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संतोष के सीने में फंसी है 13 साल से पुलिस की गोली

संतोष के सीने में फंसी है 13 साल से पुलिस की गोली ध्यानार्थ : संपादक जीप्रस्तावित प्रथम पेज फोटो : संतोष झा का फाइल फोटो — मौत बांटने वाला खुद झूल रहा जिंदगी व मौत के बीच– डाका डाल कर भाग रहे संतोष के सीने में लगी थी तीन गोली–पुलिस मुठभेड़ में मारे गये थे […]

संतोष के सीने में फंसी है 13 साल से पुलिस की गोली ध्यानार्थ : संपादक जीप्रस्तावित प्रथम पेज फोटो : संतोष झा का फाइल फोटो — मौत बांटने वाला खुद झूल रहा जिंदगी व मौत के बीच– डाका डाल कर भाग रहे संतोष के सीने में लगी थी तीन गोली–पुलिस मुठभेड़ में मारे गये थे संतोष के दो साथी– 22 दिसंबर 2003 को लगी थी गोली अमिताभ कुमार सीतामढ़ी : बिहार पिपुल्स लिबरेशन आर्मी नामक आपराधिक संगठन का गठन कर लेवी के लिए निर्माण कंपनियों के इंजीनियर व सुपरवाइजर के साथ मौत का खेल खेलने वाला शातिर अपराधी संतोष झा खुद 12 साल से जिंदगी व मौत के बीच जूझ रहा है. संतोष के सीने में पिछले 12 साल से पुलिस की गोली फंसी है. — पुलिस मुठभेड़ में लगी थी गोलीसंतोष झा को 22 दिसंबर 2003 को पुलिस मुठभेड़ में गोली लगी थी. उन दिनों नक्सली संगठन के लिए काम कर रहे संतोष अपने सहयोगियों के साथ शिवहर जिला अंतर्गत बैंक ऑफ इंडिया के अदौरी शाखा में डाका डालने का प्रयास कर भाग रहा था. भागने के क्रम में रीगा थाना क्षेत्र के रामपुर बराही में संतोष का सामना तत्कालीन डीएसपी प्रकाश नाथ मिश्र व पुरनहिया थानाध्यक्ष शफी आलम से हो गया. दोनों ओर से कई राउंड गोली चली. मुठभेड़ में संतोष के दो साथी मारे गये और संतोष के सीने में डीएसपी प्रकाश नाथ मिश्र की तीन गोली लगी, लेकिन गोली लगने के बाद भी संतोष भागने में सफल रहा. किसी गोपनीय स्थान पर संतोष के सीने से चिकित्सकों ने दो गोली निकाल दी, लेकिन तीसरी गोली निकालने पर संतोष के जान जाने का भय था. इस कारण तीसरी गोली सीने में हीं छोड़ दी गयी. इस बात का खुलासा 3 अक्तूबर 2004 को पटना के जक्कनपुर से 9 उग्रवादियों के साथ संतोष की गिरफ्तारी के बाद हुआ. — गोली निकालने पर जा सकती है जानसीतामढ़ी मंडलकारा में बंद रहने के दौरान वर्ष-2007 में भी संतोष की गोली निकालने का प्रयास किया गया था. जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद तत्कालीन डीएम सुमन कुमार ने 1 नवंबर 2007 को प्रेस वार्ता कर बताया था कि सिविल सर्जन द्वारा गठित विशेष मेडिकल बोर्ड व पीएमसीएच की मेडिकल टीम ने संतोष के सीने में गोली फंसे होने की पुष्टि की है. विशेष मेडिकल टीम का कहना है कि संतोष के सीने से तुरंत गोली निकालना जरूरी है. क्योंकि उसकी जान को खतरा है. जबकि पीएमसीएच में गठित मेडिकल टीम का कहना है कि उसके सीने से गोली निकालने पर उसकी जान पर खतरा है. इधर, दोनों टीम की जांच-पड़ताल के दौरान शिवहर के लोगों ने सड़क पर उतर कर कहना शुरू कर दिया था कि पुलिस प्रशासन की नजर में संतोष भले हीं कसूरवार हो, लेकिन उनके लिए वह मसीहा है. अगर इलाज के क्रम में उसकी मौत होती है, तो शिवहर में हजारों संतोष पैदा होंगे. इधर संतोष के रिश्तेदार व शुभचिंतकों का कहना है कि वर्ष-2009 से 2014 के बीच मात्र एक-डेढ़ माह के लिए संतोष गया था. इस दौरान वह अपनी गोली निकलवाने के लिए दिल्ली एम्स के अलावा कोलकाता व चेन्नई समेत कई सरकारी व निजी चिकित्सालय में गया, लेकिन सफल ऑपरेशन का दावा किसी चिकित्सक द्वारा नहीं किये जाने के कारण ऑपरेशन नही हो सका. इस कारण संतोष के सीने में आज भी गोली फंसी है.

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