सुरसंड : शासन बदला, सत्ता बदली, बदले अधिकारी, लेकिन आज तक नहीं बदली तो सरकारी विद्यालयों की कार्यप्रणाली. बात सौ आना सच है. शायद ही कोई ऐसा दिन नहीं बितता हो, जिस दिन अनियमितता का लेकर सरकारी विद्यालय में हंगामा न होता हो. यही कारण है कि सरकारी विद्यालयों में दिन-ब-दिन शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा हैं.
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बच्चों को मिलती है बासी सब्जी
सुरसंड : शासन बदला, सत्ता बदली, बदले अधिकारी, लेकिन आज तक नहीं बदली तो सरकारी विद्यालयों की कार्यप्रणाली. बात सौ आना सच है. शायद ही कोई ऐसा दिन नहीं बितता हो, जिस दिन अनियमितता का लेकर सरकारी विद्यालय में हंगामा न होता हो. यही कारण है कि सरकारी विद्यालयों में दिन-ब-दिन शिक्षा का स्तर गिरता […]
प्रखंड के मध्य विद्यालय बखरी-2 में भी शनिवार को यही नजारा देखने को मिला. जहां प्रधान शिक्षक की कार्यशैली से नाराज होकर शनिवार को प्रखंड के मध्य विद्यालय बखरी-2 के छात्रों को हुजूम बवाल काट रहा था. छात्रों के आक्रोश में शामिल अभिभावक भी विद्यालय के प्रधान शिक्षक मो मुजफ्फर आलम पर भेद-भाव करने का आरोप लगाते हुए विरोध में नारेबाजी कर रहे थे.
अभिभावक गणेश पासवान व विद्यालय की सचिव अनीता देवी व सरपंच पति रामअवतार साह समेत वहां उपस्थित अन्य कई लोगों ने बताया कि 75 प्रतिशत हाजिरी के बावजूद बच्चों को छात्रवृत्ति व पोशाक की राशि नहीं मिली है. कई छात्र आठवीं कक्षा पास कर उच्च शिक्षा प्राप्त करने दूसरे विद्यालय में चले गये, किंतु अब तक उन्हें छात्रवृत्ति व पोशाक की राशि नहीं दी जा सकी है. अभिभावकों का आरोप था कि प्रधान शिक्षक मो आलम पड़ोस के ही बेलहिया गांव के रहने वाले हैं, जो बखरी गांव के छात्रों के साथ भेदभाव करते हैं.
बेलहिया गांव के छात्रों की हाजिरी 11 बजे तक बनायी जाती है, जबकि गांव के छात्रों की हाजिरी काट दी जाती है. कई ऐसे छात्र हैं जो सरकारी लाभ लेने के लिए अपना नामांकन इस विद्यालय में कराये हुए है, लेकिन शिक्षा निजी विद्यालय में ले रहे हैं. विद्यालय में सबसे दयनीय स्थिति मध्याह्न भोजन की है.
नियमित नहीं बनता एमडीएम: विद्यालय में नामांकित छात्रों की संख्या 364 है. मध्याह्न भोजन पंजी के अनुसार 5 अगस्त को 300, 6 अगस्त को 291, 7 अगस्त को 289 व 8 अगस्त को 288 छात्रों ने मध्याह्न भोजन में शामिल हुए. जबकि 9 अगस्त को मात्र 211 छात्र ही उपस्थित पाए गए. अभिभावकों ने बताया कि गत वर्ष 2016 के जुलाई माह में एक दिन भी एमडीएम नहीं बना हुआ है. जबकि जनवरी में 19 दिन, फरवरी में 22 दिन, मार्च में 18 दिन, अप्रैल में 5 दिन, जून में 8 दिन जुलाई में 14 दिन व अगस्त में मात्र 13 दिन ही एमडीएम बनने की पुष्टि पंजी में की गयी है. बच्चों ने आरोप लगाया कि बासी आलू की सब्जी व चोखा भोजन में परोसी जाती है. एमडीएम की गुणवत्ता काफी घटिया किस्म की रहती है.
कक्षा आठ की छात्रा गुड्डी कुमारी, सविता कुमारी, शिवानी कुमारी, प्रीति कुमारी व पूजा कुमारी ने बताया कि विद्यालय में मात्र एक ही शौचालय है, जो बंद रखा जाता है. उसका उपयोग सिर्फ शिक्षक ही करते हैं. सदस्य सिकिलिया देवी के साथ विद्यालय पहुंची सचिव अनीता देवी ने बताया कि उनका चुनाव गत आठ मई को ही हुआ था, किंतु प्रधान शिक्षक मो आलम के चलते अबतक उन्हें विधिवत प्रभार नहीं मिला है. जबकि अध्यक्ष सीता देवी इतने हंगामे के बाद भी विद्यालय नहीं पहुंच सकी.
दो शिक्षक के सहारे चल रहा विद्यालय
इस बाबत पूछे जाने पर प्रधान शिक्षक मो मुजफ्फर आलम ने बताया कि इस विद्यालय में मात्र दो ही शिक्षक हैं. कक्षा संचालन में कठिनाई होती है. जहां तक संभव हो पाता है, जिम्मेवारी का निर्वहन करता हूं. जहां तक मध्याह्न भोजन का सवाल है तो इसके लिए चार रसोइया बहाल है.
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