पहिया कारखाना ‘दौड़ा’
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रेकाॅर्ड उत्पादन. अगले वित्त वर्ष में 25 हजार निर्माण का लक्ष्य
पहिया कारखाना ‘दौड़ा’ लगभग 1450 करोड़ की लागत से बेला में बने देश के दूसरे रेल पहिया कारखाने ने रफ्तार पकड़ ली है. इस वित्त वर्ष में रेकाॅर्ड संख्या में पहियों के उत्पादन व बिक्री होने का अनुमान है. इस वित्त वर्ष में कारखाना प्रशासन ने 25 हजार पहियों के उत्पादन व 10 हजार की […]
लगभग 1450 करोड़ की लागत से बेला में बने देश के दूसरे रेल पहिया कारखाने ने रफ्तार पकड़ ली है. इस वित्त वर्ष में रेकाॅर्ड संख्या में पहियों के उत्पादन व बिक्री होने का अनुमान है. इस वित्त वर्ष में कारखाना प्रशासन ने 25 हजार पहियों के उत्पादन व 10 हजार की बिक्री का लक्ष्य रखा है. फरवरी माह में एक दिन में 191 पहियों का निर्माण कर कर्मचारियों ने रेकाॅर्ड बनाया.
छपरा/दिघवारा : रेल पहिया कारखाना, बेला में पहियों के उत्पादन की रफ्तार तेज हो गयी है.
उत्पादित पहियों की बिक्री बढ़ने से उम्मीद व आमदनी में इजाफा हुआ है. कारखाने के पदाधिकारियों व कर्मचारियों के बेहतर समन्वय व समर्पित कार्य भावना की परिणति है कि कारखाना इस वित्त वर्ष में रेकाॅर्ड उत्पादन किया है. वित्त वर्ष के अंत तक कारखाना प्रशासन ने 25 हजार पहियों के उत्पादन के साथ 10 हजार की बिक्री का लक्ष्य रखा है. जनवरी, 16 तक कारखाने में 20 हजार 500 पहियों का उत्पादन हो चुका है. 15 फरवरी, 2016 तक लगभग नौ हजार पहियों को देश के विभिन्न रेलवे वर्कशॉप के हाथों बेचा भी जा चुका है.
उत्पादन दो गुना तो बिक्री में होगा पांच गुना का इजाफा : वित्तीय वर्ष 2014-15 में 12 हजार 500 पहियों का निर्माण हुआ था एवं 1862 पहियों की बिक्री हुई थी, मगर इस वर्ष 25 हजार चक्को के उत्पादन व लगभग 10 हजार चक्को की बिक्री का लक्ष्य है. लक्ष्य
पूरा होने पर पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वर्ष उत्पादन में दो गुना व बिक्री में पांच गुना वृद्धि होने का अनुमान है.
ट्रेनिंग से बढ़ी कर्मचारियों की गुणवत्ता : जब कारखाना बन कर तैयार हुआ, तो इसमें लगभग 900 कर्मचारियों ने योगदान किया. इन कर्मचारियों के पास कोच, बैगन व लोको क्षेत्रों में कार्य करने का अनुभव था. इन कर्मचारियों के लिए यह काम नया था. लिहाजा काम के दौरान मशीनों में गड़बड़ियां आने के साथ पहिया अच्छी क्वालिटी का नहीं बन पाता था, मगर धीरे-धीरे सभी कर्मचारियों को बारी-बारी से रेल पहिया कारखाना, बंगलूरू भेज कर विशेष ट्रेनिंग दिलवायी गयी. इसके बाद गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ.
विभिन्न वर्क शॉप से बेचे जाते हैं पहिये : कारखाना से उत्पादित पहियों को लिलुआ, अजमरे, जगाधरी, जमालपुर, झांसी, विजयवाड़ा व खड़गपुर के वर्कशॉप के जाता है.
पहियों को ट्रकों के सहारे वर्कशॉपों में भेजा जाता है जहां इनका प्रयोग पैसेंजर व बैगन जैसी ट्रेनों में होता है, एक पहिया को 60 हजार रुपये में बेचा जाता है.
कारखाना परिसर में खुलेंगी बैंक की शाखा व एटीएम : कर्मचारियों की सुविधा के लिए इसी माह के अंत तक कारखाना परिसर में स्टेट बैंक की शाखा खुलेगी,जिसके लिए शाखा प्रबंधक की नियुक्ति हो गयी है. जल्द ही अन्य कर्मचारी ज्वाइट करेंगे. परिसर में दो जगहों पर एसबीआइ के एटीएम बूथ लगाये जायेंगे, जिसका लाभ रेलकर्मचारियों को मिलेगा.
