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बिहार : सिय कहने से आती है शालीनता व पारदर्शिता : मोरारी
मिथिलाधाम में हो रही नौ दिवसीय रामकथा सीतामढ़ी : शहर के मिथिलाधाम में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा के दूसरे दिन मोरारी बापू ने ‘सिया’ की महिमा काे आगे बढ़ाया. कहा कि सिय कहने से प्रियता बढ़ती है. सहन करने की शक्ति बढ़ती है. शालीनता एवं पारदर्शिता आती है. सिय शब्द हृदय का बोध कराता […]
मिथिलाधाम में हो रही नौ दिवसीय रामकथा
सीतामढ़ी : शहर के मिथिलाधाम में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा के दूसरे दिन मोरारी बापू ने ‘सिया’ की महिमा काे आगे बढ़ाया. कहा कि सिय कहने से प्रियता बढ़ती है. सहन करने की शक्ति बढ़ती है. शालीनता एवं पारदर्शिता आती है. सिय शब्द हृदय का बोध कराता है. बापू ने रविवार को दूसरे दिन की कथा के माध्यम से श्रोताओं को एक नया भजन ‘श्री राम जय राम जय जय राम…’ की जगह ‘सिय राम सिय राम सिय सिय राम…, हिय राम हिय राम हिय हिय राम…’ देते हुए इसी भजन को गाने की अपील की. उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी हर मोड़ पर सिय यानी जानकी जी का स्मरण करते हैं.
सिय शब्द जानकी जी के किशोरी रूप के लिए संबोधन किया गया है. इसी का एक अर्थ श्री भी होता है. भगवान राम महामानव नहीं, ब्रह्म के अवतार बापू ने स्पष्ट किया कि भगवान राम कोई महामानव नहीं थे, बल्कि स्वयं ब्रह्म के अवतार थे. राम सीता की सूरती करते-करते, किशोरी जी की मुख छवि का दर्शन करते-करते गुरु के पास पहुंच गये. बापू ने गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा कि गुरु कृपा से राम मिलते हैं और राम की कृपा से गुरु मिलते हैं. गोस्वामी तुलसीदास जी पांचों देवों को गुरु में समाहित करते हैं.
उन्होंने कहा कि विवेक और विनय के सागर गणेश भी गुरु हैं. कृपा सिंधु व करुणा के अवतार शंकर भी गुरु हैं. हरि विष्णु भी गुरु हैं. अहिरावण की कुलदेवी दुर्गा भी गुरु हैं. प्रकाश के देवता सूर्य भी गुरु हैं. उन्होंने कहा कि गुरु की कृपा से भगवान और भगवान की कृपा से गुरु मिलते हैं. बापू ने उपस्थित हजारों श्रोताओं को सिय राम सिय राम… भजन के माध्यम से भक्ति का ऐसा समां बांधा कि माता जानकी के प्रति श्रोताओं के चेहरे पर अद्भुत भाव उमड़ आया. दर्जनों साधु-संत व महिलाएं भजन के साथ निकल रही शहनाई एवं तबले की धुन पर तालियों के साथ ताल मिलाते हुए भक्तिभाव से झूम उठीं.
बापू ने कथा का शुभारंभ राम वंदना, मंगलाचरण, मंगल भवन अमंगलहारी… व गुरु वंदना के साथ किया. उन्होंने टीवी चैनल के माध्यम से कथा को देख रहे दुनिया भर के श्रोताओं को सीता की धरती से प्रणाम किया. दरभंगा से आये एक भक्त का पत्र पढ़ा. उचित सलाह देकर संतुष्ट किया. खास बात यह रही कि दूसरे दिन मौसम थोड़ा साफ था, इसलिए पहले दिन की अपेक्षा कथा सुनने के लिए दोगुने श्रोताओं की भीड़ उमड़ी थी. रामायण जी की महाआरती के साथ दूसरे दिन की कथा का समापन हुआ.
मंच के नीचे प्रधान न्यायाधीश रविंद्र कुमार सिंह, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश किशोर कुमार सिन्हा व शिव कुमार शुक्ला के अलावा डीडीसी प्रभात कुमार, विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर, प्रो उमेश चंद्र झा, अरुण गोप, जिप अध्यक्ष उमा देवी, उपाध्यक्ष देवेंद्र साह, सदर एसडीओ सत्येंद्र प्रसाद व वरीय अधिवक्ता सुधाकर झा समेत दर्जनों गण्यमान्य लोग भी मोरारी बापू के श्रीमुख से रामकथा का श्रवण करने पहुंचे थे.
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