक है यह तालाब पुपरी : शहर का ऐतिहासिक धर्मशाला तालाब में कभी लोग नौकाबिहार करते थे. करीब एक एकड़ में फैले इस तालाब के पवित्र जल लोग पूजा-पाठ के साथ ही छठ पर्व में […]
इस तालाब में कभी लोग करते थे नौकाबिहार
लोगों के आस्था का प्रतिक है यह तालाब
पुपरी : शहर का ऐतिहासिक धर्मशाला तालाब में कभी लोग नौकाबिहार करते थे. करीब एक एकड़ में फैले इस तालाब के पवित्र जल लोग पूजा-पाठ के साथ ही छठ पर्व में प्रसाद बनाने के रूप में उपयोग करते थे. समय बीतता गया और यह तालाब कूड़े-कड़कट से भरता गया. तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए लगभग एक करोड़ रुपये का आवंटन मिल, लेकिन किसी न किसी दावं-पेंच के कारण सौंदर्यीकरण के कार्य पर अब तक ग्रहण लगा हुआ है.
तालाब के सौंदर्यीकरण को अब तक तीन बार टेंडर हो चुका है. हर बार विभिन्न कारणों से टेंडर से आगे काम नहीं बढ़ा. इसके कारण तालाब का सौंदर्यीकरण कार्य दो वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो सका है. जानकारी के अनुसार, तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए पांच साल पूर्व नगर विकास विभाग द्वारा नगर पंचायत, जनकपुर रोड कार्यालय को आवंटन मिला था. शहर के तीन तालाबों में से किसी एक तालाब का चयन सैंदर्यीकरण के लिए किया जाना मुश्किल काम था.
फिर भी वार्ड पार्षदों की खिंचातानी के बीच धर्मशाला तालाब के सौंदीयकरण के लिए सहमति बन गयी. कार्य के व्यापकता की दृष्टिकोण से राशि कम पड़ रही थी. लिहाजा पूर्व सांसद सीताराम यादव ने पहल कर नगर विकास विभाग से लगभग एक करोड़ रुपया पुन: आवंटित कराया. टेंडर प्रक्रिया के बाद संवेदक द्वारा तालाब का सौंदर्यीकरण कार्य शुरू किया गया था. इसी बीच, स्थानीय कुछ स्वार्थी तत्वों ने उक्त कार्य में रूकावट पैदा कर दिया. नतीजा हुआ कि संवेदक कार्य छोड़कर चला गया. कार्य में हर बार कोई न कोई पेंच फंस जाने से इस धर्मशाला तालाब का सौंदर्यीकरण नहीं हो सका है. स्थानीय कृष्णचंद्र गुप्त, राजकुमार मंडल, गोविंद नारायण पाठक, रघुनाथ प्रसाद व राजकुमार जोशी ने बताया कि प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण यह ऐतिहासिक तालाब अपना वजूद खोता जा रहा है. इस संबंध में नगर अध्यक्ष मनोज कुमार यादव ने बताया कि तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए पुन: टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है.
तालाब के पानी से बनाया जाता था प्रसाद
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