राजीव रंजन, छपरा
मशरक प्रखंड मुख्यालय से सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित धर्मासती गंडामन गांव में गुरुवार को दिन के लगभग 12.30 बजे चार-पांच नवयुवक छठ घाट पर पूर्व से बनी चार से पांच दर्जन प्रतिमाओं को चूना से रंगने व घाट की सफाई में व्यस्त दिख रहे हैं. वहीं, दो नयी प्रतिमाओं का भी निर्माण हो रहा है. नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, गंडामन के मुख्य भवन से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित छठ घाट पर अन्य वर्षो की तरह उत्साह नहीं है. गांव के सत्यप्रकाश मिश्र कहते हैं कि इस घाट पर 400 परिवारों के सभी लोगों के द्वारा सामूहिक रूप से पूजा की जाती है. सभी मूर्तियां एक ही रंग में रंगी जाती हैं. परंतु, अन्य वर्षो में इस घाट पर 70 से 75 लोग सफाई एवं रंग रोगन में लगे रहते थे. इस बार 16 जुलाई की घटना के जख्म अब भी ताजा है. दो दर्जन घरों में या तो छठ नहीं हो रहा है या व्रत की महज रस्म अदायगी हो रही है. गंडामन के राजू साह की पत्नी संजू देवी अपने पुत्र शिवा की एमडीएम हादसे में मौत के बाद दरवाजे पर उदास बैठी हैं. पति राजू कहते हैं कि घर का एकमात्र चिराग बुझ गया. ऐसी स्थिति में पर्व-त्योहार की खुशियां ही छिन गयी. यही स्थिति घटना में अपने बेटे रोहित कुमार व बेटी सुमन कुमारी को खोनेवाली रसोइया पन्ना देवी की है. वे कहती हैं कि छठ व्रत का उपवास तो रखा है, परंतु तैयारी कुछ भी नहीं. महज रस्म अदायगी होगी. एक मात्र पुत्र संटू कुमार को घटना में खोने वाले अखिलानंद मिश्र व उनकी पत्नी पुतुन देवी के घर छठ की कोई तैयारी नहीं है. एकमात्र पुत्र के खोने का गम दोनों के चेहरे पर स्पष्ट दिखता है. पत्नी के त्योहार करने की कौन कहे, मनोदशा को लेकर श्री मिश्र चिंतित है. यही दशा दो बच्चियों तथा एक पुत्र को खोने वाली बुच्ची देवी व विनोद महतो के घर की है. परिजनों पर घटना का जख्म त्योहार की तैयारियों पर भारी दिखता है. घटनास्थल से 100 मीटर पर स्थित गंडामन बाजार के व्यवसायी मुन्ना कुमार यादव व स्टूडियो संचालक कपिलदेव कहते हैं कि 23 बच्चों की मौत के बाद इस बाजार पर दशहरा पूजा तो हुई ही नहीं, दीपावली भी फीकी रही. अब छठ में भी कोई उल्लास नहीं है. यही स्थिति मंडल कारा में बंद मीना देवी व उनके चचेरे भैंसुर ध्रुव कुमार राय के घर पर है. उनकी भी खुशियां छिन गयी हैं. मीना देवी के दोनों बच्चे सुरक्षा के दृष्टिकोण से कहीं दूसरी जगह रहने को विवश हैं, तो ध्रुव राय अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए घर से बाहर रहने को विवश हैं. ऐसी स्थिति में पर्व त्योहार की तैयारियों का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. गंडामन के नंद कुमार मिश्र का कहना है कि अन्य वर्षो की भांति छठ पर्व में जहां लोगों में उत्साह नहीं है, वहीं इस घटना के बाद गांव में वैमनस्य भी बढ़ा है. ऐसी स्थिति में छठ का त्योहार गांव में फीका दिख रहा है.