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लखनदेइ नदी का होगा कायाकल्प

लखनदेइ नदी का होगा कायाकल्प फोटो नंबर-1, शहर में लखनदेई नदी का गंदा पानी जनवरी-2016 में जिले को मिलेगा सौगातडीएम ने दिया निर्देश, मनरेगा योजना से कराया जायेगा कामसीतामढ़ी. धार्मिक व सिंचाइ के दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण लक्ष्मणा नदी उर्फ लखनदेइ नदी की उड़ाही का रास्ता डीएम राजीव रौशन ने साफ कर दिया है. डीएम […]

लखनदेइ नदी का होगा कायाकल्प फोटो नंबर-1, शहर में लखनदेई नदी का गंदा पानी जनवरी-2016 में जिले को मिलेगा सौगातडीएम ने दिया निर्देश, मनरेगा योजना से कराया जायेगा कामसीतामढ़ी. धार्मिक व सिंचाइ के दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण लक्ष्मणा नदी उर्फ लखनदेइ नदी की उड़ाही का रास्ता डीएम राजीव रौशन ने साफ कर दिया है. डीएम के निर्देश पर बागमती प्रमंडल की ओर से उड़ाही को लेकर सर्वेक्षण का कार्य तेजी से किया जा रहा है. बागमती प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता राम विनय सिन्हा ने बताया कि सर्वेक्षण के बाद डीपीआर बनाया जायेगा. मनरेगा से होगा उड़ाही का काममनरेगा के कार्यपालक अभियंता इंद्रदेव प्रसाद ने बताया कि लखनदेइ नदी की उड़ाही का काम मनरेगा योजना से कराया जायेगा. इसके लिए अभियंताओं की टीम सर्वेक्षण का काम कर रही है. चार प्रखंडों से जुड़े लखनदेइ नदी की उड़ाही में 18 पंचायतों को शामिल किया जायेगा. चार प्रखंड में शामिल सोनबरसा प्रखंड के पंचायत का सर्वेक्षण कर लिया गया है. जबकि बथनाहा, रीगा व डुमरा का सर्वेक्षण होना है. क्या है मामलाबताया जाता है कि समय के साथ लखनदेइ नदी का अस्तित्व करीब पूरी तरह विलुप्त हो चुका है. शहर के गण्यमान्य सह समाजसेवी रामशरण अग्रवाल का कहना है कि नेपाल के सर्लाही जिले के तीन जल श्रोत भारत में प्रवेश के पूर्व एकीकृत हो जाते हैं. इसी एकीकृत स्वरूप को लखनदेइ कहते हैं. आज भी नेपाल में यह नदी अंत:सलिला है. लखनदेइ की पुरानी धारा या नई धारा का प्रवेश द्वार सोनबरसा क्षेत्र में ही रहा है. लगभग 30 वर्ष पहले इस नदी ने नेपाल में अपना मार्ग बदलना शुरू किया और लगभग 8 किमी पूरब चली आयी. इसी मार्ग परिवर्तन के कारण सीतामढ़ी लक्ष्मणा के जल से वंचित हुआ. कभी बागमती की सहायक रही आज अधवारा समूह की नदियों की सहायक है. पूरा सोनबरसा क्षेत्र इसके अनिश्चित प्रवाह के कारण त्रस्त है और सीतामढ़ी शहर से कटरा तक का इलाका जल-जमाव को झेल रहा है. लखनदेइ नदी के उद्धार के लिए स्व हरिकिशोर सिंह, तत्कालीन सांसद ने 1985 में प्रयत्न लिये थे और से आज तक अनेक जुझारू व्यक्तित्व इस प्रयत्न में लगे रहे है.डीएम का प्रयास होगा सफलश्री अग्रवाल का कहना है कि जिले के इतिहास में पहली बार डीएम राजीव रौशन के सकारात्मक सोच , सक्रियता व संकल्प के साथ लखनदेइ में दोबारा 77 किमी लंबी अधारा में जल प्रवाहित करने के लिए प्रयासरत हैं. लक्ष्मणा में दोबारा जल संचार होने का परिणाम यह होगा कि कृषि के लिए जल पेयजल की स्थिति में गुणात्मक सुधार होगा. डीएम के प्रयास को देख कर अब जिलावासियों को लगने लगा है कि आस्था व धर्म के कर्म दोबारा लखनदेइ नदी के तट पर होंगे. लखनदेइ नदी की विशेषतालखनदेइ उन विलक्षण नदियों में एक है, जो आकार-प्रकार में अपेक्षाकृत बहुत छोटी है, परंतु इसमें बारह महीनों जल प्रवाहित होता है. ग्रामीण क्षेत्र में इसका मोहन रूप हमें यह याद दिलाता है कि नगर स्थित रामघाट पर चैत नवमी पर राम नवमी मेला में कभी एक साथ 20-20 हाथियों को स्नान कराया जाता था. लखनदेइ नदी की दुर्दशा के लिए नागरिक भी कम जिम्मेदार नहीं है.

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