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बदलते गये चेहरे व मोहरे, जारी है शह व मात का खेल

एक दशक पुराने खूनी खेल में जुड़ा एक और नया अध्याय छपरा (सारण) : मीनापुर में अपराधी धर्मेंद्र राय के घर पर हुई फायरिंग ने करीब एक दशक पुराने खूनी खेल में एक नया अध्याय और जुड़ गया. इस खेल में अबतक एक दर्जन लोगों की जानें जा चुकी हैं. हालांकि, अंतिम दो घटनाओं में […]

एक दशक पुराने खूनी खेल में जुड़ा एक और नया अध्याय

छपरा (सारण) : मीनापुर में अपराधी धर्मेंद्र राय के घर पर हुई फायरिंग ने करीब एक दशक पुराने खूनी खेल में एक नया अध्याय और जुड़ गया. इस खेल में अबतक एक दर्जन लोगों की जानें जा चुकी हैं. हालांकि, अंतिम दो घटनाओं में किसी की जान नहीं गयी है. लेकिन, चार लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. बुधवार को मीनापुर में तीन लोगों को गोली मार कर
घायल करने की घटना का कारण व्यवहार न्यायालय परिसर में सोमवार को हुए बम ब्लास्ट को बताया जा रहा है. एक दशक पहले गड़खा प्रखंड के ही मिर्जापुर पंचायत से वर्चस्व की लड़ाई को लेकर छिड़ी जंग आज भी जारी है.
अंतर बस इतना है कि इसमें समय के हिसाब से नये चेहरे व नये मोहरे जुड़ते गये और एक दूसरे को शह व मात देने का खेल बरकरार है. गड़खा प्रखंड तथा अवतार नगर थाने की मिर्जापुर पंचायत के रामगढ़ा से एक दशक पहले उठी चिनगारी ने पुलिस प्रशासन के समक्ष मुसीबत खड़ी कर दी है. वर्ष 2004 में पंचायत के दौरान रामगढ़ा गांव के लक्ष्मण राय तथा उसके परिजनों की पिटाई मुखिया संजय सिंह ने कर दी थी.
इसी घटना के प्रतिशोध में मुखिया संजय सिंह की 8 दिसंबर 2004 को कर दी गयी. इस मामले में लक्ष्मण राय के पुत्र राकेश राय समेत कई नामजद किये गये. मुखिया हम्या मामले में वांटेड राकेश राय एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में 19 जुलाई, 2005 को मारा गया. राकेश के मारे जाने के बाद उसके भाइयों निकेश राय, अविनाश राय समेत नये अपराधी उपज गये और मुखिया के समर्थकों के पीछे पड़ गये. इस खुनी खेल में कई अध्याय लगातार जुड़ते गये. संजय सिंह तथा राकेश राय के समर्थक लगातार एक दूसरे को मौत के घाट उतारते गये.

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