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मजाक बना सुधार का प्रयास

भीषण गरमी में भी नहीं मिल रही पर्याप्त बिजलीछपरा (सारण) : भीषण गरमी में विद्युत आपूर्ति व्यवस्था को सुधारने का विभागीय अधिकारियों का प्रयास मजाक बन कर रह गया है. इस वजह से उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ती ही जा रही है. उपभोक्ताओं को बिजली संकट के साथ-साथ पेयजल की भी समस्या से दो-चार होना पड़ […]

भीषण गरमी में भी नहीं मिल रही पर्याप्त बिजली
छपरा (सारण) : भीषण गरमी में विद्युत आपूर्ति व्यवस्था को सुधारने का विभागीय अधिकारियों का प्रयास मजाक बन कर रह गया है. इस वजह से उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ती ही जा रही है. उपभोक्ताओं को बिजली संकट के साथ-साथ पेयजल की भी समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है.

विदित हो कि एक सप्ताह पहले ही छपरा शहरी क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था को सुधारने के लिए दो भागों में विभाजित किया गया. फीडर दो से ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को अलग किया गया.

इसका मकसद यह था कि सभी क्षेत्रों में बराबर विद्युत आपूर्ति हो सके. जिस दिन से यह नयी व्यवस्था लागू हुई है, उसी दिन से न केवल फीडर दो, बल्कि फीडर एक की भी हालत दयनीय हो गयी है. कुछ ही समय के लिए एकाध बार बिजली की आपूर्ति हो रही है.

नहीं हो रही है पर्याप्त आपूर्ति

जिले में मांग के अनुरूप विद्युत की आपूर्ति नहीं हो रही है. जिले में कम से कम 60 मेगावाट विद्युत की मांग है. परंतु 10-12 मेगावाट ही बिजली मिल रही है. मांग के अनुरूप बिजली नहीं मिलने के कारण जिले में आपूर्ति व्यवस्था नहीं सुधर रही है और इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है.

पठन-पाठन बाधित

विद्युत आपूर्ति ठप रहने के कारण छात्रों के पठन-पाठन पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. स्नातक द्वितीय खंड की परीक्षा 20 मई से शुरू होने वाली है. इसके अलावा कई अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं अगले माह होने वाली है. इन परीक्षाओं में सम्मिलित होने वाले छात्र-छात्राओं के लिए बिजली संकट ने मुसीबत खड़ा कर दिया है.

पेयजल संकट गहराया

विद्युत आपूर्ति ठप रहने से शहर में पेयजल संकट भी गहराने लगा है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के करीब दर्जन भर ट्यूबवेल शहर में हैं, जो विद्युत आपूर्ति पर निर्भर है और शहर की अधिकांश आबादी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के नलों पर आश्रित है. नलों से पानी नहीं गिरने के कारण शहरवासियों को शुद्ध पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है. शुद्ध पानी के लिए शहरवासियों को भाग दौड़ करनी पड़ रही है.

शोभा की वस्तु बना पंखा

विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में लगे पंखा, कूलर शोभा की वस्तु बना हुआ है. फ्रिज, एसी, टेलीविजन भी काम नहीं कर रहे हैं. विद्युत के लिए उपभोक्ताओं को वैकल्पिक साधनों का सहारा लेना पड़ रहा है. भीषण गरमी से निजात पाने के लिए जेनेरेटर ही सहारा बना हुआ है.

साधन संपन्न उपभोक्ता जेनेरेटर प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन आम उपभोक्ताओं के लिए जेनेरेटर का उपयोग संभव नहीं है. लचर विद्युत आपूर्ति के कारण परेशान उपभोक्ताओं में रोष है.

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