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उत्पादन शुरू, पर उद्घाटन का अब भी इंतजार

उत्पादन शुरू, पर उद्घाटन का अब भी इंतजार हसरत जो नहीं हुई पूरी. कई बार उद्घाटन की जगी आस, उद्घाटन होने के बाद विकास की रफ्तार होगी तेज रेलवे का ड्रीम प्रोजेक्ट समझे जानेवाले रेल पहिया, बेला का इस वर्ष भी उद्घाटन नहीं हो सका. देश के दूसरे इस रेल पहिया कारखाने में पहिये का […]

उत्पादन शुरू, पर उद्घाटन का अब भी इंतजार हसरत जो नहीं हुई पूरी. कई बार उद्घाटन की जगी आस, उद्घाटन होने के बाद विकास की रफ्तार होगी तेज रेलवे का ड्रीम प्रोजेक्ट समझे जानेवाले रेल पहिया, बेला का इस वर्ष भी उद्घाटन नहीं हो सका. देश के दूसरे इस रेल पहिया कारखाने में पहिये का उत्पादन शुरू है, मगर अब तक इसके उद्घाटन का इंतजार है. 23 मार्च, 2012 को चक्का बनाने का काम शुरू हुआ. उत्पादन शुरू होने के तीन वर्ष बाद भी कारखाने का उद्घाटन नहीं होने से स्थानीय लोगों का उद्घाटन समारोह को देखने की हसरत अब भी अधूरी है. संभावना है कि 2016 में कारखाने का विधिवत उद्घाटन हो जायेगा.1450 करोड़ की लागत से बने कारखाने में 2012 से हो रहा है रेल पहियों का उत्पादनलगभग 50 हजार चक्के बन कर हैं तैयारनोट: फोटो मेल से भेजा गया है. संवाददाता, दिघवारासारण जिले के दरियापुर प्रखंड के बेला गांव में निर्मित रेल पहिया कारखाने के उद्घाटन का कई बार बिगुल बजा, मगर हर बार कार्यक्रम टलता रहा. चार वर्ष पूर्व से कारखाना बन कर तैयार है एवं पिछले तीन वर्षों से कारखाने में पहियों का उत्पादन भी जारी है, मगर उद्घाटन के शुभ मुहूर्त का इंतजार है. क्षेत्र के लोगों की आंखें उद्घाटन समारोह को देखने के लिए बेताब हैं. मगर, लगता है कि लोगों की यह हसरत वर्ष 2015 में पूरी नहीं हो पायेगी. ऐसी संभावना है कि नववर्ष में कारखाने के उद्घाटन का शुभ मुहूर्त निकल सकता है. 2008 में रखी गयी थी आधारशीला यूपीए के शासनकाल में तत्कालीन रेलमंत्री व स्थानीय सांसद लालू प्रसाद यादव ने 29 जुलाई, 2008 को रेल पहिया कारखाना, बेला की आधारशीला रखी थी. 8 अगस्त, 2008 से एल एंड टी कंपनी ने कारखाने का निर्माण कार्य शुरू किया. वर्ष 2010 में निर्माण कार्य पूरा करना था, मगर कारखाना दिसंबर, 2011 में बन कर तैयार हुआ. इस कारखाने की खासियत यह है कि रेलवे का इतना बड़ा कारखाना बिना किसी विदेशी सहयोग पूरा किया गया है. 23 मार्च, 2012 को शुरू हुआ था ट्रायलकारखाने के बन जाने के बाद 23 मार्च, 2012 के चक्का बनाने का ट्रायल शुरू हुआ. मगर शुरुआती दौर में उत्पादित चक्के मानक पर खरे नहीं उतर पाये थे. इसके बाद तकनीकी विशेषज्ञों के सहयोग के बाद कारखाने के उत्पादित चक्के मानक पर खरे उतर रहे हैं. सूत्रों की मानें, तो लगभग 50 हजार चक्के बन कर तैयार हैं. कई बार हो चुकी हैं कारखाने के उद्घाटन की तैयारियां 2011 के बाद 2013 व 2014 में तीन बार कारखाने के उद्घाटन की तैयारियां हुईं, मगर अंतिम कार्यक्रम तय नहीं हो सका. अप्रैल, 2013 में कारखाने का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनोहन सिंह करनेवाले थे. उद्घाटन के लिए सोनिया गांधी के आने की चर्चा हुई, पर उद्घाटन का कार्यक्रम टल गया. पुन: 30 जनवरी, 2014 को जब सोनिया गांधी बिहार दौरे पर आयीं, तब भी उद्घाटन की आस पूरी नहीं हो सकी. 26 मई, 2014 को पीएम बनने के बाद 25 जुलाई, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार बिहार आये, मगर कारखाने के उद्घाटन का कार्यक्रम नहीं बन सका. निर्माण लागत- 1500 करोड़ लगभग शिलान्यास- 29 जुलाई, 2008निर्माण कार्य की शुरुआत- 8 अगस्त, 2008कारखाने के तैयार होने का वर्ष- दिसंबर, 2011क्षेत्रफल- 295 एकड़ भूमिचक्का बनाने का कार्य शुरू -23 मार्च, 2012उत्पादित पहियों की संख्या- लगभग 50 हजार एक साल में उत्पादित पहियों का लक्ष्य- लगभग 1 लाख प्रतिवर्षएक पहिये की कीमत लगभग 60 हजारक्या-क्या बना है पहिया कारखाने मेंकेंद्रीय विद्यालय, पॉली क्लिनिक, ट्रेनिंग स्कूल, मुख्य प्रशासनिक भवन, विद्युत सब स्टेशन, कैंटीन, शॉपिंग कॉम्प्लेक्सक्या है निर्माणाधीनरेल कर्मचारियों व पदाधिकारियों का आवास, स्टेडियम, स्टेशन से कारखाना तक रेल लाइन का निर्माण

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