अव्यवस्था . ट्रेनों की स्थिति को जानने के लिए कटाना पड़ता है प्लेटफॉर्म टिकट
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करोड़ों खर्च, पर नहीं बढ़ीं सुविधाएं
अव्यवस्था . ट्रेनों की स्थिति को जानने के लिए कटाना पड़ता है प्लेटफॉर्म टिकट छपरा (सदर) : छपरा कचहरी स्टेशन शायद पूर्वोत्तर रेलवे का पहला स्टेशन होगा जहां किसी भी ट्रेन की स्थिति की जानकारी के लिए यात्रियों को पहले प्लेटफॉर्म टिकट खरीदना पड़ता है. इसकी वजह छपरा कचहरी स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक के […]
छपरा (सदर) : छपरा कचहरी स्टेशन शायद पूर्वोत्तर रेलवे का पहला स्टेशन होगा जहां किसी भी ट्रेन की स्थिति की जानकारी के लिए यात्रियों को पहले प्लेटफॉर्म टिकट खरीदना पड़ता है. इसकी वजह छपरा कचहरी स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक के बाहर पूछताछ काउंटर की व्यवस्था नहीं होना है. विभाग ने प्लेटफॉर्म नंबर एक के प्रवेश द्वार से दो सौ मीटर पश्चिम एएसएम ऑफिस में पूछताछ की व्यवस्था की है. ऐसी स्थिति में बिना प्लेटफॉर्म टिकट लिये यदि यात्री ट्रेन का समय पता लगाने के लिए जाता है, तो वैसी स्थिति में बिना टिकट यात्रा के आरोप में उन्हें जुर्माना भरने या जेल जाने की मजबूरी है.
परंतु स्थानीय पदाधिकारी यात्रियों की इस समस्या को नजर अंदाज कर रहें है. वहीं यात्रियों की भीड़ व एएसएम को ट्रेनों के परिचालन के साथ-साथ पूछताछ का दायित्व निभाने के दौरान जहां रेल परिचालन के असुरक्षित होने की संभावना बनी रहती है. वहीं इस दौरान ट्रेनों के लेटलतिफी को लेकर यात्रियों के हंगामा का शिकार भी ड्यूटी पर तैनात परिचालन कर्मियों को होना पड़ता है.
कर्मचारियों की भारी कमी भी संरक्षा व सुरक्षा के लिए चुनौती : छपरा कचहरी स्टेशन से होकर प्रतिदिन 110 से 120 यात्री गाड़ियां या मालगाड़ियां गुजरती है. वहीं इस स्टेशन से आस-पास के छह रेलवे ढाला यथा 44 नंबर गड़खा ढाला, 45 नंबर गड़खा ढाला, 46 नंबर सारण एकेडमी ढाला के अलावा साढ़ा ढाला, रामनगर ढाला के परिचालन को नियंत्रित किया जाता है.
परंतु परिचालन से जुड़े कर्मियों की कमी तथा उन्हीं के जिम्मे पूछ-ताछ काउंटर की व्यवस्था कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है. रेलवे के द्वारा कम से दो सौ रेलकर्मियों के लिए छपरा कचहरी स्टेशन के दक्षिण तथा उत्तर रेलवे कॉलोनी में क्वार्टर बनाये गये हैं. परंतु, इन जर्जर आवासों की मरम्मति की दिशा में उदासीनता तथा नालों की सफाई नहीं होने के कारण सालों भर रेलकर्मियों को आवास के आस-पास कीचड़ युक्त जल के बीच रहने की मजबूरी है. परंतु, रेलवे का स्वास्थ्य व सफाई विभाग या निर्माण विभाग रेलकर्मियों के इस समस्या के प्रति शायद सोचने की जरूरत नहीं समझता. आखिर रेलकर्मी करें तो क्या करें.
बिना प्लेटफॉर्म के मौर्य एक्सप्रेस ट्रेन का होता है ठहराव
क्या कहते है अधिकारी
प्लेटफॉर्म पर मौर्या एक्सप्रेस को खड़ा करने और इंक्वायरी काउंटर को एएसएम कार्यालय में चलाने से यात्रियों को होने परेशानी आदि समस्याओं के समाधान के संबंध में आवश्यक कदम उठायें जायेंगे. छपरा कचहरी स्टेशन पर रेल यात्रियों को बेहतर सुविधा देने का हर संभव प्रयास किया जायेगा.
अशोक कुमार, पीआरओ, वाराणसी रेल मंडल
बिना प्लेटफॉर्म के लोगों को होती है परेशानी
छपरा कचहरी स्टेशन पर सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हुए. परंतु, यहीं नहीं प्लेटफॉर्म नंबर दो तथा तीन बनकर विगत छह माह पहले तैयार भी हो गया. परंतु, प्लेटफॉर्म नंबर दो तथा तीन पर विद्युतीकृत ट्रेन के ठहराव का कार्य पूरा नहीं होने के कारण 15028 डॉउन मौर्य एक्सप्रेस प्रतिदिन बिना प्लेटफॉर्म के ही लगती है. किसी अप्रिय हादसे या परेशानी के भय से शहर के 60 फीसदी आबादी के लोग कचहरी स्टेशन के बदले छपरा जंकशन ही जाकर इस ट्रेन से यात्रा को विवश होते है जिससे उन्हें अतिरिक्त खर्च करने के साथ-साथ समय भी ज्यादा लगता है.
परंतु, रेल प्रशासन ने इस ओर ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी.
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