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शहर की सड़कों पर चलना हुआ मुहाल

समस्या . रिहायशी इलाकों से होकर गुजरते हैं बालू लदे वाहन, होती है लोगों को परेशानी छपरा(नगर) : रिहायशी इलाकों से होकर गुजरने वाले बालू लदे वाहनों और तेज हवाओं के कारण उससे उड़ने वाली बालू से लोगों का सड़कों पर चलना मुहाल हो गया है. नदी घाटों से होकर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रैक्टर बालू खुलेआम […]

समस्या . रिहायशी इलाकों से होकर गुजरते हैं बालू लदे वाहन, होती है लोगों को परेशानी

छपरा(नगर) : रिहायशी इलाकों से होकर गुजरने वाले बालू लदे वाहनों और तेज हवाओं के कारण उससे उड़ने वाली बालू से लोगों का सड़कों पर चलना मुहाल हो गया है. नदी घाटों से होकर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रैक्टर बालू खुलेआम ढोये जा रहे है वहीं अधिकतर वाहनों पर न तो बालू को ढंकने के व्यवस्था होती है और नाही इसपर पानी डाला जाता है. जिस कारण यह बालू सीधे-सीधे सड़क पर चलने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर खतरनाक असर डाल रहा है. इतना ही नहीं इन वाहनों की तेज रफ़्तार भी राहगीरों को काफी परेशान करती है और आये दिन बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.
स्कूली बच्चों में बढ़ रहा बीमारियों का खतरा : शहर के दहियांवा महमूद चौक से होकर जिला पर्षद मार्केट और डाकबंगला रोड होते हुए प्रतिदिन सुबह 7 बजे से ही नदी घाटों से बालू लदे वाहनों का परिचालन शुरू हो जाता है. यह शहर का एक व्यस्ततम इलाका है और इसी रास्ते से होकर हजारों बच्चे अपने-अपने स्कूल जाते हैं. इस इलाके की सड़क पर बालू की मोटी परत जम गई है जिस कारण जब भी इधर से कोई वाहन गुजरता है तो सड़क के चारो ओर धूल उड़ने लगती है. यह धूल सीधे-सीधे हवा में मिलकर बच्चों के शरीर में प्रवेश कर जाती है और बच्चों में कई गंभीर बीमारियों की आशंका बनी रहती है. बालू युक्त आक्सीजन ग्रहण करने से होने वाले खतरों पर जब हमने सदर अस्पताल के उपाधीक्षक शंभू नाथ सिंह से बात कि तो उन्होंने धूल युक्त हवा से होने वाले कई गंभीर बीमारियों से अवगत कराया. उन्होंने बताया कि अगर रेतीली बालू लगातार किसी के भी शरीर में प्रवेश करती रहेगी तो उसे स्वांस रोग की तकलीफ हो जाएगी वहीं बच्चों में बोल्कियल आज्मा और निमोनिया का भी असर हो सकता है.दिन में भी खिड़की-दरवाजे बंद करने को मजबूर हैं लोग : रिहायशी इलाके से होकर बालू ढोने का खेल कई महीनों से जारी है. आये दिन ट्रैक्टरों की संख्या बढ़ते ही जा रही है और सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक हर दिन लगभग 200 के आसपास वाहनों के सफ़ेद रेतीली बालू ढोया जाता है. ऐसे में दिनभर इन इलाकों में धूल और रेत की गर्द उड़ते रहती है. यही कारण है कि स्थानीय लोग दिन में भी अपने-अपने घरों में खिड़की और दरवाजे बंद कर घुटन भरी जिंदगी जीने को विवश हैं. कई लोग तो धूल से इतने परेशान रहते हैं कि सुबह, दोपहर और शाम तीनो समय सड़क पर पानी पाटने में ही व्यस्त रहते है ताकि हवा में उड़ती धूल से उन्हें थोड़ी राहत मिल सके.
सड़कों पर उड़ते धूल-कण से बढ़ रहा बीमारियों का खतरा
रिहायशी इलाकों से होकर गुजरे वाले बालू लदे वाहनों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी. एक पत्र भी जारी कर दिया गया है. वहीं एमवीआइ को भी ऐसे वाहनों को चिह्नित कर उसपर डबल फाइन लगाने का निर्देश दिया गया है.
अंजय कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी, छपरा
रेतीली बालू और सड़कों पर उड़ने वाले धूल से लोगों को गंभीर बीमारियां हो सकती है. स्वास रोग, बोल्कियल आज्मा, निमोनिया, दमा, स्नोफीलिया जैसे रोगों होने की संभावना बढ़ जायेगी.
शंभू नाथ, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, छपरा

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