सीतामढ़ीः नगर पंचायत, डुमरा क्षेत्र में रहने वाले लोग अचानक नपं के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं. लोगों का कहना हैं कि यह विभाग दबंगई की हद पार कर दी है. इसका विरोध किया जायेगा. इसके लिए नौबत आने पर हाइकोर्ट की शरण में भी जायेंगे. पहले स्थानीय स्तर पर हक व अधिकार की लड़ाई लड़ी जायेगी. न सुनने के बाद सरकार, फिर कोर्ट में जायेंगे.
लोगों का कहना है कि नगर पंचायत कार्यालय से कई सुविधाएं नहीं मिलती हैं. बावजूद उक्त सुविधा के नाम पर टैक्स की वसूली की जाती है, जिसे सरकारी दबंगई ही कहा जायेगा. लोगों ने टैक्स देने से इनकार कर दिया हैं. कहा है कि जो सुविधाएं दी जाती है उसी के एवज में टैक्स देंगे. जो सुविधा नहीं मिलती है, उसका टैक्स देने का कोई औचित्य नहीं है और न टैक्स देंगे. खास बात यह कि नगर पंचायत के दर्जनों लोगों ने लिखित तौर पर अपनी उक्त बातें अधिकारियों से कही हैं.
ऐसे उजागर हुआ मामला
नगर पंचायत के वार्ड 4 निवासी व बैंक कर्मी शशि प्रसाद सिंह को नगर पंचायत कार्यालय से एक नोटिस आया. इसमें पांच तरह के टैक्स की राशि का उल्लेख था. श्री सिंह से बतौर टैक्स 660 रुपये का भुगतान करने को कहा गया था. उनसे मकान कर 206 रुपये, शौचालय कर 165 रुपये, जल कर 83 रुपये, शिक्षा कर 103 रुपये व स्वास्थ्य कर 103 रुपये सालाना भुगतान करने को कहा गया था.
नोटिस देख बैंककर्मी श्री सिंह का माथा ठनक गया. नोटिस को पैनी नजर से देखा. विचार किया, तब आभास हुआ कि इनमें से अधिकांश सुविधाएं तो उपलब्ध हीं नही करायी जाती है. फिर टैक्स देने का क्या औचित्य. मन में ठाना कि जब सुविधा नहीं, तो टैक्स नहीं देंगे. सीधे पहुंच गये नगर पंचायत कार्यालय. वहां बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 की धारा 141 के तहत नोटिस के खिलाफ आपत्ति दिया. आपत्ति आवेदन में लिखा कि मकान का निर्माण पूरा नहीं हुआ है. स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल व अन्य सुविधाओं में से कोई सुविधा प्राप्त नहीं है. आपत्ति पर कार्रवाई लंबित है. वैसे श्री सिंह ने बताया कि कार्यालय ने उन्हें दो टूक कहा है कि निर्धारित टैक्स भुगतान करना ही पड़ेगा.
वसूली पर लगे रोक
श्री सिंह ने नपं के कार्यपालक पदाधिकारी को एक आवेदन दिया और उन्हें बताया कि कार्यालय से नोटिस भेज कर पांच वर्षो का टैक्स देने को कहा गया है. इस तरह उन्हें 3100 रुपये टैक्स देना है. आग्रह किया कि मकान का निर्माण कार्य पूरा होने तक टैक्स की वसूली नहीं की जाये.
..तब लोगों में आया उबाल
श्री सिंह ने बिना सुविधा के टैक्स देने की बात मुहल्ले के लोगों को बतायी. यह सुन लोग अवाक रह गये. लोगों ने भी माना कि यह सच है कि बिना सुविधा का टैक्स क्यों दिया जाये. इसके खिलाफ आवाज उठायी जाये. नहीं तो नगर पंचायत कार्यालय हजारों लोगों का आर्थिक शोषण करता रहेगा. तय हुआ कि पहले इसकी सामूहिक लिखित शिकायत की जाये. शिकायत पर विभाग नहीं सुना, तो हाइकोर्ट की शरण में चला जाये. अंतत: यह ठोस निर्णय हुआ कि जब तक सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी जाती है, तब तक टैक्स नहीं दिया जाये.
विभाग की तुलना अंगरेजों से
लोगों ने सामूहिक रुप से नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी को एक आवेदन दिया. कहा गया कि पांच वर्षो का टैक्स देना अत्यंत कष्टकर है. टैक्स नहीं देने पर सूद समेत वसूल करने कर कार्रवाई शुरू की गयी है जो शोभनीय नहीं हैं. अधिकारी को यह बताया गया कि पथ, विद्यालय, स्वास्थ्य, शौचालय, पेयजल व जल निकासी मद में काफी कर लगा दिया गया है, जबकि एक भी सुविधा उपलब्ध नहीं है. नगर पंचायत कार्यालय की यह व्यवस्था अंगरेजी हुकूमत की याद दिलाती है. अंगरेज भी विभिन्न प्रकार से धन संग्रह कर अपना खजाना भरते थे.
अध्यक्ष की दलील पर आपत्ति
नगर अध्यक्ष श्री मंडल की उक्त दलील पर कैलाशपुरी निवासी व सुरसंड के पूर्व प्रमुख कामिनी झा, सेवानिवृत्त पंचायत सचिव सकलदेव झा, सेवा निवृत हाई स्कूल शिक्षिका डॉ मंजु बाला शरण व सेवानिवृत्त प्रधान लिपिक बबन प्रसाद ने कड़ी आपत्ति व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि न तो पेयजल के नाम पर एक चापाकल दिखता है और न हीं सफाई के नाम पर कहीं एक भी कूड़ेदान. कही-कही चापाकल लगाया भी गया हैं तो वहां के लोग उसका निजी उपयोग करते है. चापाकल पर अवैध कब्जा कर लिये है. आमलोग को लाभ नहीं हैं. कई वार्ड में नाला नहीं हैं. जहां नाला है तो उसकी सफाई नहीं करायी जाती है. हल्की बारिश में ही सड़क पर जलजमाव हो जाता है. उन्होंने कहा कि बिना सुविधा के टैक्स की मांग करने का विरोध होना चाहिए. यह विरोध जायज है.