चोरौत : प्रखंड के साकेत धाम विशनपुर स्थान पर गुरुवार को श्रीमद्भागवत के तीसरे दिन वृंदावन से आये कथावाचक स्वामी सियाराम शरण महाराज ने अमृतवाणी से साधक भावविभोर हो उठे. इस दौरान उन्होंने कहा कि मनुष्य योनि सर्वश्रेष्ठ माना गया है. मनुष्य में क्षमा का भाव अनिवार्य है. इसके अभाव में मानव अभिमानी व कपटी […]
चोरौत : प्रखंड के साकेत धाम विशनपुर स्थान पर गुरुवार को श्रीमद्भागवत के तीसरे दिन वृंदावन से आये कथावाचक स्वामी सियाराम शरण महाराज ने अमृतवाणी से साधक भावविभोर हो उठे. इस दौरान उन्होंने कहा कि मनुष्य योनि सर्वश्रेष्ठ माना गया है.
मनुष्य में क्षमा का भाव अनिवार्य है. इसके अभाव में मानव अभिमानी व कपटी होता जा रहा है.प्रेम की भावना नष्ट होती जा रही है जो सबसे बड़ा दुख का कारण है. परोपकार को सबसे बड़ा धर्म माना जाता है, जिसकी कमी होती जा रही है.
परोपकार के कार्य से संतुष्टि नहीं होनी चाहिए, अन्यथा परोपकार करने की इच्छा ही समाप्त हो जायेगी. कहा, लोगों को अपने बारे में हमेशा संतुष्ट होना चाहिए. ईश्वर ने हमें जो कुछ भी दिया है, वह कम नहीं है. धर्म में विश्वास करें और धर्मग्रंथों का सम्मान करें. प्राणी मात्र पर दया करें और मानव मात्र से मधुर संबंध बना कर रहें.
सत्संग की जरूरत
उन्होंने कहा कि मनुष्य को निश्चित रूप से सत्संग करना चाहिए. इससे संस्कार में वृद्धि होती है. वेदव्यास जी, परिक्षित व नारद की चर्चा करते हुए कहा कि वह उच्च कोटि के संत थे.
वे लोग भी आपस में सत्संग करते थे, तभी उनका जीवन कल्याणकारी बना और आज हम उनके मार्ग को आत्मसात करते हैं. कार्यक्रम के आयोजक महंत राघवेंद्र दास महाराज ने बताया कि 30 नवंबर से इस साप्ताहिक भागवत कथा का आयोजन पूर्व महंत रामानुजम महाराज के प्रथम पुण्य स्मृति में किया गया है जो छह दिसंबर तक चलेगा.