सीतामढ़ी : सदर अस्पताल में स्थापित नशा मुक्ति केंद्र से विगत दो सप्ताह में अब तक कुल 77 लोगों को नशा से मुक्ति दिलायी जा चुकी है. केंद्र के नोडल पदाधिकारी डॉ पीपी लोहिया ने बताया कि अबतक कुल 71 लोगों ने केंद्र से दवा लेकर नशा से मुक्ति पाने में कामयाब रहा है.
इसी प्रकार अत्यधिक नशा करने के कारण शरीर से बिल्कुल लाचार हो चुके छ: लोगों को केंद्र में भरती कर इलाज किया गया. तीन लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है, जिसमें से मेहसौल गोट निवासी लक्ष्मी राम की मौत केंद्र से छुट्टी देने के बाद उचित देख-भाल के अभाव में उसके घर पर हो गयी है. जबकि तीन लोग अभी भी इलाजरत है. गुरुवार को प्रभात खबर की टीम ने नशा मुक्ति केंद्र का जायजा लिया.
धन गंवाया, अब जान गंवाने की नौबत : इसी बीच रीगा थाना क्षेत्र के अन्हारी गांव से कुसुम गुप्ता नामक एक महिला अपने पति राम बाबू गुप्ता को इलाज के लिए नशा मुक्ति केंद्र पर भरती कराने आयी. राम बाबू गुप्ता अपने पैर से चल नहीं पा रहे थे. शरीर कंकाल जैसा दिख रहा था. उसकी हालात काफी खराब थी. महिला ने नोडल पदाधिकारी डॉ पीपी लोहिया को बताया कि उनके पति करीब 25 सालों से शराब पी रहे थे. दो-तीन साल से काम करना भी बंद कर दिया है. शराब बंद होने के बाद से शारीरिक स्थिति और भी खराब हो गया. शराब के कारण घर का गहना भी बेच दिया. अब जान गंंवाने की नौबत आ गयी है. डॉ लोहिया ने खुद जांच कर इमरजेंसी वार्ड में भरती कराया व कहा कि मरीज की हालात काफी खराब है. इमरजेंसी वार्ड में इलाज के बाद नशा मुक्ति केंद्र में भरती कराया जाएगा. बताया कि अत्यधिक शराब के सेवन करने से मरीज को टीबी हो गया है.
पत्नी का गहना बेचा, पैर गंवाया
केंद्र में भरती बैरगनिया का संतोष दास 10 वर्षों से भी अधिक समय से शराब पीता आ रहा था. दारू बंद होने से अचानक पूरा शरीर कांपने लगा, सिर में चक्कर आने लगा, कमजोरी महसूस होने लगी. बाद में बिस्तर पर लेटना मजबूरी हो गया. संतोष की मानें, तो प्रति दिन शराब पर हजार रूपया खर्च होता था. शराब के लिए पत्नी के गहने तक बेच दिये. नशा के चलते सीढ़ी से गिर कर पैर गंवा लिया. पैर में स्टील लगाना पड़ा. बताया कि दवा लेने के बाद नशा करने का मन नहीं कर रहा है. दो दिन पूर्व नेपाल से शराब पी कर आ रहा था. पुलिस ने पकड़ लिया. बाद में पुलिस द्वारा ही कहा गया कि इसको इलाज की जरूरत है. पुलिस द्वारा ही पहले स्थानीय पीएचसी में भरती कराया गया, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद सदर अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में रेफर कर दिया गया.
नशा ने मानसिक संतुलन बिगाड़ा
केंद्र में इलाजरत सुप्पी ओपी क्षेत्र के रतनपुर गांव निवासी करीब 20 वर्षीय मधुसूदन सिंह नशे का इनता आदि हो गया कि वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठा है. जब तक शराब मिला, तब तक कोई खास परेशानी नहीं हुई, किंतु शराब बंद होने के बाद से वह बीमार हो गया. पीड़ित के परिजनों की मानें, तो मधुसूदन कम उम्र से ही शराब, भांग, गांजा व सुलेशन आदि नशा का सेवन करते आ रहा था. नशा के कारण वह मानसिक रूप से बीमार हो गया. केंद्र के कर्मियों की मानें, तो मधुसूदन कभी स्थित नहीं रहता है. कभी खुद से बात करता है, तो कभी ठहाके मार कर बेवजह हंसने लगता है. बिलकुल विक्षिप्त जैसा व्यवहार करता है.