पहल. बाढ़-सुखाड़ से नष्ट हो रही फसलों को बचाने में जुटे कृषि वैज्ञानिक
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फसलों को बचाने की कवायद
पहल. बाढ़-सुखाड़ से नष्ट हो रही फसलों को बचाने में जुटे कृषि वैज्ञानिक जिले के 8 प्रखंड बाढ़ग्रस्त है, 12 प्रखंड में सूखे की मार झेल रहे हैं छपरा (सारण) : बाढ़ व सुखाड़ से नष्ट हो रही खरीफ फसल को बचाने की कवायद कृषि वैज्ञानिकों ने शुरू कर दी है. किसानों को कृषि वैज्ञानिक […]
जिले के 8 प्रखंड बाढ़ग्रस्त है, 12 प्रखंड में सूखे की मार झेल रहे हैं
छपरा (सारण) : बाढ़ व सुखाड़ से नष्ट हो रही खरीफ फसल को बचाने की कवायद कृषि वैज्ञानिकों ने शुरू कर दी है. किसानों को कृषि वैज्ञानिक बचाव की तकनीक से अवगत करा रहे है. प्रभावित क्षेत्रों में जाकर कृषि वैज्ञानिक किसानों को प्रायोगिक प्रशिक्षण दे रहे है. जिले के आठ प्रखंड बाढ़ से प्रभावित है तथा 12 प्रखंड सूखे की मार से त्रस्त हैं. बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में खरीफ की फसलें पानी में डूब गयी है तथा सूखा प्रभावित इलाकों में सिंचाई के अभाव में खरीफ की फसलें नष्ट हो रही है और खेतों में दरारें पड़ रही है. कृषि विज्ञान केंद्र मांझी की ओर से किसानों को तकनीकी सहायता मुहैया करायी जा रही है. कृषि वैज्ञानिकों ने इस प्रयास से खरीफ फसल को काफी हद तक बचाये जाने की आशा जगी है और बाढ़-सुखाड़ के कारण जिन क्षेत्रों में फसलें नष्ट हो चुकी है, वहां वैकल्पिक फसल उगाने, कम समय में तैयार होने वाली धान की फसलें लगाने की भी सलाह दी जा रही है.
बाढ़ की पानी का संरक्षण पर बल : जिन क्षेत्रों में की खरीफ की फसल बाढ़ की पानी में डूबने से नष्ट हो गयी है. उस क्षेत्र के किसानों को बाढ़ की पानी संचित-संरक्षित करने का उपाय भी बताया जा रहा है. संरक्षित व संचित पानी का उपयोग रवि फसल की खेती के दौरान हो सकेगा. चंवर में स्थित नहर, पईन, आहर, तालाब में पानी को संरक्षित करने की तकनीकी जानकारी दी जा रही है. जिन क्षत्रों में नहर, पइन, तालाब नहीं है, उस क्षेत्र के किसानों को अपने-अपने खेतों में गड्ढा खोद कर पानी एकत्र करने की सलाह कृषि वैज्ञानिक दे रहे हैं.
पशु चारा लगाये : बाढ़ग्रस्त वैसे इलाके जहां से पानी हट गया है और फसलें नष्ट हो गयी है, वहां पशु चारा लगाये जिससे चारा संकट से निपटा जा सकता है. तत्काल पशु चारा की बुवाई से किसानों को दुहरा लाभ होगा. एक तो पशु चारा मिलेगा. दूसरा यह कि खेतों की नमी बनी रहेगी. खेतों में खर-पतवाड़ जंगल नहीं उगेंगे.
कृषि विज्ञान केंद्र मांझी की ओर से किसानों को तकनीकी सहायता मुहैया करायी जा रही
अब भी बनी हुई है बारिश की संभावना
अभी भी बारिश की संभावना बची हुई है. इस पखवाड़े में अच्छी बारिश हो सकती है. धान की फसल को सूखे से बचाने के लिए बेहतर देखभाल करें. हल्की सिंचाई करें. खेतों से खर-पतवार की निकौनी करें. बारिश होने पर धान की फसल को बचाया जा सकता है. यह किसानों के लिए डूबते हुए को तिनके के सहारा के रूप में काम आयेगी.
सूखा ग्रस्त क्षेत्र में लगाये मूंग व उड़द
सूखा प्रभावित क्षेत्र में फसल अगर सिंचाई के अभाव में नष्ट हो गया है, वहां मूंग व उड़द लगाये. इससे खाली खेत का उपयोग हो सकेगा और खेत की उर्वरा क्षमता बढ़ेगी. मूंग को तैयार होने के बाद उसे खेत में पलटवाने (जोताई कराने) से हरा खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकेगा और गेहूं की बुवाई के दौरान इसका लाभ किसानों को मिल सकेगा. बचे हुए धान की फसलों में जरूरत के अनुसार पोषक तत्व और खाद देकर बचाया जा सकता है.
वैकल्पिक फसल लोगों के लिए होगी बेहतर
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को निराश होने की जरूरत नहीं है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन इलाकों में बाढ़ के कारण धान की फसल नष्ट हो गयी है और बाढ़ का पानी खेतों से हटते ही उसमें चना, मसूर, मटर, उड़द, मूंग की फसलें लगा सकते हैं. पशु चारा भी उगा कर खाली खेत का सदुपयोग करने की सलाह किसानों को दी जा रही है. बची हुई धान की फसलों की देखभाल समुचित ढंग से करें. खेतों में अत्यधिक मात्रा में जमा बाढ़ के पानी की निकासी करें. उसमें खाद व कीटनाशी दवाओं का छिड़काव करें.
क्या कहते हैं अधिकारी
बाढ़ व सुखाड़ से बरबाद हो रही फसलों के बचाने का तकनीकी ज्ञान किसानों को दिया जा रहा है. साथ ही वैकल्पिक फसल लगाने की सलाह भी किसानों को क्षेत्र और परिस्थिति के अनुसार दिया जा रहा है. वैकल्पिक फसल तथा पशु चारा उगा कर कई तरह की मुश्किलों से निपटा जा सकता है.
डॉ रत्नेश कुमार झा, कार्यक्रम समन्वयक, सह कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र मांझी, सारण
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