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नराव के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर में उमड़ते हैं छठवर्ती

दिघवारा : सीमावर्ती गड़खा प्रखंड की नराव पंचायत अधीन नराव गांव में स्थित जिले का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर दिन प्रतिदिन आस्था स्थल के रूप में विकसित होता जा रहा है. छठ पर्व के दरम्यान इस मंदिर परिसर में छठव्रतियों समेत श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है और कई जिलों के लोग अर्घ देने के लिए इस […]

दिघवारा : सीमावर्ती गड़खा प्रखंड की नराव पंचायत अधीन नराव गांव में स्थित जिले का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर दिन प्रतिदिन आस्था स्थल के रूप में विकसित होता जा रहा है. छठ पर्व के दरम्यान इस मंदिर परिसर में छठव्रतियों समेत श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है और कई जिलों के लोग अर्घ देने के लिए इस मंदिर परिसर पहुंचते हैं.

प्रकृति की गोद में अवस्थित है सूर्य मंदिर : सूर्यमंदिर छपरा-सोनपुर रेलखंड के मध्य स्थित बड़ा गोपाल व डुमरी जुअरा स्टेशनों से समान दूरी (तीन किमी) पर स्थित है. राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 19 के मुसेपुर बंगलापर उतर कर भी श्रद्धालु मंदिर तक पहुंचते हैं. 26 अप्रैल, 1990 को सूर्य मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा नव कुंडीय महायज्ञ के पश्चात संपन्न हुई. लगभग 26 साल पुराने इस मंदिर में छठ में श्रद्धालुओं का तांता लगता है.

मंदिर के सामने है जलकुंड : प्रकृति की गोद में चारों ओर से घिरे मंदिर के सामने भव्य व आकर्षक पोखर (जलकुंड) है, जिसके चारों ओर भव्य प्रवेश द्वारों के साथ सीढ़ियां बनी हैं. इसी जलकुंड में अस्ताचलगामी व उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के लिए कई जिलों से श्रद्धालु पहुंचते हैं.

जलकुंड सालों भर साफ रहता है क्योंकि इसमें साबुन,सर्फ का उपयोग करने समेत कपड़ा धोने की सख्त मनाही है. जलकुंड के चारों ओर शौच करने व पूजा में प्रयोग में आये बेकार पदार्थों को फेंकना वर्जित है. स्थानीय लोग भी स्वच्छता बनाये रखने के लिए हरसंभव सहयोग देते हैं.

श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए बनी हैं धर्मशालाएं : अर्घ देने के लिए दूरदराज से अानेवाले श्रद्धालुओं को ठहरने में कोई दिक्कत नहीं हो, इसके लिए मंदिर परिसर में धर्मशाला बनवायी गयी हैं. छठव्रती संध्या अर्घ देने के बाद इन धर्मशालाओं में ठहरते हैं. फिर उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के बाद अपने गंतव्यों की ओर लौट जाते हैं. छठ में जलकुंड को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. वहीं ग्रामीण कुंड तक पहुंचने वाले रास्तों को भी आकर्षक ढंग से सजाते हैं.

अर्घ देने के बाद मंदिर में करते हैं जलाभिषेक : सूर्य को अर्घ देने के बाद श्रद्धालु सूर्य मंदिर में पहुंच कर जलाभिषेक करते हैं और अपनी मन्नतों के पूर्ण होने की कामना करते हैं. उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के बाद मंदिर में जलाभिषेक के लिए अप्रत्याशित भीड़ उमड़ती है.

प्रकृति की मनोरम छटा के बीच भगवान भास्कर को देते हैं अर्घ

आस्था स्थल के रूप में विकसित हो रहा है नराव का सूर्य मंदिर

26 अप्रैल,1990 को स्थापित मंदिर परिसर में बना है भव्य जलकुंड

गड़खा प्रखंड में है सूर्य मंदिर

जलकुंड में स्नान करने से नहीं होता है चर्म रोग

प्रतिवर्ष छठ पर्व पर इस जलकुंड के चारों ओर से मदनपुर, नराव, धनौरा, कोठिया, मुसेपुर, चैनपुरवा व सैदपुर आदि गांवों सहित दूसरे जिलों से पहुंचे छठव्रती भगवान सूर्य को अर्घ देकर अपनी मन्नतों के पूर्ण होने की कामना करते हैं. लोक धारणा है कि इस जलकुंड में स्नान करने से चर्म रोग नहीं होता है.

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