इस दौरान यूनिसेफ के प्रतिनिधि सुनील झा तथा समाज कल्याण विभाग की सहायक निदेशक सह नोडल पदाधिकारी मंजू रानी ने दोनों गृहों का घंटों निरीक्षण किया.
निरीक्षण के दौरान बच्चों के रखरखाव व लड़कियों की काउंसेलिंग आदि के संबंध में टीम के सदस्यों ने आवश्यक सुझाव भी दिये. इस दौरान बालिका गृह की संचालक संस्था भाभा इंस्टीट्यूट की संचालक संस्था के सचिव अरविंद कुमार सिंह, अधीक्षक आदि कर्मियों को बालिकाओं के काउंसेलिंग एजुकेशन आदि के संबंध में सुझाव देने के साथ-साथ व्यवस्था पर संतोष जताया.
वहीं, दत्तक ग्रहण केंद्र में भी पांच वर्ष से छोटी उम्र के रहनेवाले भूले-भटके या नवजात बच्चों के रख-रखाव के संबंध में बेहतरी का सुझाव देते हुए व्यवस्था पर संतोष जताया. अपने परिजनों की तलाश है अंकुश को नोट: बच्चे का फोटो नाम से है छपरा. विगत छह दिनों से भटके हुए चार वर्षीय अंकुश को अपने माता-पिता की तलाश है.
अंकुश अभी छपरा स्थित दत्तक ग्रहण केंद्र में रह रहा है. हर समय वह अपने मां-पिता से मिलना चाहता है परंतु, न तो स्पष्ट रूप से अपने पिता का नाम बता पाता और न मां का. ऐसी स्थिति में दत्तक ग्रहण केंद्र की समन्वयक स्वेता कुमारी भी पसोपेश में हैं कि आखिर इस बच्चे को अभिभावकों से कैसे भेंट कराया जाये. दत्तर ग्रहण केंद्र की समन्वयक के अनुसार, चार अक्तूबर को सीवान जीआरपी द्वारा अपने माता-पिता से भूले भटके बच्चे को लाकर दत्तक ग्रहण केंद्र में रखा गया है.