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सदर अस्पताल में हड्डी व नेत्र का ओपीडी बंद
सीतामढ़ी : सदर अस्पताल सीतामढ़ी में प्रतिनियुक्त चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति रद्द कर दी गयी है. चिकित्सकों के चले जाने के बाद लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हाल यह है कि अस्पताल में हड्डी व नेत्र का ओपीडी बंद हो गया है. जिसके चलते मरीजों के बीच हाहाकार की स्थिति है. बता […]
सीतामढ़ी : सदर अस्पताल सीतामढ़ी में प्रतिनियुक्त चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति रद्द कर दी गयी है. चिकित्सकों के चले जाने के बाद लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हाल यह है कि अस्पताल में हड्डी व नेत्र का ओपीडी बंद हो गया है. जिसके चलते मरीजों के बीच हाहाकार की स्थिति है. बता दें कि सरकार के आदेश पर सीएस डॉ. डीएन मल्लिक द्वारा सदर अस्पताल के सात चिकित्सकों को मूल स्थान पर योगदान करने के लिए एक साथ विरमित कर दिया गया है.
इनकी प्रतिनियुक्ति रद्द
सदर अस्पताल के जिन चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति रद्द की गयी है, उनमें डॉ. केपी देव, डॉ. राजेश कुमार, डॉ. संतोष कुमार झा, डॉ. प्रभाकर कुमार तिवारी, डॉ. अब्दुल वासित, डॉ. अनीता सिंह व डॉ. रजनी सिन्हा शामिल हैं. उन्हें क्रमश: मेजरगंज, नानपुर, चोरौत, बेलसंड, रीगा व रून्नीसैदपुर पीएचसी में योगदान करना है.
बता दें कि डॉ. देव को छोड़ अन्य सभी चिकित्सक संविदा पर नियुक्त हैं. अस्पताल में कल तक चार महिला चिकित्सक थी. डॉ. अनीता सिंह व डॉ. रजनी सिन्हा के यहां से जाने के बाद दो चिकित्सक डॉ. संगीता झा व डॉ. सुधा झा ही रह गयी है. अब इन दोनों चिकित्सकों पर ही अस्पताल का दारोमदार है. दिनोंदिन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है और चिकित्सकों की संख्या कम होती जा रही है.
बंद हो जायेगा एइएस वार्ड!
सीतामढ़ी : दिमागी बुखार से संबंधित चिकित्सा के लिए सदर अस्पताल में एइएस वार्ड बनाया गया है. इस वार्ड के लिए विशेष रूप से दो चिकित्सक डॉ. अब्दुल वासित व डॉ. प्रभाकर कुमार तिवारी की प्रतिनियुक्ति की गयी थी. इन दोनों की भी प्रतिनियुक्ति रद्द किये जाने से एइएस वार्ड बंद होने के कगार पर पहुंच गया है.
क्या कहते हैं अस्पताल प्रबंधक
सदर अस्पताल के प्रबंधक ने बताया कि एक साथ सात चिकित्सकों के चले जाने से गंभीर समस्या उत्पन्न हो गयी है. चिकित्सकों की कमी को भरपाई करना संभव नहीं दिख रहा है. इसके लिए राज्य सरकार के स्तर से हीं कुछ संभव है.
हड्डी व नेत्र के चिकित्सक नहीं
सदर अस्पताल में नेत्र के एक मात्र चिकित्सक डॉ. केपी देव थे. अब वे मेजरगंज पीएचसी चले गये हैं. जिसके चलते नेत्र ओपीडी की सेवा बंद हो गयी है. जानकारी के अनुसार जिले में डॉ. देव एक मात्र नेत्र चिकित्सक हैं. वही, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ संतोष कुमार झा के चले जाने के बाद ओपीडी ठप पड़ गया है.
बता दें कि एक और चिकित्सक डॉ आलोक कुमार थे, जिनसे अस्पताल प्रबंधन के साथ हीं मरीजों को सुविधा मिलती थी. डॉ. कुमार वीआरएस ले चुके हैं. डॉ झा एक मात्र बचे थे तो वे भी यहां से चले गये. बताया गया है कि जब तक सरकार के स्तर से नेत्र व हड्डी के चिकित्सक का पदस्थापन नहीं किया जाता है तब तक दोनों ओपीडी बंद हीं रहेगा.
आते थे हड्डी के 100 मरीज
बताया गया है कि जिले के विभिन्न प्रखंडों से हड्डी रोग से संबंधित प्रतिदिन करीब 100 मरीज आते थे, जिसमें से करीब 30-40 का प्लास्टर भी किया जाता था. अब मरीज तो आ रहे हैं, पर ओपीडी बंद रहने के कारण निराश होकर लौट जा रहे हैं. मरीजों में बेचैनी इस बात को लेकर है कि अस्पताल में चिकित्सक, एक्स-रे व प्लास्टर की सुविधा नि:शुल्क मिल जाती थी लेकिन अब बाहर में निजी चिकित्सक के यहां इन सब का भुगतान करना पड़ेगा.
होने वाली आर्थिक क्षति को भांप मरीजों के समक्ष गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गयी है. सूत्रों ने बताया कि हाथ-पैर का छोटा सा भी प्लास्टर करने पर बाहर में कम से कम पांच हजार तक खर्चने होंगे.
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