-राकेश कुमार राज-
सीतामढ़ीः तारीख 14 जनवरी 2013. दिन सोमवार सुबह करीब सात बजे. स्थान रून्नीसैदपुर थाना के नक्सल प्रभावित बलुआ बाजार. मकर संक्रांति की सर्द भरी सुबह ने नक्सलियों के सुरक्षित गढ़ माने जाने वाले इलाके में उसके एरिया कमांडर नेक मोहम्मद एवं सुनील गुप्ता को भून दिया गया. कथित आजाद हिंद फौज ने परचा फेंक कर उक्त दोनों हत्या की जिम्मेवारी ली थी. तथाकथित उक्त आपराधिक संगठन का उभरना नक्सलियों को पहली बार अपने ही गढ़ में चुनौती मिली. नेक मोहम्मद का नक्सलियों में बड़ा नाम था, वहीं सुनील गुप्ता का नाम लेवी वसूलने के तौर पर गिनाया जाता था. नेक मोहम्मद पहली बार तब सुर्खियों में आया था, जब बलुआ बाजार पर हीं जनवितरण प्रणाली विक्रेता गगन देव राय के पुत्र मिथिलेश राय की हत्या को नक्सलियों द्वारा अंजाम दिया गया था.
मिथिलेश राय की हत्या तब की गयी थी, जब नेक मोहम्मद पुलिस के हत्थे चढ़ा था. इसके बाद नक्सलियों का प्रभाव वहां के वांसिदों की नजर में कमजोर पड़ गया. स्थानीय ग्रामीणों ने तब उक्त हत्या का विरोध शुरू कर दिया था. नेक मोहम्मद एवं सुनील की हत्या के बाद भी पुलिस को वहां काफी विरोध का सामना करना पड़ा था. पोस्टमार्टम के लिए शव लेने में तत्कालीन थानाध्यक्ष हरिश्चंद्र ठाकुर को काफी मशक्कत करना पड़ा था. जनवरी के इस दूसरे पखवारा से पूर्व इलाके में ऐसी घटनाएं जिले में खून खराबा के दौर के रूप में देखा गया. वह भी तब जब सिर उठाते अपराध पर लगाम कसने की पुलिसिया कवायद पर कई सवाल उठने लगे. आजाद हिंद फौज से जुड़े लोगों का प्रभाव नक्सलियों के हीं इलाके में अधिक देखा गया. यह बात अलग है कि इसके सार्प शूटर खुला घुम रहे हैं और इनकी गिरफ्तारी पुलिस के लिए चैलेंज बनी हुई है.