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निर्माण कंपनी पर हमले की थी योजना

खुलासा. गिरफ्तार नक्सलियों ने खोला राज, बनाया गया था 16 सदस्यों का दस्ता हमले को लेकर जुटाये गये थे सारे हथियार व कुकर बम 10 लाख के बदले दो लाख मिलने से नाराज था जोनल कमांडर छपरा (कोर्ट) : मकेर थाना क्षेत्र के बाढ़ीचक डीही दियारा में उस दिन पुलिस नहीं पहुंचती और नक्सली एरिया […]

खुलासा. गिरफ्तार नक्सलियों ने खोला राज, बनाया गया था 16 सदस्यों का दस्ता

हमले को लेकर जुटाये गये थे सारे हथियार व कुकर बम
10 लाख के बदले दो लाख मिलने से नाराज था जोनल कमांडर
छपरा (कोर्ट) : मकेर थाना क्षेत्र के बाढ़ीचक डीही दियारा में उस दिन पुलिस नहीं पहुंचती और नक्सली एरिया कमांडर अनिल सहनी समेत चार लोगों को गिरफ्तार नहीं करती, तो उसी रात सिनकॉन इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के कैंप पर हमला होना निश्चित था. इस बात का खुलासा पुलिस द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत किये गये अनिल सहनी के उस बयान से हुआ है, जिसे उसने पुलिस के समक्ष अपने साथियों की उपस्थिति में दिया है.
अपने हस्ताक्षरित बयान में एरिया कमांडर ने स्वीकार किया है कि उसके जोनल कमांडर पूर्वी चंपारण के मधुबन थाना क्षेत्र के कौड़िया निवासी रामबाबू उर्फ राजन ने मकेर बांध पर सड़क का निर्माण करा रही सिनकॉन कंपनी से 10 लाख रुपये लेवी के रूप में मांगने का आदेश दिया था. राजन के आदेश पर वह तथा उसका भाई सब एरिया कमांडर अनिल सहनी ने कंपनी के अधिकारी से 10 लाख रुपये लेवी में देने को कहा.
इसकी मध्यस्थता मकेर थाना क्षेत्र के दादनपुर निवासी राजेश्वर सिंह का पुत्र शंभु सिंह कर रहा था और उसने 28 अप्रैल, 2016 को दो लाख पांच हजार रुपये लाकर उसे दिये, जिसकी सूचना उसने राजन को दी, तो उसे बुरा लगा और उन्होंने कहा कि कंपनी वालों को सबक सिखाना बहुत आवश्यक है, इसकी तैयारी करो. उसके आदेश पर ही वहां सारे हथियार व प्रेशर कुकर, बम और विस्फोटक सामग्री को इकट्ठा किया गया था.
साथ ही संगठन के अन्य एक दर्जन साथियों को भी वहां बुलाया गया था ताकि हमला जोरदार ढंग से किया जा सके. अनिल ने बयान में कहा है कि सभी 16 साथियों के बीच हथियारों का वितरण करना था, जिसमें मुकेश पटेल उर्फ राहुल उर्फ विकास को एके 47, अमिन सहनी को कारबाइन और हरिहर सहनी को पुलिस से लूटी गयी एसएलआर देनी थी, जबकि अन्य साथियों में कुकर बम तथा अन्य हथियारों का वितरण करना था.
सारे हथियार और विस्फोटक सामग्री को सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक में डाल मिट्टी में छिपा उसकी रखवाली वे चारों कर रहे थे कि तभी पुलिस वहां पहुंच गयी, जिसे देख वे लोग भागने लगे और पकड़े गये. उसने अपने बयान में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि यदि पुलिस उस दिन नहीं पहुंचती, तो कंपनी के कैंप पर भारी हमला होना निश्चित था.

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