दिसंबर तक बन जायेंगे स्टाफ आवास : कारखाना परिसर में ऑफिसर्स कॉलोनी का निर्माण अंतिम चरण में है. वहीं,दिसंबर 2016 तक स्टॉफ आवास पूरा कर लेने का लक्ष्य है. वर्तमान समय में स्टाफ पटना, हाजीपुर व छपरा में निजी डेरा लेकर रहते हैं जिन्हें बसों के सहारे कारखाना तक लाने व वापस ले जाने का काम होता है. कारखाना में आठ बसें हैं. तीन बसें पटना व एक बस स्टॉफ को लाने छपरा जाती है.
आठ करोड़ की लागत बनेगा सेंट्रल स्कूल का भवन : वर्तमान में कारखाना परिसर में अस्थायी आवासीय परिसर में केंद्रीय विद्यालय चल रहा है. जल्द ही पांच एकड़ भूमि पर आठ करोड़ की लागत से केंद्रीय विद्यालय
का आकर्षक भवन बनाया जायेगा. शॉपिंग काॅम्प्लेक्स, कैंटीन, पॉली क्लिनिक, टेस्ट हाउस व पार्क बनकर तैयार हैं. स्टेडियम का निर्माण करवाया जा रहा है.
मढ़ौरा का रेल चक्का सबको पीछे छोड़ा
रेल पहिया कारखाने में पहिये की जांच करता कारखाने का कर्मी व इनसेट में तैयार पहिया.
कहते हैं मुख्य यांत्रिकी अभियंता
कर्मचारियों की ट्रेनिंग के बाद कार्य की गुणवत्ता बढ़ी है. इस वित्त वर्ष के अंत तक उत्पादन व बिक्री की निर्धारित लक्ष्य को हर हाल में पूरा कर लिया जायेगा. कई नये पदों को स्वीकृत करने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया है. कर्मचारियों की संख्या बढ़ने से उत्पादन व बिक्री की प्रतिशत में भी इजाफा होगा.
अमिताभ, रेल पहिया कारखाना, बेला-सारण
पहिया कारखानाएक नजर
निर्माण लागतलगभग 1450 करोड़
शिलान्यास29 जुलाई, 2008
निर्माण की शुरुआत8 अगस्त, 2008
कारखाना तैयारदिसंबर 2011
चक्का बनाने का कार्य शुरू
सितंबर 2013
रेलवे द्वारा उत्पादन इकाई घोषित करने का वर्षअगस्त 2014
उत्पादित पहियों की संख्या
लगभग 40 हजार
बेचे गये पहियों की संख्या
लगभग 11 हजार
कर्मचारियों की संख्यालगभग 900
पदाधिकारियों की संख्या31
रिक्त पदों की संख्यालगभग 150
प्रति वर्ष उत्पादन लक्ष्यएक लाख
उत्पादन का चार्ट
वित्तीय वर्ष उत्पादित पहिये बेचे गये पहिये
2013-14 6500 154
2014-15 12500 1862
2015-16 20,500 (जनवरी 16 तक) 9000 (फरवरी 16 तक)
लक्ष्य-25 हजार लक्ष्य-10 हजार
एक महीने का बिजली बिल 2.50 करोड़
कारखाना में सीधे ग्रिड से बिजली की सप्लाई होती है, जिस पर लगभग प्रति महीने ढाई करोड़ रुपये का बिजली बिल आता है. कारखाना प्रशासन बिजली खरीदने के लिए बिजली बिक्री करने वाले कई कंपनियां के संपर्क में है ताकि सस्ती बिजली खरीदकर बिजली पर होनेवाले खर्च को काम कर कारखाना को फायदा पहुंचाया जा सके.
कर्मियों की संख्या बढ़ी तो बढ़ेगा उत्पादन
वर्तमान में बेला कारखाने में 31 पदाधिकारियों के अलावा लगभग 900 स्टाफ कार्यरत हैं, जो रेल पहिया कारखाना बेंगलुरू के स्टाफों के संख्या की तुलना में आधी है. कारखाना ने सीमित कर्मचारियों की बदौलत ही बेहतर प्रदर्शन किया है. अगर कारखाने में कर्मचारियों की संख्या में इजाफ हुआ, तो उत्पादन में वृद्धि होगी, कारखाना में स्वीकृत पदों में 1से 50 पद रिक्त हैं.
13 फरवरी को एक दिन में बने 191 पहिये
सामान्य कार्य दिवस में कारखाने में एक दिन में छह हिट लगते हैं. हर हिट में 30 पहिये बनाये जाते हैं. यानी एक दिन में कारखना में 180 पहिये तैयार होते हैं. मगर पिछले 13 फरवरी को पहिया उत्पादन में कारखाने ने रेकाॅर्ड बनाया एवं उस दिन 191 चक्के बनाये गये. कारखाना प्रशासन ने इसके लिए कर्मचारियों को 30 हजार रुपये का ग्रुप अवार्ड भी दिया. वहीं, इस साल जनवरी माह में कारखाना में 109 हीट लगाये गये, जिनसे 3164 पहिये तैयार हुए
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