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दूसरे के दरवाजे पर आसरा लेने को मजबूर हैं बाढ़पीड़ित

छपरा : सारण बाढ़ की चपेट में है. चारों तरफ पानी ही पानी है. जल स्तर भले ही कुछ कम हुआ है पर प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति अभी भी दयनीय है. निचले इलाकों में कच्चे झोंपड़ीनुमा घरों का तो अब नामो निशान भी नहीं बचा है. इन घरों में रहने वाले अधिकतर लोग अपने जरूरत […]

छपरा : सारण बाढ़ की चपेट में है. चारों तरफ पानी ही पानी है. जल स्तर भले ही कुछ कम हुआ है पर प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति अभी भी दयनीय है. निचले इलाकों में कच्चे झोंपड़ीनुमा घरों का तो अब नामो निशान भी नहीं बचा है. इन घरों में रहने वाले अधिकतर लोग अपने जरूरत भर के सामानों के साथ सड़कों पर या सरकारी सेल्टरों में शरण लिए हुए हैं. प्रभात खबर की टीम में सारण के कुछ ऐसे बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लिया जहां रहने वाले लोगों की जिंदगी रुक सी गयी है.

सारण के रिविलगंज, डोरीगंज दिघवारा तथा छपरा शहर के निचले इलाकों में रहने वाले लोग पिछले दस दिनों से सड़क पर ही डेरा डाले हुए हैं. बच्चों के मासूम सवाल और घर खोने का गम इन लोगों को हर दिन अंदर से कमजोर कर रहा है. छपरा शहर के निचले इलाकों में रहने वाले मिथिलेश कुमार, जीतन भगत, रंजीत भगत, अशोक कुमार, बलिराम, सरयू प्रसाद जैसे सैकड़ो लोगों का घर बाढ़ के पानी में डूब चूका है.

ये सभी घर कच्चे और झोंपड़ीनुमा होने के कारण अपना वजूद खो चुके हैं.

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