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फटे-पुराने नोट बदलने वालों की बढ़ीं मुश्किलें

छपरा : नोट बंदी ने आम से लेकर खास तक पर अपना प्रभाव दिखाया है. सबकुछ जल्द ठीक हो जाने की उम्मीद लिए लोग बैंकों में लंबी-लंबी कतारों के बीच संघर्ष कर रहे हैं. वहीं नोट बंदी का असर छोटे-बड़े व्यवसायियों पर भी देखने को मिल रहा है. छपरा के प्रमुख बाजारों में सड़क किनारे […]

छपरा : नोट बंदी ने आम से लेकर खास तक पर अपना प्रभाव दिखाया है. सबकुछ जल्द ठीक हो जाने की उम्मीद लिए लोग बैंकों में लंबी-लंबी कतारों के बीच संघर्ष कर रहे हैं. वहीं नोट बंदी का असर छोटे-बड़े व्यवसायियों पर भी देखने को मिल रहा है. छपरा के प्रमुख बाजारों में सड़क किनारे ‘फटे-पुराने’ नोट बदलने के लाइसेंसी दुकानदारों को भी खुदरा पैसे के अभाव में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. इन दुकानदारों को पर्याप्त मात्र में खुदरा पैसे नहीं मिल रहे हैं जिस कारण इन्हें फटे-पुराने नोटों को बदलने में काफी परेशानी हो रही है.

शहर के सरकारी बाजार, मौना चौक तथा गुदरी बाजार में लगभग एक दर्जन ऐसे छोटे-छोटे दुकानदार हैं जो फुटपाथ पर फटे और पुराने नोट बदलने का काम करते हैं. बामुश्किल 5 प्रतिशत के बट्टे का मुनाफा लेकर ये दुकानदार जैसे-तैसे अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर करते हैं. नोट बंदी के असर से हाल के दिनों में इन लोगों को जिस संकट से गुजरना पड़ रहा है उसने इनके इस व्यवसाय पर ही संकट में ला खड़ा किया है. मौन चौक के पास सड़क किनारे फटे-पुराने नोटों को बदलने का व्यवसाय करने वाले हरी जी का कहना है कि हम गरीब लोग है. सरकार जो करेगी हमारे भले के लिए ही करेगी, पर फिलहाल हमें मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.

ये सभी व्यवसाय लाइसेंस लेकर फटे-पुराने नोट बदलने का काम बनारस से करते हैं. हरी जी ने बताया कि जब से नोट बंदी लागू हुई है खुदरा का अभाव हो गया है. जो खुदरा बचा था उससे 2-3 दिन तक बट्टा का धंधा किया गया पर अब खुदरा पैसे के अभाव में धंधा पूरी तरह बंद है.
छपरा के बाजार में बैठा नोट बदलने वाला.

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