आखिर कौन जानेगा अग्निपीड़ितों का हाल! फोटो- 6 जले घर का मौके पर खाक तक नहीं, 7 कंबल लिए पीडि़त, 8 पीडि़तों में कंबल बांटता युवक सीओ बोले, ऐसे लोगों के लिए राहत का प्रावधान नहीं बाढ़ से विस्थापित लोग हैं अग्निपीड़ित शासन-प्रशासन अब तक नहीं कर सका पुनर्वासित बैरगनिया. प्रखंड के मसहां आलम गांव के बाढ़ से विस्थापित 12 परिवार पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है. अग्निकांड में घर के साथ सब कुछ जल कर खाक हो गया. लेकिन अंचल प्रशासन की ओर से राहत सामग्री नहीं मिलने के कारण आशा पर भी पानी फिर गया. सीओ जगदीश पासवान ने स्पष्ट कहा है कि रेलवे की जमीन पर झोंपड़ी बना कर रह रहे थे, इसी कारण राज्य सरकार की ओर से कोई राहत नहीं मिलेगा. विधायक के लिए चैलेंज सीओ कहते हैं कि केंद्र की जमीन पर रह रहे लोगों को राज्य सरकार द्वारा राहत देने का प्रावधान नहीं हैं. पीड़ित यदि रेडक्रॉस सोसाइटी से मिलते हैं तो उन्हें उक्त संस्था से मदद मिल सकती है. वे अग्निपीड़ित होने का प्रमाणपत्र दे देंगे. इधर, खास बात यह कि उक्त लोगों को अन्य तमाम सुविधाएं मिलती है, जिसमें डीलर से राशन व केरोसिन मिलना भी शामिल हैं. इस स्थिति में घर में आग लगने पर बीपीएल की श्रेणी में होते हुए भी लाभ नहीं दिया जाना, का मामला चर्चा में आ गया है. इस नियम में संशोधन कराना स्थानीय विधायक के लिए भी एक चुनौती बन गया है. विधायक अमित कुमार टुन्ना भी मानते हैं कि सरकार का उक्त नियम अग्निपीड़ितों के लिए किसी अन्याय से कम नहीं है. विस में उठेगा मामला विधायक श्री टुन्ना कहते हैं कि यह गंभीर मामला है. वे चुप नहीं बैठेंगे. विधानसभा में मामले को उठाएंगे. श्री टुन्ना ने सीओ से भी बात की. उन्हें भी आश्चर्य है कि पीड़ितों को हर माह राशन व केरोसिन मिलता है, पर अग्निपीड़ित का लाभ नहीं मिलेगा. ऐसा नहीं होना चाहिए. ग्रामीणों ने पेश की मिसाल विधायक की ओर से पीड़ितों को राशन व कपड़ा दिया गया है. इधर, ग्रामीणों ने पीड़ितों की मदद कर एक मिसाल पेश की है. नवयुवक विकास क्लब के अध्यक्ष अजय कुमार यादव, राजेश यादव, राहुल झा, रमेश यादव, अमित यादव, जितेंद्र यादव व मुकेश यादव ने गांव में चंदा कर पीड़ितों को 10-10 किलो चावल व एक-एक कंबल उपलब्ध कराया है. अध्यक्ष श्री यादव ने बताया कि एक सप्ताह के अंदर पीड़ितों को राहत सामग्री नहीं मिली तो इसके विरोध में सीतामढ़ी-बैरगनिया पथ को नंदवारा चौक के समीप जाम किया जायेगा. कौन है ये अग्निपीड़ित बता दें कि वर्ष 1998 में भीषण बाढ़ आयी थी. बागमती नदी का पानी कहर बरपाया था. जगह-जगह तटबंध टूट गए थे. रेलवे लाइन भी टूट गया था. पटरी पर पानी ही पानी होने के चलते ट्रेनों का परिचालन बाधित हो गया था. कई लोगों का घर नदी में विलीन हो गया था. इन्हीं लोगों में शामिल है, उक्त 12 अग्निपीड़ित परिवार भी. मजदूरी कर खुद व बाल-बच्चों का पेट भरते हैं. उक्त लोग शासन व प्रशासन के यहां पुनर्वासित करने के लिए दौड़ लगा कर थक चुके, पर एक झोंपड़ी बनाने के लिए भी जगह नहीं दी गई. तब लोगों ने रेलवे की बेकार पड़ी भूमि पर झोंपड़ी बना कर पिछले 17 वर्षों से रह रहे थे. अग्नि देवता को शायद भी उन गरीबों को रहना दुश्वार लगा.
आखिर कौन जानेगा अग्निपीड़ितों का हाल!
आखिर कौन जानेगा अग्निपीड़ितों का हाल! फोटो- 6 जले घर का मौके पर खाक तक नहीं, 7 कंबल लिए पीडि़त, 8 पीडि़तों में कंबल बांटता युवक सीओ बोले, ऐसे लोगों के लिए राहत का प्रावधान नहीं बाढ़ से विस्थापित लोग हैं अग्निपीड़ित शासन-प्रशासन अब तक नहीं कर सका पुनर्वासित बैरगनिया. प्रखंड के मसहां आलम गांव […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement