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एंटीरैबिज वैक्सीन को मचा है हाहाकार

एंटीरैबिज वैक्सीन को मचा है हाहाकार फोटो- 6 पीएचसी बोखड़ा, 7 चिकित्सक डा फैयाज अहमदसीतामढ़ी : जिले के अधिकांश पीएचसी में एंटी रैबिज वैक्सीन नहीं होने के चलते एक तरह से हाहाकार की स्थिति है. यह वैक्सीन सभी पीएचसी में उपलब्ध हो, को लेकर स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन तो दूर सरकार भी गंभीर नहीं […]

एंटीरैबिज वैक्सीन को मचा है हाहाकार फोटो- 6 पीएचसी बोखड़ा, 7 चिकित्सक डा फैयाज अहमदसीतामढ़ी : जिले के अधिकांश पीएचसी में एंटी रैबिज वैक्सीन नहीं होने के चलते एक तरह से हाहाकार की स्थिति है. यह वैक्सीन सभी पीएचसी में उपलब्ध हो, को लेकर स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन तो दूर सरकार भी गंभीर नहीं है. लोगों का कहना है कि मौत दर मौत के बाद हीं सरकार की नींद खुलेगी. — मनीहों से वैक्सीन का अभाव सदर अस्पताल मे भी एंटी रैबिज वैक्सीन कम पड़ जाती है. यह बात अलग है कि फिलहाल सदर अस्पताल में 1500 वैक्सीन उपलब्ध है. वहीं, अधिकांश पीएचसी में तीन से चार माह से यह वैक्सीन नहीं है. पीचसी से ऐसे मरीजों को या ता ेसदर स्पताल रेफर कर दिया जाता है अथवा मरीज को बाजार से वैक्सीन खरीद कर लेना पड़ता है. — अब तक कई की मौत कुत्ता के काटने व सर्पदंश से एक वर्ष के अंदर कई लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से अधिकांश मरीजों की मौत समय पर दवा नहीं मिलने व समुचित इलाज नहीं होने के कारण हुई. कभी-कभी ऐसे मरीजों को पीएचसी से जब सदर अस्पताल के लिए रेफर किया जाता है तो रास्ते में हीं वह दम तोड़ देता है. हाल में सोनबरसा पीएचसी में दवा के अभाव में हीं ठंढ़ पीडि़त एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी. –आरकेएस भी गंभीर नहीं हर पीएचसी में रोगियों के हित में सोचने व ठोस निर्णय लेने के लिए रोगी कल्याण समिति गठित है, पर किसी भी समिति द्वारा कुत्ता काटने व सर्पदंश की दवा की खरीद नहीं की जाती है. आरकेएस के खाता में पैसा रहने के बावजूद वैक्सीन व दवा की खरीद न कर मरीज को रेफर कर दिया जाता है. सदर अस्पताल के प्रबंधक शंभु शरण सिंह कहते हैं कि आरकेएस के फंड से वैक्सीन व दवा की खरीद की जा सकती है. — तीन माह से वैक्सीन नहीं बेलसंड: पीएचसी के प्रभारी डा केकेि संह ने बताया कि तीन माह से एंटी रैबिज वैक्सीन नहीं है. इसके लिए अब तक कई बार सीएस को लिखा जा चुका है. मरीजों को रेफर कर देना पड़ता है. सर्पदंश की 23 वायल दवा है. कहते हैं कि कफ सीरप समेत अन्य दवाएं करीब सात-आठ माह से दवा नहीं है. — दो माह से दवा का अभाव रीगा : स्थानीय पीएचसी में दो माह से एंटी रैबिज वैक्सीन नहीं है. कुछ ऐसा हीं हाल सर्पदंश की दवा का है. यानी दवा के अभाव में सर्पदंश व कुत्ता काटने से पीडि़त मरीजों का इलाज यहां नहीं हो पा रहा है. प्रभारी डा केके झा ने बताया कि जेनरल दवाओं की भी काफी कमी है. — दो माह से नहीं है वैक्सीन सोनबरसा : स्थानीय पीएचसी में एंटी रैबिज वैक्सीन करीब दो माह से नहीं है. सर्पदंश की दवा है. कुछ जेनरल दवाएं भी नहीं है. इस तरह की स्थिति हाल के महीनों से नहीं, बल्कि वर्षों से बनी हुई है. सिर्फ कहने के लिए यहां पीएचसी है. इससे क्षेत्र की जनता को समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. बोखड़ा में वैक्सीन नहीं बोखड़ा : स्थानीय पीएचसी में भी कई दिनों से एंटी रैबिज वैक्सीन नहीं है. सर्पदंश की दवा है. आउट डोर में 33 के बजाय 21 एवं इन डोर में 112 की बजाय 46 प्रकार की दवाएं है. स्वास्थ्य प्रबंधक अनिल कुमार कहते हैं कि जब से बीएमएसआइसीएल से दवा की आपूर्ति बंद हुई है, तब से दवा की गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गयी है. प्रसव पीडि़ता को दी जाने वाली कुछ दवाओं का भी अभाव है. उनकी मां भी कुत्ता काटने से पीडि़त है. सुरसंड पीएचसी में इलाज चल रहा है. बाजार से वैक्सीन खरीद कर इलाज करा रहे हैं. बाजार में एक वैक्सीन का कीमत 150 रुपया पड़ता है. — कहते हैं चिकित्सक बोखड़ा पीएचसी के चिकित्सक डा फैयाज अहमद कहते हैं कि बाहरी दवा नहीं लिखना है. मरीज दवा खरीदने में सक्षम होता है तो पुरजा पर दवा का सिर्फ कंपोजीशन लिख देते हैं. दवा व वैक्सीन के अभाव में मरीजों को सदर अस्पताल रेफर करना पड़ता है.

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