बिहार में खेल प्रतिभाओं को तराशने की जरूरत बच्चों में खेल के प्रति उत्सुकता में शिक्षण संस्थानों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हैं वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष शेखर बोसनोट: फोटो वर्जन का छह फोटो नाम से है. संवाददाता, छपरा (सदर)बिहार में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है. बस इन्हें तलाशने तथा तराशने की जरूरत है. ये बातें वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष सह 42वीं जूनियर बालक-बालिका वॉलीबॉल आयोजन कंट्रोल कमेटी के अध्यक्ष शेखर बोस ने बातचीत के दौरान कहीं. उन्होंने कहा कि राजेंद्र स्टेडियम में राष्ट्रीय स्तर के बालक-बालिका खिलाड़ी पहुंचे हैं. परंतु, आम जन ही स्टेडियम में मैच देखने के लिए पहुंच रहे हैं. जिले में स्थित हजारों निजी व सरकारी विद्यालयों के खेल शिक्षक, प्रशिक्षक अपने विद्यालय के बच्चों को लाकर इस खेल को दिखाने में कोताही बरत रहे हैं, जबकि ऐसे खेलों को देखने से बच्चों में खेल के प्रति जिज्ञासा उपजती है. निश्चित तौर पर जिला प्रशासन व विद्यालयों के प्रधानों को 13 दिसंबर तक होनेवाले इस खेल में बच्चों को राजेंद्र स्टेडियम में लाकर दिखाने की जरूरत है. वॉलीबॉल के प्रति बच्चों में उत्साह जगाने का बेहतर मौकावॉलीबॉल के राष्ट्रीय कोच व भारतीय टीम की चयन समिति के सदस्य डॉ अजवंत ने बातचीत में कहा कि बालक -बालिकाओं को राष्ट्रीय स्तर के इन खेलों के आयोजन का भ्रमण कराने से उनमें खेल भावना का विकास होता है. ऐसी स्थिति में अभिभावकों को खेल के प्रति बच्चों में उत्साहवर्धन की जरूरत है. ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में उत्साह भरने का मौकाइंटरनेशनल रेफरी व वेस्ट बंगाल की निवासी करुणा निधान प्रमाणित ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र अवस्थित शिक्षण संस्थानों के बच्चों को भी यहां शिक्षण संस्थानों के प्रधानों को लाकर इस राष्ट्रीय खेल देखने का मौका देना चाहिए. इससे बच्चों में खेल के प्रति उत्सुकता बढ़ेगी. खेल शिक्षकों व प्रशासन की सक्रियता जरूरी सरकार के द्वारा कॉलेज से लेकर प्रारंभिक विद्यालयों तक विभिन्न खेलों के प्रति बच्चों में रुचि जगाने के उद्देश्य से हर वर्ष लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हैं, परंतु खेल शिक्षकों व विद्यालय प्रधान की उदासीनता के कारण बिहार के बच्चे उमदा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं. इंटरनेशनल कोच व हरियाणा निवासी अजय झांगड़ा ने जिला प्रशासन से भी इस राष्ट्रीय प्रतियोगिता में बच्चों को खेल का आनंद लेने व खेल भावना जगाने लिए प्रशासन के पहल की जरूरत जतायी है. बच्चों में खेल के प्रति उत्साह में संस्थान की बेहद भूमिका अंतराष्ट्रीय रेफरी व झारखंड निवासी संजय कुमार की मानें, तो बच्चों में खेल की भावना जगाने के लिए अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है. स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा बसती है. ऐसी स्थिति में बच्चों को खेल के प्रति जागरूकता के लिए अभिभावक व शिक्षक दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है. अंतराष्ट्रीय रेफरी व मणिपुर निवासी बालेश्वर सिंह की मानें, तो प्रतिभाएं शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं. उन्हें तराशने के लिए शिक्षण संस्थाओं, अभिभावकों के साथ-साथ प्रशासन को प्रयास करना चाहिए. सरकार के द्वारा इस मद में भारी खर्च के बावजूद बिहार खास कर सारण में खेल शिक्षकों, विद्यालय प्रधानों, चाहे वे निजी विद्यालय के हों या सरकारी, उन्हें अपना दायित्व और बेहतरी से निभाने की जरूरत है.
BREAKING NEWS
बिहार में खेल प्रतिभाओं को तराशने की जरूरत
बिहार में खेल प्रतिभाओं को तराशने की जरूरत बच्चों में खेल के प्रति उत्सुकता में शिक्षण संस्थानों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हैं वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष शेखर बोसनोट: फोटो वर्जन का छह फोटो नाम से है. संवाददाता, छपरा (सदर)बिहार में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है. बस इन्हें तलाशने तथा तराशने की […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement